Sunday, 29 January 2012

Rang badlti is duniya me .........her koi rang badlta hai............


.शब्दों कि दुनिया निराली दुनिया है. समय के साथ शब्द अपना रूप, स्वरूप और अर्थ बदलते रहते हैं.
            आज हम कुछ ऐसे शब्द लेकर आए हैं जिनसे आप भलिभांति परिचित होंगे लेकिन अगर आप उन शब्दों का इतिहास उठाकर देखें तो पता चलेगा कि कैसे अर्थ का अनर्थ हुआ है........प्रेटी Pretty शब्द को पुरानी अंग्रेज़ी में cunning, crafty, और फिर clever, skilful, pleasing के अर्थ में प्रयोग किया जाता था.......
          क्या आप को मालूम है कि पहले अंग्रेज़ी में नाइस का मतलब बेवक़ूफ़ और सिली का मतलब अच्छा होता था. लेकिन  हम आज जिस सिली (silly) शब्द से परिचित हैं और इसका प्रयोग हम foolish, senseless या stupid (यानी मूर्ख, बेवक़ूफ़, कम बुद्धि वाला, लापरवाह, बच्चों जैसा वग़ैरह) के तौर पर करते हैं वह और किन अर्थों में प्रयोग होता रहा है.
           सिली (silly) का पहला प्रयोग हमें प्राचीन अंग्रेज़ी (Old English) में इस प्रकार मिलता है sælig जिसका अर्थ होता था fortuitous, happy या prosperous (क़िस्मतवर, भाग्यवान, ख़ुश या सुखी और अमीर).शुरू-शुरू में इसके साथ वरदान मिला हुआ या सौभाग्यशाली (spiritually blessed) का अर्थ भी जुड़ा हुआ था. यह पवित्र, आदर्णीय और अच्छे के अर्थ में भी प्रयुक्त था.क्रिकेट में बल्लेबाज़ से नज़दीक सिली मिड ऑन और मिड ऑफ़ की पोज़ीशन की पोज़ीशन होती है..बड़ी नाज़ुक जगह है.. 13वीं शताब्दी में होली मार्टरडम (holy martyrdom) के लिए सेली मार्टरडम (seli martyrdom) या फिर पवित्र नारी के लिए ब्लेस्ड मैडेन (blessed maiden) की जगह सेली (seli meiden) का प्रयोग हुआ है. वर्जिन मैरी के लिए भी सैली का प्रयोग हुआ है.
           13वीं शताब्दी के बाद से सिली के अर्थ में और विस्तार आया और पवित्र या आदर्णीय के अर्थ के साथ इसका अर्थ मासूम (innocent) भी लिया जाने लगा. लेकिन इस अर्थ के आते ही इसके दूसरे पर्याय सामने आए जो नकारात्मक अर्थ रखते थे जैसे हार्मलेस (harmless यानी हानिरहित या किसी को न नुकसान पहुंचाने वाला), deserving of pity या दया का पात्र, helpless या मजबूर, बेबस, लाचार, insignificant या उपेक्षणीय, नगण्य और feeble यानी कमज़ोर वग़ैरह के अर्थों में इसका प्रयोग होने लगा. है... बड़ी नाज़ुक जगह ..13वीं शताब्दी में होली मार्टरडम (holy martyrdom) के लिए सेली मार्टरडम (seli martyrdom) या फिर पवित्र नारी के लिए ब्लेस्ड मैडेन (blessed maiden) की जगह सेली (seli meiden) का प्रयोग हुआ है. वर्जिन मैरी के लिए भी सैली का प्रयोग हुआ है.
           13वीं शताब्दी के बाद से सिली के अर्थ में और विस्तार आया और पवित्र या आदर्णीय के अर्थ के साथ इसका अर्थ मासूम (innocent) भी लिया जाने लगा. लेकिन इस अर्थ के आते ही इसके दूसरे पर्याय सामने आए जो नकारात्मक अर्थ रखते थे जैसे हार्मलेस (harmless यानी हानिरहित या किसी को न नुकसान पहुंचाने वाला), deserving of pity या दया का पात्र, helpless या मजबूर, बेबस, लाचार, insignificant या उपेक्षणीय, नगण्य और feeble यानी कमज़ोर वग़ैरह के अर्थों में इसका प्रयोग होने लगा.
            16वीं शताब्दी में सिली के इस अर्थ deserving of pity या दया का पात्र, helpless या मजबूर, बेबस, लाचार के संदर्भ में नया अर्थ विकसित हुआ और इस दौर में सिली का अर्थ unlearned, unsophisticated, simple, rustic और ignorant (अनपढ़, सरल, गंवार, अनजान) के तौर पर लिया जाने लगा और फिर इसी तअल्लुक़ से निम्न श्रेणी और छोटे लोगों (humble in rank या lowly ) के लिए भी इसका प्रयोग किया गया.
          आज का अर्थ भी 16वीं शताब्दी से ही प्रयोग में है जिसका अर्थ है foolish, senseless या stupid (यानी मूर्ख, बेवक़ूफ़, कम बुद्धि वाला, लापरवाह, बच्चों जैसा वग़ैरह).
         
