Wednesday, 31 August 2011

शायद इसीलिए वो नज़रें झुका मिलती है

क्या फ़र्क है ख़ुदा और पीर में 
क्या फ़र्क है किस्मत और तक़दीर में 
चाहो ग़र कुछ दिल से और ना मिल पाए 
तो समझना कुछ और अच्छा लिखा है नसीब में 

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बाहों में भरके सुला दूँ तुझको 
आ खुद में आज छुपा लूँ तुझको 
भरी दुनिया में मुझसा न मिलेगा कोई 
आ ऐसा एक एहसास दिला दूँ तुझको 

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शिकवा रहे हमसे या गिला रहे हमसे 
आरज़ू है बस यही एक सिलसिला रहे हमसे 
फासले हो दरमियां या खता हो कोई 
दुआ है यही के नजदीकियाँ रहें हमसे 

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जाने क्यूँ वो हमसे मुस्कुरा के मिलती है 
अन्दर के सारे ग़म छुपा के मिलती है 
जानती है के आँखें सच बोल जातीं है 
शायद इसीलिए वो नज़रें झुका मिलती है 

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Sunday, 28 August 2011

if you want your dreams come true


The smallest good deed is better than the grandest intention.
Of all the things you wear, your face expression is the most important.
The best vitamin for making friends....B1.
The 10 commandments are not multiple-choice.
The happiness of your life depends on the quality of your thoughts.
Minds are like parachutes, they function only when open.
Ideas won't work unless YOU do.
One thing you can't recycle is wasted time.
One who lacks the courage to start has already finished.
The heaviest thing to carry is a grudge.
Don't learn safety rules by accident.
We lie the loudest when we lie to ourselves.
Jumping to conclusions can be bad exercise.
A turtle makes progress when it sticks its head out.
One thing you can give and still keep is your word.
A friend walks in when everyone else walks out.

Sunday, 21 August 2011

पिता

1..........

पिता ही हो सकते थे क्रूर और कामकाजी
सिर्फ़ पिता ही जान सकते थे कि
यह है निर्ममता
संसार में पता नहीं
किस-किसने झेले होंगे उनके प्रहार
पर संसार के सारे प्रहार
अपनी पीठ पर झेलते
पिता लौटते हैं
बच्चों की दुनियाँ में

बच्चों की दुनिया में
संसार से आतंकित रहते हैं पिता
2.....

पिता आते हैं फ़ुर्सत में
कि ऐन वक़्त चली जाती है माँ
धीरे-धीरे जान पाते हैं पिता

कि फुर्सत में आना
बच्चों की दुनिया में
फ़ालतू हो जाना है

फ़ैलता रहता है बच्चों का संसार
सिमटते रहते हैं पिता
बच्चों के संसार में
जब तब दुखता है पिता का मन
दुखता है पर ख़ुलता नहीं

जब-तब लगती है ठेस
याद आती है माँ
घर के एक कोने में
केवल माँ से बतियाते हैं पिता
अक्सर कहते
यही होता हैव्
यही होता है संसार
और ख़ुश्क आँखों से रोते हैं पिता

3....

पिता माली थे
ध्यान में निरंतर रह्ती थी पौध

पेड़ की कल्पना
छाँव और फ़ल की कल्पना थी

पेड़ों की धमनियों में बहता था
पिता का रक्त
पेड़ों की जड़ों में
पिता का पसीना

पेड़ों की साँसों में थी
संसार की हवा
पेड़ों पर पड़ती थी
संसार की धूप
पिता जहाँ बैठते हैं
वहाँ से हटकर पड़ती है
पेड़ों की छाँव
पिता के हिस्से में नहीं आते
पेड़ों के फल

4.....

अब जबकि पक चुके हैं बाल
पक चुका है मोतिया
अब जबकि क़दम दो क़दम पर
फूलती है साँस
पिता दूर-दराज़ के मजबूर बंजारे हैं

दूर-दराज़ बसे हैं
बच्चों के संसार

अब जबकि अनवरत सिकुड़ रही है
पिता की काया
पिता के कानों में निरंतर गूँजती है
संसारों की चरमर

पिता के ख़्याल में कहीँ भी नहीं है
ऐसा संसार
जिसे लगे हल्का पिता का भार

5......

