Well-known Chipku हा यही नाम तो दिया था अखिल ने विभा को जिस रात वो पहली बार मिले थे | विभा अखिल से अपने लिए ये सम्बोधन सुन कर मुस्कराते हुये अखिल की आखो मे देखती हुई समझने की कोशिश करती रह गयी कि उसने प्यार से कहा या मजाक मे. ...
आज ना जाने क्यो विभा को अखिल की बहुत याद आ रही थी | कैसे अखिल उसके एक एक मैसेज के लिये इन्तजार किया करता था , रोज घडी मे तीन बजते ही कभी फेसबुक पर , कभी याहू मैसेन्जर पर और फिर मेल पर उसके मैसेज आने लगते थे, और फिर एक दो मैसेज के बाद मान मनुहार भी शुरू हो जाता फिर विभा भी जवाब दे दिया करती | धीरे धीरे कब विभा को अखिल के मैसेजो का इन्तजार रहने लगा उसे पता भी नही चला | वह 3 बजते ही किसी ना किसी बहाने से कम्प्यूटर के सामने बैठ जाती और उदय के मैसेज के साथ उन दोनो मे शहद मे डूबी बातो का दौर शुरू होता तो समय का कुछ पता ही ना चलता | विभा को कभी कभी अखिल के मैसेज कुछ अजीब जरूर लगते थे और जब वह इस विषय मे कुछ बोलती तो मै तुमसे फ्लर्टीगं नही प्यार करता हूँ जानेमन,जिगर का छल्ला , चश्मेबद्दूर लिखा हुआ मुस्कराते स्माइल के साथ अखिल का एक मैसैज कम्प्यूटर स्क्रीन पर चमक जाता और विभा भी मुस्करा कर ठीक है जानेमन बोल देती |
उस दिन भी तो विभा लन्च के बाद अपने आफिस मे ही बैठी कुछ काम कर रही थी जब उसके मोबाइल पर एक अनजाने न. से काल आया था, विभा मार्केटिग के जाब करती थी सो उसके नम्बर पर अनजान नम्बर से काल आया करती इसलिए उसे कुछ भी अजीब नही लगा लेकिन फोन उठाने के बाद दूसरी तरफ से आवाज आयी ....हैलो , पहचाना मुझे विभा आश्चर्य से नही आप कौन ..मै रोज ही तो हमारी बात होती है मै अखिल उदयपुर से ..इतना सुनते ही विभा को खुश तो हुई लेकिन उसे आश्चर्य भी बहुत हुआ .. हा जी पहचान तो गये लेकिन आपको मेरा नम्बर कहा से मिला बस इतना ही पूछ पायी थी विभा | जी वो आपके फेसबूक प्रोफाईल से मिला | विभा... लेकिन वहा से तो मैने बहुत पहले ही हटा दिया है अपना नम्बर और आप तो आज इतना ही बोल पायी थी कि उधर से अखिल बोला हा जी मैने भी बहुत पहले ही लिया था पर फोन आज कर रहा हू|
फिर दौनो देर तक बाते करते रहे | अब तो अक्सर ही जब भी विभा मैसेन्जर पर जवाब देने मे देर करती अखिल की काल आ जाती | जून की गरमी के दिन थे जब विभा के पास ऊदयपुर के कालैज से इन्टरव्यू के लिये बुलावा आया, विभा ने कितना खुश होते हुये अखिल को बताया था कि उसके शहर ने उसे बुलावा भेजा है और वह उसके शहर की मेहमान बनने वाली है| अखिल भी तो सुन कर बहुत खुश हुआ था और होता भी क्यो ना इतने दिनो बाद दोनो के मिलने की सम्भावना जो नजर आयी थी| विभा को अखिल ने फोन से उसके कालेज का पूरा रास्ता कैसे कैसे जाना है सब समझा दिया | विभा के उदयपुर पहुचने पर वह पल पल की खबर लेता रहा| विभा के कालेज पहुच जाने पर उसने बेस्ट विशेज दी और धीरे से पूछा क्या हम मिल सकते है .. विभा ने भी थैक्स के साथ कहा आज तो यही पूरा दिन लग जायेगा कल मिल सकते है लेकिन शर्त होगी कि एक दिन मे पूरा शहर घूमाना होगा | अखिल तुरन्त तैयार होगा वो तो मिलना चाहता ही था| फिर अगले दिन दोनो मिले खूब सारी बाते हुयी और शाम को विभा अपने शहर चली गयी और अखिल यादो मे| अब दोनो के बीच बातो का सिलसिला कुछ ज्यादा भी हो गया था दिन मे भी रातो को भी धीरे धीरे विभा को भी विश्वास हो गया कि अखिल उससे प्यार करता है|और जब अखिल को ये लगने लगा कि विभा उसके प्यार मे डूब चुकी है तो वह धीरे धीरे कटने लगा| उस दिन भी तो विभा ने ना जाने कितनी मिन्नते करके कितनी मुश्किलो से अखिल को बुलाया था| और अखिल भी कितने प्यार से बाते करता रहा पूरे समय , समय कैसे गुजर गया पता ही नही चला | हा बातो बातो मे ही अखिल ने उसे well-known Chipku बोल दिया था , जो विभा को समझ नही आ रहा था कि अखिल ने मजाक मे बोला,प्यार मे बोला या सच मे बोला...और अगर विभा well-known Chipku थी तो अखिल भी किसी chipku से कम तो नही था ...अखिल को तो उसके भावनाओ के साथ खेलना ही था , बेवकूफ तो वो खुद थी जो ऐसे अखिल की बातो मे उलझ गयी