नाइस (nice)
नाइस का प्रयोग इतने भिन्न अर्थों में किया जाता है कि ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी ने इसकी 17 परिभाषा दी है. यह शब्द अत्याधिक प्रयोग से तरह तरह के अर्थों में प्रयोग हुआ है लेकिन आप इसका मूल अर्थ तो जानते ही हैं जोकि Pleasant, agreeable अच्छे, रुचिकर, सुखदायी के अर्थ में इस्तेमाल होता है.
आप अगर किसी चीज़ के बारे में बात नहीं करना चाहें या कुछ न कहने की स्थिति में हों तो भी आप नाइस का प्रयोग करते है. Nice can also serve as the default euphemism for I don't want to talk about it or I don't know what to say. या फिर आप अक्सर कहते हैं Have a nice day!
लेकिन क्या आप को मालूम है कि इसका प्रयोग पहले मूर्ख के लिए किया जाता था. इसे फ़्रांसीसी भाषा के शब्द नाइस से लिया गया है जिसका अर्थ स्टुपिड यानी मूर्ख होता है. यह फ़्रांसीसी शब्द स्पेनिश के शब्द necio से लिया गया है जिसका अर्थ होता है ignorant (अनभिज्ञ, अनजान) और यह लातीनी शब्द nescius (निसिअस) से आया है जो इसी अर्थ में प्रयोग होता रहा है.
 Pretty  
 Pretty शब्द को पुरानी अंग्रेज़ी में cunning, crafty, और फिर clever, skilful, pleasing के अर्थ में प्रयोग किया जाता था.
Awful 
Awful शब्द को आज हम भद्दे और बुरे के अर्थ में इस्तेमाल करते हैं लेकिन पहले इसका प्रयोग deserving of awe यानी आदर के योग्य के लिए होता था.
Brave  
Brave शब्द आज बहादुर के मानी में प्रयोग होता है लेकिन पहले यह cowardice बुज़दिली के लिए प्रयोग होता था जैसा कि हम bravado में देख सकते हैं.
Counterfeit   
Counterfeit का आज हम जाली और नक़ली के अर्थ में प्रयोग करते हैं लेकिन पहले इसका legitimate copy असली कॉपी या प्रति के रूप में प्रयोग होता था.
Girl 
 Girl शब्द आज लड़की के लिए प्रयोग होता है लेकिन पहले यह लड़के लड़की दोनों के लिए प्रयोग किया जाता था young person of either sex.
Notorious 
Notorious शब्द का प्रयोग बदनाम के लिए करते हैं लेकिन पहले इसे famous यानी मशहूर के लिए इस्तेमाल किया जाता था.
Quick   
Quick का प्रयोग तेज़ के लिए करते हैं लेकिन पहले alive के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था जैसा कि quicksilver में देखा जा सकता है.
Tell 
 Tell का प्रयोग आज हम कहने के लिए करते हैं लेकिन पहले इसे to count यानी गिनने के लिए इस्तेमाल किया जाता था जैसा कि हम आज भी किसी बैंक में मौजूद teller के रूप में पाते हैं जहां रक़म गिन कर दी जाती है.
Truant 
 Truant शब्द का प्रयोग हम स्कूल से भागने वाले बच्चे या ज़िम्मेदारी से बचने वाले आदमी के लिए करते हैं लेकिन पहले इसे beggar यानी भिखारी के लिए प्रयोग किया जाता था.


