एक प्रसिद्ध कहावत है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। अगर इसे जड़ी-बूटी पर लागू किया जाए तो कहना पड़ेगा-कठौती में जड़ी-बूटी तो समझो मन और शऱीर चंगा और ग्रह दोष का भी परिहार। कहने का मतलब यह है कि जड़ी-बूटियों का स्नान तमाम रोगों को दूर तो करता ही है, ग्रह दोष भी दूर कर देता है। अथर्व वेद में जड़ी-बूटियों के तमाम प्रयोग बताए गए गए हैं, जिनमें से यह प्रमुख प्रयोग है।
अमेरिका में जड़ी-बूटियों के इलाज के लिए तमाम तरह के शोध हो रहे हैं। खुद अमेरिकी सरकार ने हमारे यहां की दुर्लभ कई जड़ियों का पेटेंट भी करा रखा है। और एक हमारा देश है कि इस प्राकृतिक संपदा को न तो सहेज पा रहा है, न ही पेटेंट के जरिए विदेशी अधिकार को रोक रहा है और न ही अपने लोगों को कोई संरक्षण, शिक्षा व शोध का साधन मुहैया कराया गया है। जबकि अमेरिका में आम लोग भी जड़ी-बूटी के उपचार से लाभ लेने लगे हैं। एक हमारा देश है, जो पश्चिम की दवाइयों का दीवाना बना हुआ है। अपने देश में जड़ी-बूटी की जानकारी वाली पीढ़ी के न रहने से भी इस दिशा में निजी प्रगति थम सी गयी है। नई पीढ़ी अपने इस संपदा को महत्व नहीं दे रही। लेकिन अथर्व वेद की मानें तो ग्रहों की प्रतिनिधि जड़ी-बूटियों के स्नान से असाध्य रोग तो दूर होते ही हैं, बल्कि ग्रह दोष का भी उपचार हो जाता है। जैसे हम लोग ग्रह दोष दूर करने के लिए तंत्र-मंत्र-यंत्र और अनुष्ठान या रत्नों का इस्तेमाल करते हैं, उसी प्रकार जड़ी स्नान किया जाता है। यह न केवल अन्य के मुकाबले सस्ता है, बल्कि कई गुना कारगर भी है।
भारत में जानकार लोग भी सरकारी मानसिकता खराब होने, प्राच्य विद्याओं को अंधविश्वास से जोड़ने और शोध की सुविधा उपलब्ध न होने से आगे बढ़ने से हिचक रहे थे। लेकिन जब से इंटरनेट पर अमेरिका, जापान, चाइना व अन्य देशों में जड़ी-बूटी पर हो रहे शोध प्रकाशित होने लगे हैं, इसके जानकारों के हौंसले बढ़ गए हैं।
मथुरा में ज्योतिषियों व आयुर्वेद के जानकारों का एक समूह इस दिशा में आगे कदम बढ़ा रहा है। उसका प्रयास है कि जिस काम को निजी स्तर पर करने से अब तक हजारों लोगों को लाभ हुआ है, उसका लाभ जन-जन तक पहुंचे। उन्होंने एक संस्था बनायी है-प्लेनेट्स हर्बस एंड रिसर्च सेंटर और अपने अनुभव व शोध के लाभ को आम लोगों तक पहुंचाने का प्रण लिया है। सभी ग्रहों के अलावा नवग्रह का मिश्रण और ग्रहों के कारण मानसिक कमजोरी, डिप्रेशन, तनाव, बुद्धि व याददाश्त की कमी को दूर करने तथा प्रज्ञा, मेधा व बुद्धिमान बनाने वाला एक मिश्रण तैयार किया है।
संस्था के संरक्षक व निदेशक तथा प्रख्यात ज्योतिषी आचार्य लक्ष्मण दास शर्मा कहते हैं कि किसी भी इंसान की जन्म कुंडली में जो ग्रह खराब होते हैं, उनके तत्वों की कमी आ जाती है। इससे उससे संबंधित रोग भी पैदा होता है और ग्रह दोष भी बनता है। यह जड़ी-बूटी पावडर उनकी कमी को पूरा कर देता है। जीवन में आ रही तमाम परेशानी व अवरोध दूर हो जाते हैं। अथर्व वेद में इसका विस्तार से वर्णन है।
मथुरा के प्रख्यात ज्योतिषी लखन परिहार कहते हैं कि जड़ी-बूटी स्नान के उन्होंने तमाम लोगों पर प्रयोग किए हैं, और शत प्रतिशत रिजल्ट मिला है। इस प्राकृतिक चीज का फायदा सभी को उठाना चाहिए। आयुर्वेद दवाओं की वर्ल्ड फेमस कंपनी सुख संचारक कंपनी के मालिक कीर्तिपाल शर्मा कहते हैं कि उनके तमा्म उत्पादों में जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है, पर ग्रहों की प्रतिनिधि जड़ी-बूटी का स्नान अनोखा कंसेप्ट है। अथर्व वेद में इसका उल्लेख है। यह काम करता है। प्लेनेट्स हर्बस एंड रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर अनुज अग्रवाल कहते हैं कि पूरे देश में इसको हाथों-हाथ लिया जा रहा है। ज्योतिषी इसे मुख्य उपाय बताने लगे हैं तो मार्केट में डिमांड तेजी से निकल रही है। लोगों ने इंटरनेट के माध्यम से भी पावडर मंगाया है, लेकिन सीमित संसाधन की वजह से सभी तक पहुंच नहीं हो पा रही।
——————————ग्रहों व उनसे होने वाले रोग
सू्र्य- गंजापन, बोन कैंसर, हाई ब्लड प्रेशऱ, वीक इम्यून सिस्टम।
चंद्र-गुर्दा, किडनी, अनियमित मासिक धर्म, यूटेरस।
मंगल-रक्त कैंसंर, एपीलिप्सी, रक्त संबंधी रोग, खूनी बबासीर।
बुध-स्किन एलर्जी, अस्थमा, नपुंसकता, नर्वस सिस्टम।
गुरु-मोटापा, कोलेस्ट्रोल, लिवर रोग, थाइराइड।
शुक्र-मधुमेह, वीर्य पतन, वीक सेक्सुअल ओरगन्स।
शनि-ज्वाइंट पेन, दंत रोग, अर्थराइटिस।
राहु-कैंसर, ब्रेन डिस्आर्डर, हाइपर एसीडिटी, हाइपर टेंशन, गैस, कोंस्टीपेशन।
केतु-बवासीर, भगंदर, गुप्त रोग, बहरापन, निम्न रक्तचाप, स्माल पाक्स, मूत्र संबंधी रोग।
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