Saturday, 26 February 2022

किसे है पता...

किसे है पता...

हम सब कौन है 
कहा से आये है
और जाना है कहा
किसे है पता...

कब कौन सा पल 
किसका आखिरी हो
किसे है पता

सबका है एक अस्तित्व
फिर भी ना जाने किस
अस्तित्व के लिए भिड़े
किसे है पता

इस अस्तित्व के
युद्ध में
कितने मरेंगे
और जाने कब तक मरेंगे 
किसे है पता
 
ना जाने कितने
मर मर के जियेगे
और ना जाने कितने
जी जी कर मरेंगे 
किसको है पता

लम्हों में होती हैं खता
सदियां भुगतती है सजा
किसको नहीं है पता

सबने मिलकर बनाया UNO
और चाहे शान्ति चहुंओर 
फिर भी ये क्यु 
सम्भव ना हो पाता  
किसे हैं पता
नीलम वन्दना

युद्ध की विभिषिका

युद्ध की विभिषिका
राष्ट्रध्यक्षो के आन बान और झूठी शान ने
सुरसा के आनन सा बढ़े हुए महात्वाकांक्षा ने
एक बार फिर से दो राष्ट्रों को झोंक दिया
युद्ध की विभिषिका में....
एक बार फिर से गोला बारूद  फटेंगे
जीवन रक्षक हथियार जीवन भक्षक का रुप धरेगे
हर तरफ बस डर नफरत और बेबसी होगी
बिखरी हर तरफ मौत की दहशत होगी
अनगिनत युवाओं की बलि होगी
 एक बार फिर से रक्त रंजित धरा होगी
कुछ नई लकिरे होगी और
और  फिर 
एक दिन यूं ही 
हार जीत के इस अभियान में
स्वामित्व के अंहकार में
रह जायेगा सब कुछ
थम जाएगा यह युद्ध भी,
दोनों राष्ट्राध्यक्ष हाथ मिला लेंगे,
कागज के कुछ टुकड़ों पर हस्ताक्षर कर लेंगे,
महात्वाकांक्षा की पिपासा में  रक्त सुरा के प्याले होंगे, दावतों के संग नई उपाधी, नये पदनाम और विजय पताका होगी
और ....
और  साथ ही मिलेंगी 
हर गली चौबारे पर 
बूढ़ी मां अपने उम्र के इस पड़ाव पर थकती आंखों से 
बेटों का इंतज़ार करते, 
हर घर के देहरी के भीतर 
बेबस आखो में आंसू भरे दिल को हौसला देते लड़किया अपने अपने पति, प्रेमी और भाईयों का राह तकते
घर के आंगन में मासूम से
गुमसुम बच्चे अपने 
पिता का इंतज़ार करते, 

किसी को कुछ नहीं पता कब क्या हो गया
और लूट गये, घर बार उनके
ना जाने किस बात की कीमत सबने चुकाती है
नीलम वन्दना