हमने प्यार में कोई पागलपन नहीं किया। ना एक दूसरे के नाम के टैटू शरीर पर गुदवाये, ना नीट वोदका पी, ना समंदर किनारे दिन दहाड़े प्यार किया , ना रातभर जग कर बाते करी । लेकिन जो कुछ भी किया वो किसी और के बस की बात भी नही .......बस आपको छू के देखा है और हर बार कोशिश की है आपके खुशबू को ,आपको महसूस करने की । कई बार बिना देखे भी महसूस किया है अपने आस पास , बहुत करीब मे ..हमने कुछ शामे कुछ रातें साथ मे गुजारी है और साथ मे होते थे सिर्फ हम आप और हमारी खामोशी , वो भी एक कोशिश थी आपकी खामोशियों को पढ़ने की ....आपको बिना छुए , दूरियो के साथ महसूस करने की , और ये सब मैने किया है ....पायी है कामयाबी आपकी खामोशियों को पढ़ने की ,आपको समझने की और आपसे दूर रह कर भी आपको महसूस करने की | आपकी खुशबू बिखर जाती है कई बार मेरे आसपास , जब आप हमसे बहुत दूर होते है तब भी और बहुत मुश्किल होता है खुद का खुद मे होना।
आपको पता है , जब आप रेलवे स्टेशन पर छोड़ गये थे. हम देर तक भीगते रहे आपकी यादो मे और मेरे ऑसूओ से भीगें थे मेरे दोनो गाल और कन्धे की शर्ट तुम्हारे ।तुम्हारी ज़ुदाई मे जार जार रोया था दिल मेरा और मेरे इय गम मे साथी थे इन्द्र देव के बादल भी । उन्होने भीगा दिया था पूरा गुलाबी शहर , ख्वाजा का शहर और सीमाए तोड़ दी थी नगरों की। नवीबों का कहे या झीलो का शहर कहे .... इन सबने पूरा साथ दिया था मेरा उस ज़ुदाई के पलों मे भी, मुझे याद है पूरी रात बरसा था बादल उस रोज़।
जुदा होते वक़्त आप आये थे मेरे पास बहुत पास तक और छुआ था सिर्फ मेरी बाहो को और आपकी उस छुअन मे कशिश थी सबके सामने सबकी नज़रे चुरा कर मुझको बाहो मे भर लेने की |वो कुछ अलग सा था पर मुझे बहुत अच्छा लगा था वो आगोश़।
आपके मुझे छोड़ कर वापस जाते वक़्त मैं रोक लेना चाहती थी और ज़ोर से चिल्लाना चाहती थी कि "आप रोज ऐसे ही क्यों नहीं रहते , आप मत जाइये ना" !!!!
बस यू ही
गर याद हो वो गुलाबी शहर की गुलाबी शाम
Tuesday, 15 October 2019
गर याद हो गुलाबी शहर की वो गुलाबी शाम
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