Romance
    Romance शब्द का १७वी शताब्दी में इसका अर्थ काल्पनिक और असत्य से था. १९वीशताब्दी में इसका प्रयोग उपन्यास के अर्थ में हुआ .फिर प्रकिरितिक दृश्यों के अर्थ में , आगे चल कर प्रेम और विषद का मेल हो गया. साहित्यिक रूप में इसका सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांस में किया गया जिसका अर्थ था साहस शील ,भावना शील और कल्पना शील था .              


      आपने देखा कि अंग्रेज़ी भाषा में कई शब्दों ने अपना कितना अर्थ बदला है. अगर आने वाले दिनों में यह सारे शब्द किसी और अर्थ में प्रयोग हों तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.......

Friday, 20 January 2012

Mr. विजय v/s Mr. पराजय or How I Become Positive ?


                           David J. Schwartz की लिखी हुई किताब ,” The Magic of Thinking Big” पढ़ते हुए  हमारे  दिमाग में  एक बात आई की, हमारा दिमाग विचारों का निर्माण करने वाली एक फैक्ट्री है . इसमें हर वक़्त कोई ना कोई thought बनती रहती है. और इस काम को कराने के लिए हमारे पास दो बड़े ही आज्ञाकारी सेवक हैं और साथ ही ये अपने काम में माहिर भी हैं . आप कभी भी इनकी परीक्षा ले लीजिये ये उसमे सफल ही होंगे . आइये इनका परिचय कराती  हूँ-, पहले सेवक का नाम है- Mr. Triumph या मिस्टर विजय, दुसरे सेवक का नाम है- Mr. Defeat या मिस्टर पराजय, Mr . विजय का काम है आपके आदेशानुसार positive thoughts का निर्माण करना. और Mr. पराजय का काम है आपके आदेशानुसार negative thoughts का निर्माण करना.... और ये सेवक इतने निपुण हैं कि ये आपके इशारे के तुरंत समझ जाते हैं और बिना वक़्त गवाएं अपना काम शुरू कर देते हैं.,
                           Mr. विजय इस बात को बताने में महारत हासिल  हैं कि आप कोई भी काम  कैसे  कर सकते हैं?, आप क्यों सफल हो सकते हैं?  जबकि, Mr. पराजय इस बात को बताने में महारत हासिल हैं कि आप  कोई भी काम  क्यों नहीं कर सकते हैं?,आप क्यों असफल हो सकते हैं?, जब आप सोचते हैं कि मेरी life क्यों अच्छी है तो तुरंत Mr. विजय इस बात को सही साबित करने के लिए आपके दिमाग में positive thouhts produce करने लगते है, जो आपके अब तक के जीवन के अनुभवों से निकल कर आती है . जैसे कि-, मेरे पास इतना अच्छा परिवार है., मुझे चाहने वाले कितने सारे अच्छे लोग हैं ., मैं well settled हूँ, financially इतना सक्षम हूँ कि खुश रह सकूँ ., मैं जो करना चाहता हूँ वो कर पा रहा हूँ. etc., इसके विपरीत जब आप सोचते हैं कि मेरी life क्यों अच्छी नहीं है ,तो तुरंत Mr. पराजय इस बात को सही साबित करने के लिए आपके दिमाग में negative thoughts produce करने लगते है. जैसे कि-, मैं अपनी life में अभी तक कुछ खास नहीं achieve कर पाया, मेरी नौकरी मेरी काबलियत के मुताबिक़ नहीं है, मेरे साथ हमेशा बुरा ही होता है.etc., ये दोनों सेवक जी जान से आपकी बात का समर्थन करते हैं . अब ये आपके ऊपर depend करता है कि आप इसमें से किसकी services लेना चाहते हैं ....... इतना याद रखिये कि इनमे से आप जिसको ज्यादा काम देंगे वो उतना ही मजबूत होता जायेगा और एक दिन वो इस फैक्ट्री पर अपना कब्ज़ा कर लेगा, और धीरे-धीरे दुसरे सेवक को बिलकुल निकम्मा कर देगा.अब आप को decide करना है कि आप किसका कब्ज़ा चाहते हैं- मिस्टर विजय का या मिस्टर पराजय का?,
                          यदि life को improve करना है तो जितना अधिक हो सके thoughts produce करने का काम Mr. विजय को ही दीजिये . यानि positive self talk कीजिये . नहीं तो अपने आप ही Mr. पराजय अपना अधिकार जमा लेंगे., मैंने कई बार is simple but effective technique का use किया है. मैं अपने thoughts पर हमेशा नज़र रखती  हूँ और जैसे ही negative thoughts का production बढ़ने लगता है मैं तुरंत Mr. विजय को काम पर लगाने की शुरुआत कर देती  हूँ, यानि मैं कुछ ऐसे statements खुद से बोलती  हूँ जो positive thoughts की chain बना देते हैं और मैं वापस  अपने    track पर आ जाती  हूँ......         जैसे जब मुझे लगता है कि मेरी personal relationships में तनाव आ रहा है तो मैं खुद से बोलती  हूँ कि भगवान  आपने ने मुझे कितना प्यार करने वाले लोग दिए हैं...... और बस आगे का काम मिस्टर विजय कर देते हैं. वो personal relationships से related मेरे सुखद अनुभव को मेरे सामने गिनाने लगते हैं और कुछ ही देर में मेरा मूड बिलकुल सही हो जाता है. और जब mood सही हो जाता है तो वो मेरे actions में भी reflect करने लगता है.फिर तो सामने वाला भी ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रह पाता और जल्द ही सारी खटास निकल जाती है और फिर सब अच्छा लगने लगता है...........,
                           Thoughts को positive रखने का ये एक बहुत ही practical तरीका है. बस आपको जब भी लगे कि आपके ऊपर negativity हावी हो रही है तो तुरंत उस विचार के विपरीत विचार मन में लाइए. जैसे कि यदि आपके मन में विचार आता है कि आप काबिल नहीं हैं तो तुरन्त इसका उल्टा प्रश्न Mr. विजय से कीजिये कि ,” Mr. Vijay बताइए मैं काबिल क्यों हूँ?” और आप पायेंगे कि आपका ये सेवक आपके सामने उन अनुभवों को रखेगा जिसमे आपने कुछ अच्छा किया हो, जैसे...आपने कभी कोई prize जीता हो, किसी की मदद की हो, कोई ऐसी कला जिसमे आप औरों से बेहतर हों,etc., बस इस बात का ध्यान रखियेगा कि आप स्वयं से जो प्रश्न कर रहे हैं वो सकारात्मक हो नकारात्मक नहीं. ........., आप भी इसे आजमा  कर के देखिये. अपने thoughts पर नज़र रखिये , और जब आपको लगे कि मिस्टर पराजय कुछ ज्यादा ही सक्रीय हो रहे हैं तो जल्दी से कुछ positive self talk कीजिये और मिस्टर विजय को काम पर लगा दीजिये.और फिर देखिये आप उसका 
परिणाम ...................
                             Thanks . I hope it works for you.

