Neelam Vandana
Wednesday, 17 July 2024
होली खेले बनारस में
होली खेले बनारस में बाबा
होली खेले बनारस में
फूलों से खेले,रंगों से खेले
और खेलेचिता भस्म से होली खेले बनारस में
बाबा होली खेले बनारस में गंगा किनारे खेले,
मन्दिरों में खेले और खेले मसाने में होली खेले बनारस में
बाबा होली खेले बनारस में
गौरा संग खेले,भक्तों संग खेले और खेले औघड़ साधु संग होली खेले बनारस में
बाबा होली खेले बनारस में
नीलम वन्दना
Monday, 13 March 2023
कभी तोड़ती थी वो पत्थर
कभी तोड़ती थी वो पत्थर पर अब वह नहीं तोड़ती उनको.....
कभी तोड़ती थी वो पत्थर पर
अब वह नहीं तोड़ती उनको....
अब वक्त बदल गया....
वह अबला सी दिखने वाली स्त्री भी आज बदल गयी...
लेकिन गर कुछ नहीं बदला है तो उसका तोड़ना......
अब वह पत्थर नहीं तोड़ती.....
अब वह तोड़ती है रुढ़िवादी विचारो को....
अब वह तोड़ती है अनायास में कसे हुए बेड़ियों की जकड़नों को....
अब वह तोड़ती है अपने ही पूर्व में बनाये किसी रिकार्ड को...
और रचती है नित नये आयाम...
छूती है सफलता के नये शिखर को..
और सीखती हैं अपने ही जीवन में से कुछ पल खुद के लिए जीना...
सीखती हैं अपने परिवार व समाज के लिए जीना..
और बनाती हैं एक खुशहाल परिवार. ..
वह देती हैं अपना योगदान एक स्वस्थ समाज के निर्माण में. ...
अब वह नही तोड़ती पत्थर और सहेजती हैं बड़े प्यार से सभ्यता और संस्कृति को
अब वह उठाती है ज़िम्मेदारियां घर के साथ बाहर की भी...
और साथ चलती हैं कन्धे से कन्धा मिलाकर...
वह बनती है सहारा अपने बुजुर्ग हो चुके पिता का और बनती है सम्बल जीवन में संघर्षंरत अपने पति का...
अब वह मार्गदर्शन करती हैं वह अपने युवा हो रहे भाई का....
कभी तोड़ती थी वो पत्थर पर
अब वह नहीं तोड़ती उनको....
अब वक्त बदल गया....
वह अबला सी दिखने वाली स्त्री भी आज बदल गयी...
और अब वह नहीं तोड़ती उन पत्थरों को......
Wednesday, 6 July 2022
काश कभी ऐसी भी बारिश आये
काश कभी ऐसी भी बारिश आये
रिमझिम बरसते इन बारिशों में
काश कभी ऐसी भी
बारिश आये जिसमें
सबके अहम डूब जाए
मतभेद के किले ढह जाएं
घमंड चूर चूर हो जाए
गुस्से के पहाड़ पिघल जाए
नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाये
प्यार की बारिशों में भींग जाये,
सौहार्द और सद्भावनाओं से
लबालब भरे ताल व तलैये हो,
दया और करुणा से भरी नदियां हो
और हम सब
"मैं" से "हम" हो जाएं ......
काश कभी ऐसी भी बारिश आये....
बस_यू_ही
Monday, 27 June 2022
ज़िन्दगी और हम
ज़िन्दगी और हम
उदास दिल, उलझी हुई ज़िन्दगी और थके हुए हम।
टूटा दिल, बिखरी हुई ज़िन्दगी और हारे हुए हम।
गुजरे हुए लम्हे, यादों में खोई हुई ज़िन्दगी और बदहवाश से हम।
बस यूं ही
Wednesday, 22 June 2022
पिता
पिता
पिता एक बच्चे के लिए एक उम्मीद है।
उससे ही बंधी उसकी हर एक आस है।
पिता परिवार के लिए हौसलों और हिम्मत का स्तंभ हैं।
पिता कभी ना टूटने वाले भरोसे और विश्वास का नाम है।
देखने में लगते वो थोड़े से सख्त हैं,
लेकिन उनके दिल में भी दफन कई मर्म है।
पिता हर मुश्किल सवाल का जवाब हैं।
परेशानियों से लड़ने वाली दो धारी तलवार है।
पिता जिम्मेदारी के रथ का सारथी है,
अपने बच्चों को हक़ दिलाने में महारथी है।
पिता बचपन में हमें चलना सिखाता है।
भले ही जेब खाली हो, हमारी हर ज़िद
पूरी करते।
सारी दुनिया से हमें जिताना चाहते
और खुद हमसे हार कर खुशियां मनाते।
पिता से ही बच्चों की पहचान है,
पिता जमीर,जागीर और ईमान है।
पिता हैं तो हम हैं और अगर,
हम हैं तो मतलब पिता हैं।
पिता दुनिया में रहे या ना रहे
देते वो हमेशा साथ है।
वो मेरे साथ भी पराया था....
