पिता
पिता एक बच्चे के लिए एक उम्मीद है।
उससे ही बंधी उसकी हर एक आस है।
पिता परिवार के लिए हौसलों और हिम्मत का स्तंभ हैं।
पिता कभी ना टूटने वाले भरोसे और विश्वास का नाम है।
देखने में लगते वो थोड़े से सख्त हैं,
लेकिन उनके दिल में भी दफन कई मर्म है।
पिता हर मुश्किल सवाल का जवाब हैं।
परेशानियों से लड़ने वाली दो धारी तलवार है।
पिता जिम्मेदारी के रथ का सारथी है,
अपने बच्चों को हक़ दिलाने में महारथी है।
पिता बचपन में हमें चलना सिखाता है।
भले ही जेब खाली हो, हमारी हर ज़िद
पूरी करते।
सारी दुनिया से हमें जिताना चाहते
और खुद हमसे हार कर खुशियां मनाते।
पिता से ही बच्चों की पहचान है,
पिता जमीर,जागीर और ईमान है।
पिता हैं तो हम हैं और अगर,
हम हैं तो मतलब पिता हैं।
पिता दुनिया में रहे या ना रहे
देते वो हमेशा साथ है।
वो मेरे साथ भी पराया था....
और मैं हिज़्र में भी उसकी थी...
कैद कैसे मैं हो गयी हूँ आज...
पापा कहते थे मैं गिलहरी हूँ....
नीलम वन्दना