पिता पैंशन भर नहीं है
न जायदाद
न वसीयत
संसार में पिता सुनते हैं बार-बार
पिता चुप लगा जाते हैं
पिता नहीं कहते
मिथ्याचार मिथ्याचार

Sunday, 14 August 2011

dostiii


Dosti ki bejod misaal ho tum
na hai koi kami lazabab ho tum.
nahi koi aisa mera “Dost” jaisa
doston mai dosti ki ek alag pahchan ho tum
tum se baat ho meri to sukoon milta hai
jab jaata ho mujhe ko kar jata bejaan ho tum.
Nahi karta mann tumse door hone ka ek pal
Mazbooriyon se ghiri bahut pareshan ho tum
Pyar to dekha hai zamane ka maine.
Dosti main muhabbat ki ek alag pahchaan ho tum
Tumhari dosti ne hi ek bejaan ko jaandar banaya
Girte hue dost ko sambhalna sikhaya.
Nahi chuka paungi kabhi dosti ka karz
Kitne pyar se nibhaya tumne dosti ka farz.
Girte hue haalat mai mera maddadgar ho tum
Dosti kya hoti hai is baat se bhi khabardaar ho tum

Tuesday, 9 August 2011

tere shiva kuch bhi nahi...........

Socha Nahi Acha Bura, Dekha Suna Kuch Bhi Nahi
Manga Khuda Se Raat-Din, Tere Siva Kuch Bhi Nahi
Socha Tujhe, Dekha Tujhe, Chaha Tujhe, Pooja Tujhe
Meri Wafa Meri Khata, Teri Khata Kuch Bhi Nahi
Jis Per Humari Aankh Ne Moti Bichaye Raat Bhar
Bheja Vahi Kagaz Use, Humne Likha Kuch Bhi Nahi
Ik Sham Ki Dehleez Per Baithe Rahe Voh Der Tak
Aankhon Se Ki Baatein Bahut Moonh Se Kaha Kuch Bhi Nahi
Do Char Din Ki Baat Dil Khak Mein So Jayega
Jab Aag Per Kagaz Rkha, Baki Bacha Kuch Bhi Nahi
Ehsaas Ki Khushboo Kahan, Aawaz Ke Jugnoo Kahan
Khamosh Yaadon Ke Siva, dil Mein bacha  Kuch Bhi Nahi 

Saturday, 6 August 2011

स्वाभिमान और अभिमान क्या है?????????


स्व + अभिमान =अपनी निजता का मान 
अभिमान -अभि+मान =अपने अंदर का मान
मर्यादा
स्वाभिमान एक धनात्मक और स्वस्थ अर्थ देता है
जबकि अभिमान एक हल्का और नकारत्मक अर्थ देता है .
इन्सान का स्वाभिमान कब उसके ऊपर हो हावी हो कर आभिमान में परिवर्तित हो जाता है उसे पता भी चलता ........
स्वाभिमान उसकी उन्नति में मददगार होता है जबकि अभिमान से उसकी अवन्ती का मार्ग प्रशश्त होता है ,
स्वाभिमान और आभिमान में बहुत ही बारीक़ अंतर होता है....
हमारा स्वाभिमान कब आभिमान में परिवर्तित हो जाता है ..हमे पता भी नहीं चलता.....
असल में जब हम दूसरे के स्वाभिमान को न मानकर सिर्फ अपने स्वाभिमान की बात करते हैं तो हम अभिमानी हो जाते हैं !!
रावण हमेशा अपना स्वाभिमान सोचता था राम का नही ............
स्वाभिमान हमेशा अच्छा होता है जबकि आभिमान बुरा ...अत: हमे हमेशा स्वाभिमानी होना चाहिए ....अभिमानी कभी नहीं.