Monday, 13 March 2023
कभी तोड़ती थी वो पत्थर
कभी तोड़ती थी वो पत्थर पर अब वह नहीं तोड़ती उनको.....
कभी तोड़ती थी वो पत्थर पर
अब वह नहीं तोड़ती उनको....
अब वक्त बदल गया....
वह अबला सी दिखने वाली स्त्री भी आज बदल गयी...
लेकिन गर कुछ नहीं बदला है तो उसका तोड़ना......
अब वह पत्थर नहीं तोड़ती.....
अब वह तोड़ती है रुढ़िवादी विचारो को....
अब वह तोड़ती है अनायास में कसे हुए बेड़ियों की जकड़नों को....
अब वह तोड़ती है अपने ही पूर्व में बनाये किसी रिकार्ड को...
और रचती है नित नये आयाम...
छूती है सफलता के नये शिखर को..
और सीखती हैं अपने ही जीवन में से कुछ पल खुद के लिए जीना...
सीखती हैं अपने परिवार व समाज के लिए जीना..
और बनाती हैं एक खुशहाल परिवार. ..
वह देती हैं अपना योगदान एक स्वस्थ समाज के निर्माण में. ...
अब वह नही तोड़ती पत्थर और सहेजती हैं बड़े प्यार से सभ्यता और संस्कृति को
अब वह उठाती है ज़िम्मेदारियां घर के साथ बाहर की भी...
और साथ चलती हैं कन्धे से कन्धा मिलाकर...
वह बनती है सहारा अपने बुजुर्ग हो चुके पिता का और बनती है सम्बल जीवन में संघर्षंरत अपने पति का...
अब वह मार्गदर्शन करती हैं वह अपने युवा हो रहे भाई का....
कभी तोड़ती थी वो पत्थर पर
अब वह नहीं तोड़ती उनको....
अब वक्त बदल गया....
वह अबला सी दिखने वाली स्त्री भी आज बदल गयी...
और अब वह नहीं तोड़ती उन पत्थरों को......
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