और मैं हिज़्र में भी उसकी थी...
कैद कैसे मैं हो गयी हूँ आज...
पापा कहते थे मैं गिलहरी हूँ....
नीलम वन्दना
Saturday, 7 May 2022
मेरा स्पंदन तुमसे है मां
मेरा स्पंदन तुमसे है मां,
पहला स्पर्श तुम्हारा है,
ममता का भंडार भरा तुम्हारा है मां,
सदा बरसता प्यार का ख़ज़ाना है।
ना जाने कितने कष्टों को सहकर तू,
धरती पर मुझको लायी है।
पकड़कर उंगली चलना सिखाया,
बोलना,लिखना,पढ़ना सिखाया,
सही गलत का भेद बताया,
जीवन का हर वो पाठ पढ़ाया,
जो नहीं किसी स्कूल में पढ़ाया जाता।
नन्हे नाजुक बच्चे थे हम,
तुमने हमे भला इन्सान बनाया
अपने प्यार की परवरिश देकर
सबसे प्यार करना हमें सिखाया
गिर गिर के उठना और
नहीं किसी से डरना
स्वाभिमान से आगे बढ़ना
कुछ ऐसे ही जीवन में
आगे बढ़ना हमें सिखाया
क्यों होती है निःस्वार्थ मां
ये मां बनकर ही मैंने भी जाना
धीरज धरना कठिन वक्त में,
ख़ुश रहकर और ख़ुशियां देना
तुमने ही तो हमें सिखाया
तुमसे ही तो घर है बनता
तुमसे ही तो जीवन सजता
तुम हो तो हम सब हैं
और तुममे ही वो रब है बसता
मेरी मां से सुंदर कोई नहीं,
मेरी मां इस जग का तारा है।
ये जीवन ऋणी है सदा तुम्हारा
मेरा स्पंदन तुमसे है मां,
पहला स्पर्श तुम्हारा है,
HAPPY MOTHER'S DAY💐
किताबें
यूं तो ये किताब कहलाती है,
जिनमें कागजों से बने कई
पन्ने एक साथ जुड़े होते हैं।
और जिल्द में कैद होते हैं।
पर ये रूह से आज़ाद है।
इन पन्नों में कैद है,
किसी की भींगी हुयी आँखे,
किसी के खिलखिलाते मोतीसे दांत,
किसी की सांसो की लय पर
गूंजते खामोशी का तरन्नुम,
कैद है किसी के भावनाओं का समन्दर।
इन पन्नों में कैद है,
सदियों का इतिहास
धरा का भूगोल
आकाश मण्डल में
होने वाले
खगोलीय घटनाक्रम
इन पन्नों में कैद है
जलते शमा के
साये से लिपटे
परवाने की कहानी,
हर मुश्किल का समाधान।
इन पन्नों में कैद है
वक्त का हर फलसफा,
खुदा की की इबादत,
ना जाने कितनों के
जीवन का हिसाब किताब
इन पन्नों में कैद है
ज्ञान विज्ञान की
अनगिनत कहानी
अंकों की कारीगरी
शब्दों की जादूगरी
यूं तो ये किताब कहलाती है,
जिनमें कागजों से बने कई
पन्ने एक साथ जुड़े होते हैं।
और जिल्द में कैद होते हैं।
पर ये रूह से आज़ाद है।
नीलम वन्दना
Subscribe to:
Posts (Atom)