Monday, 16 January 2012

मुझे वहीं ठहर जाना था...................

कसम से तुम्हारी बहुत याद आती है, जितना तुम समझते हो और जितना मैं तुमसे छिपाती हूँ उससे कहीं ज्यादा. मैं अक्सर तुम्हारे चेहरे की लकीरों को तुम्हारे सफहों से मिला कर देखती हूँ कि तुम मुझसे कितने शब्दों का झूठ बोल रहे हो...तुम्हें अभी तमीज से झूठ बोलना नहीं आया. तुम उदास होते हो तो तुम्हारे शब्द डगर-मगर चलते हैं. तुम जब नशा करते हो तो तुम्हारे लिखने में हिज्जे की गलतियाँ बढ़ जाती हैं...मैं तुम्हारे ख़त खोल कर पढ़ती हूँ तो शाम खिलखिलाने लगती है.

वो दिन बहुत अच्छे हुआ करते थे जब ये अजनबीपन की बाड़ हमारे बीच नहीं उगी थी...इसके जंग लगे लोहे के कांटे हमारी बातों के तार नहीं काटा करते थे उन दिनों. ठंढ के मौसम में गर्म कप कॉफ़ी के इर्द गिर्द तुम्हारे किस्से और तुम्हारी दिल खोल कर हंसी गयी हँसी भी हुआ करती थी. लैम्पोस्ट पर लम्बी होती परछाईयाँ शाम के साथ हमारे किस्सों का भी इंतज़ार किया करती थी. तुम्हें भी मालूम होता था कि मेरे आने का वक़्त कौन सा है. किसी को यूँ आदत लगा देना बहुत बुरी बात है, मैं यूँ तो वक़्त की एकदम पाबंद नहीं हूँ पर कुछ लोगों के साथ इत्तिफाक ऐसा रहा कि उन्हें मेरा इंतज़ार रहने लगा एक ख़ास वक़्त पर. मुझे बेहद अफ़सोस है कि मैंने घड़ी की बेजान सुइयों के साथ तुम्हारी मुस्कराहट का रिश्ता बाँध दिया और मोबाईल की घंटी का अलार्म.

