Monday, 16 December 2019

सर्दी की वो रात

  सुनो ना..
             ये सर्द मौसम अब थोड़ा आशिक़ाना भी हो   गया है....काले घने बादल इस तरह उमड़ घुमड़ कर   आ रहे हैं , जैसे तुम्हारी यादें आती हैं...रह रह कर   बिजली बिल्कुल तुम्हारे तरह कड़कते हुये डरा रही।   है, और तुमसे ही डर कर मैं तुम्हारे ही आगोश मे     सिमट जाना चाहती हूँ।
             बारिश की बूँदों सराबोर कर दिया है इस ।     मिट्टी को और मिटटी से आती हुई सौंधी सौंधी खुशबू   तुम्हारे यही कही मेरे आस पास  होने का एहसास   करा रही है । ये तुम्हारे होने का एहसास ये महक।   मदहोश कर रहा है ।
             इस बारिश की बूँदों ने तुम्हारे प्यार की तरह।  मुझे सराबोर कर दिया है, और मैं दीवानों जैसे       तुम्हारी उस पुरानी तस्वीर को जो सालों पहले हमने   लिया था एक ऐसी ही सर्द रात में को एक टक निहार रही हूँ इसी उम्मीद में कि एक दिन तो ऐसा फिर से   ज़रूर आएगा जब तुम मेरी बाँहों में होगे हमेशा के   लिये।
#बस_यू_ही

अज़ब मुलाकात की गज़ब कहानी


अज़ब मुलाकात की गज़ब कहानी

वो मुलाकात ,
पहली मुलाकात थी,
तुमसे भी और जिन्दगी से भी.
कितनी अजीब थी,
कितनी अचानक.
ना तुम्हे पता था ना हमे गुमान...
किसे पता था,
नौकरी के साक्षात्कार के साथ...
जिन्दगी से भी सामना हो जायेगा...
वो तुम्हारा हौले से पूछना ,
कि क्या हमसे भी मिलोगी।
वो मेरा वैसे ही हॉमी भरना,
वो गुलाबी शहर का वो,
गुलाबी सा सिन्धी कैम्प...
क्या गज़ब इत्तेफाक था।
गुलाबी सूट मेरा और ,
वो अनजाने मे ही तुम्हारे
शर्ट का गुलाबी होना।
कितना अजीब था ना सब
पहली मुलाकात में 
एक जान पहचान वाले 
अनजान के साथ 
वो घन्टों तक गुलाबी शहर 
की सड़को पर घूमना,
जयपुर के मोक्ष बजार से विश्वविद्यालय तक 
जौहरी बाजार से ऐलीमेन्ट मॉल तक घूमना
वो लम्बी कभी खत्म ना होने वाली बातें,
घर से कालेज तक
नौकरी से परिवार तक
अन्ना से मोदी तक 
कुछ भी तो ना छूटा था 
अपनी बातों में...
बातों बातों में कैसे 
घन्टे पलों मे बदल गये 
खबर भी नहीं...
वो हमारी रवानगी का 
आलम भी कितना गज़ब था।  
आखिर में मेरा बस के टिकट के लिये जाना और बस वाले का टिकट के लिये मना करने पर मेरा परेशान होना...
वो आपका टिकट के लिये तुरन्त जाना 
और ले कर आना...
कितना कुछ तो कह गया था 
जो था अनकहा सा।
आपकी रूमानियत से भरी
नज़रे टिकी हुयी थी 
मेरे चेहरे पर और 
चाहती थी उतर जाना दिलों में।
तभी देखा था हमने भी
पहली बार आपकी चेहरे को , 
पकड़ी गयी थी आपकी पहली चोरी।
उलझ गयी थी नज़रे हमारी।
जितना अज़ीब था ना वो पहली मुलाकात  
उतना ही गज़ब था हमारी रवानगी
ऑखो ऑखों मे चुरा ले गये थे 
आप मेरा सब कुछ 
गुलाबी होठ आपके, 
मदहोश सी ऑखें,
पीछा करते हुये 
साथ आ गयी थी हमारे।
#बस_यू_ही