Thursday, 23 August 2012

Hum na smjhe the .......

Hum na smjhe the baat itni si.... 
Gahri thi raat ya gharayi thi unki yaado me..... 
Jo unki yaado se nikal ke bhi kho na sake hum.......
 Dard bahut tha dil me ya.... 
Unke dard ko sahne ka jajjba.......
 Jo useke diye dard pe bhi na ro sake hum.... 
Vo nahi humara jo puche humse ,.... 
Jag rahe ho mere liye ya........ 
Mere liye tum soye nahi...

Thursday, 16 August 2012

पलट देखोगे.........



कभी सोचा न था तुम कुछ ऐसे मिलोगे...

आंख मिलाकर भी, मुंह मोड़कर चल दोगे...

हम खड़े सोचते रहे गए इक बार शायद पलट देखोगे...

kabi socha na tha, tum kuch ease miloge...

aankh milakar bhi, muh modkar chal doge...

hum khade sochte rah gaye, ik bar shyaid palat dekhoge.... 

Tuesday, 14 August 2012

Mehfil .....

Mehfil jab lagi thi yaaro ki,
Mujhko bhi bulawa aaya tha.
Kaise ,na jate hum?...
Unki kasmein dekar jo bulwaya tha.
Jab kehne ko kuch kaha gaya,
To khayal unka hi aaya tha.
Fir akshr-akshr jod k maine,
Dil ka dard sunaya tha.
Tab aansu uski yado k,
Na-na krte nikal gye. 
Jo smjhe wo khamosh rhe:,
Baaki WAH WAH krte nikl gye.

Sunday, 12 August 2012

मंदिर-मस्जिद-गिरिजाघर ने ............

मंदिर-मस्जिद-गिरिजाघर ने 
बांट लिया इंसान को 
धरती बांटी, सागर बांटा 
मत बांटों इंसान को। 

अभी राह तो शुरू हुई है 
मंजिल बैठी दूर है 
उजियाला महलों में बंदी 
हर दीपक मजबूर है। 

मिला न सूरज का संदेशा 
हर घाटी मैदान को। 
धरती बांटी, सागर बांटा 
मत बांटों इसान को। 
अब भी हरी भरी धरती है 

ऊपर नील वितान है 
पर न प्‍यार हो तो जग सूना 
जलता रेगिस्‍तान है। 

अभी प्‍यार का जल देना है 
हर प्‍यासी चटटान को 
धरती बांटी, सागर बांटा 
मत बांटों इंसान को। 

साथ उठें सब तो पहरा हों 
सूरज का हर द्वार पर 
हर उदास आंगन का हक हो 
खिलती हुई बहार पर। 

रौंद न पाएगा फिर कोई 
मौसम की मुस्‍कान को। 
धरती बांटी, सागर बांटा 
मत बांटों इंसान को।

कहना चाहो ........

हना चाहो तो कह ही दो ..........
पर कहना कुछ इस तरह की....................
 बिना कहे ही सब कुछ कह देना.......................
 न शेष रहे कुछ कहने को......................
 न बचे कुछ सुनाने को ................