वक़्त के साथ परेशानी ये है कि ये हर शाम वहीं ठहर जाता है...मैं घड़ी को इग्नोर करने की पुरजोर कोशिश करती हूँ पर यकीन मानो मेरे दोस्त(?) मुझे भी उस वक़्त तुम्हारी याद आती है. कभी कभी छटपटा जाती हूँ पूछने के लिए...कि तुम ठीक तो हो...तुम्हारा कहना सही है, तुम्हारी फ़िक्र बहुत लोगों को होती है...इसी बात से इस बात की भी तसल्ली कर लेती हूँ कि जो लोग तुम्हारा हाल पूछते होंगे वो वाकई तुम्हारा ध्यान रखेंगे, मेरी तरह दूर देश में बैठ कर ताना शाही नहीं चलाएंगे. मुझे माफ़ कर दो कि मैंने बहुत सी शर्तें लगायीं...बहुत से बंधन बांधे... तुम कहीं बहुत दूर आसमानों के देश के हो, मुझे जमीनी मिटटी वाली से क्या बातें करोगे. मैं खामखा तुम्हें किसी कारवां की खूबसूरत बंजारन से शादी कर लेने को विवश कर दूँगी कि इसी बहाने तुम कहीं आस पास रहोगे.

तुम आसमानों के लिए बने हो मेरे दोस्त...अच्छा हुआ जो हमारी दोस्ती टूट गयी. इसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जिसके लिए दो लम्हा भी रुका जाए...कई बार तो मुझे अफ़सोस होता है तुम्हारा वक़्त जाया करने के लिए. तुम्हारी जिंदगी में बेहतर लोग आ सकते थे...बेहतर किताबें हो सकती थीं, बेहतर रचनायें लिखी जा सकती थीं. तुम उस वक़्त का जाहिर तौर से कोई बेहतर इस्तेमाल कर सकते थे...तुम्हारे दोस्त कुछ बेहतर लोग होने चाहिए...मैं नहीं...मैं बिलकुल नहीं. तुम कोई डिफेक्टिव पीस नहीं हो कि जिसे सुधारा जाए...मैं तुम्हें बदलते बदलते तोड़ दूँगी, मैं अजीब विध्वंसक प्रवृत्ति की हूँ.

तुम्हें पता है लोग कब कहते हैं की 'मुझसे दूर रहो'?
जब उन्हें खुद पर विश्वास नहीं होता...जब वो इतने कमजोर पड़ चुके होते हैं कि खुद तुमसे दूर नहीं जा सकते...तब वे चाहते हैं कि तुम उनसे दूर चले जाओ.


आज बशीर बद्र का एक शेर याद आया तुम्हारी याद के साथ...
मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है
मगर उसने मुझे चाहा बहुत है 


मैं तुम्हारे बिना जीना सीख रही हूँ, थोड़ी मुश्किल है...पर जानते हो न, बहुत जिद्दी हूँ...ये भी कर लूंगी. 

हाँ, एक बात भूल गयी...

तुम मुझसे दूर ही रहो!

Sunday, 8 January 2012

Kaha tha na k......................................

Kaha tha na k u sotey
huey chor k mat
jana,mujhey besak
jaga dena.tumhe
rishta bdalna
hai.meri hadd se niklna h ai....
tumhe kis baat ka
darr tha?mai tumhe
jane nahi deta.kahi
pe kaid kr leta.arey
pagal pyar me jbardasti nahi
hoti.jise rasta bdalna
ho ushey rasta
bdalne se,jise hadd
se niklna ho ushey
hadd se niklne se.na koi rok paya hai na
rok payega.to tumhe
kis baat ka darr tha?
mujhey besak jga
deti to mai tumko
dekh he leta.tumhe koi dua deta.km se
km u na hota.mere
7thi pr ye hakikat hai
tumhare baad khone
k liye kuch b baki
nahi.magar mai khone se darta
hu,mai ab sone se
darta hu..........
kaha tha na u
mujhey sota chor k
mat jana......................................