आज ना जाने क्यो विभा को अखिल की बहुत याद आ रही थी | कैसे अखिल उसके एक एक मैसेज के लिये इन्तजार किया करता था , रोज घडी मे तीन बजते ही कभी फेसबुक पर , कभी याहू मैसेन्जर पर और फिर मेल पर उसके मैसेज आने लगते थे, और फिर एक दो मैसेज के बाद मान मनुहार भी शुरू हो जाता फिर विभा भी जवाब दे दिया करती | धीरे धीरे कब विभा को अखिल के मैसेजो का इन्तजार रहने लगा उसे पता भी नही चला | वह 3 बजते ही किसी ना किसी बहाने से कम्प्यूटर के सामने बैठ जाती और उदय के मैसेज के साथ उन दोनो मे शहद मे डूबी बातो का दौर शुरू होता तो समय का कुछ पता ही ना चलता | विभा को कभी कभी अखिल के मैसेज कुछ अजीब जरूर लगते थे और जब वह इस विषय मे कुछ बोलती तो मै तुमसे फ्लर्टीगं नही प्यार करता हूँ जानेमन,जिगर का छल्ला , चश्मेबद्दूर लिखा हुआ मुस्कराते स्माइल के साथ अखिल का एक मैसैज कम्प्यूटर स्क्रीन पर चमक जाता और विभा भी मुस्करा कर ठीक है जानेमन बोल देती |
उस दिन भी तो विभा लन्च के बाद अपने आफिस मे ही बैठी कुछ काम कर रही थी जब उसके मोबाइल पर एक अनजाने न. से काल आया था, विभा मार्केटिग के जाब करती थी सो उसके नम्बर पर अनजान नम्बर से काल आया करती इसलिए उसे कुछ भी अजीब नही लगा लेकिन फोन उठाने के बाद दूसरी तरफ से आवाज आयी ....हैलो , पहचाना मुझे विभा आश्चर्य से नही आप कौन ..मै रोज ही तो हमारी बात होती है मै अखिल उदयपुर से ..इतना सुनते ही विभा को खुश तो हुई लेकिन उसे आश्चर्य भी बहुत हुआ .. हा जी पहचान तो गये लेकिन आपको मेरा नम्बर कहा से मिला बस इतना ही पूछ पायी थी विभा | जी वो आपके फेसबूक प्रोफाईल से मिला | विभा... लेकिन वहा से तो मैने बहुत पहले ही हटा दिया है अपना नम्बर और आप तो आज इतना ही बोल पायी थी कि उधर से अखिल बोला हा जी मैने भी बहुत पहले ही लिया था पर फोन आज कर रहा हू|
फिर दौनो देर तक बाते करते रहे | अब तो अक्सर ही जब भी विभा मैसेन्जर पर जवाब देने मे देर करती अखिल की काल आ जाती | जून की गरमी के दिन थे जब विभा के पास ऊदयपुर के कालैज से इन्टरव्यू के लिये बुलावा आया, विभा ने कितना खुश होते हुये अखिल को बताया था कि उसके शहर ने उसे बुलावा भेजा है और वह उसके शहर की मेहमान बनने वाली है| अखिल भी तो सुन कर बहुत खुश हुआ था और होता भी क्यो ना इतने दिनो बाद दोनो के मिलने की सम्भावना जो नजर आयी थी| विभा को अखिल ने फोन से उसके कालेज का पूरा रास्ता कैसे कैसे जाना है सब समझा दिया | विभा के उदयपुर पहुचने पर वह पल पल की खबर लेता रहा| विभा के कालेज पहुच जाने पर उसने बेस्ट विशेज दी और धीरे से पूछा क्या हम मिल सकते है .. विभा ने भी थैक्स के साथ कहा आज तो यही पूरा दिन लग जायेगा कल मिल सकते है लेकिन शर्त होगी कि एक दिन मे पूरा शहर घूमाना होगा | अखिल तुरन्त तैयार होगा वो तो मिलना चाहता ही था| फिर अगले दिन दोनो मिले खूब सारी बाते हुयी और शाम को विभा अपने शहर चली गयी और अखिल यादो मे| अब दोनो के बीच बातो का सिलसिला कुछ ज्यादा भी हो गया था दिन मे भी रातो को भी धीरे धीरे विभा को भी विश्वास हो गया कि अखिल उससे प्यार करता है|और जब अखिल को ये लगने लगा कि विभा उसके प्यार मे डूब चुकी है तो वह धीरे धीरे कटने लगा| उस दिन भी तो विभा ने ना जाने कितनी मिन्नते करके कितनी मुश्किलो से अखिल को बुलाया था| और अखिल भी कितने प्यार से बाते करता रहा पूरे समय , समय कैसे गुजर गया पता ही नही चला | हा बातो बातो मे ही अखिल ने उसे well-known Chipku बोल दिया था , जो विभा को समझ नही आ रहा था कि अखिल ने मजाक मे बोला,प्यार मे बोला या सच मे बोला...और अगर विभा well-known Chipku थी तो अखिल भी किसी chipku से कम तो नही था ...अखिल को तो उसके भावनाओ के साथ खेलना ही था , बेवकूफ तो वो खुद थी जो ऐसे अखिल की बातो मे उलझ गयी