Friday, 30 March 2012

Dance In Maha Shamshan


          श्मशान यानी जिंदगी की आखिरी मंजिल. और चिता...यानी जिंदगी का आखिरी सच. पर जरा सोचें....अगर इसी श्मशान में उसी चिता के करीब कोई महफिल सजा बैठे और शुरू हो जाए श्मशान नृत्य...तो उसे आप क्या कहेंगे?

                                   काशी संसार की सबसे पुरानी नगरी है। विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है-काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता:।पुराणों के अनुसार यह आद्य वैष्णव स्थान है। काशी की महिमा विभिन्न धर्मग्रन्थों में गायी गयी है। काशी शब्द का अर्थ है, प्रकाश देने वाली नगरी। जिस स्थान से ज्ञान का प्रकाश चारों ओर फैलता है, उसे काशी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि काशी-क्षेत्र में देहान्त होने पर जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है, काश्यांमरणान्मुक्ति:।
लेकिन इसी नगरी मैं है एक अजीब परंपरा जिसके बारे मैं हम आज बताएँगे जिसे सुनकर आप चौक जायेंगे !

                                  ये हैं धार्मिक नगरी काशी का मोक्ष तीर्थ , यहाँ किया जाता हैं वैदिक रीती से अंतिम संस्कार ! कहते हैं यहाँ अंतिम संस्कार होने पर जीव को स्वयं भगवान् शिव देते हैं तारक मंत्र ! लेकिन आज यहाँ हो रहा है नगर वधुओं यानि सेक्स वर्कर्स का डांस लेकिन ऐसा क्यों ? जानने के लिए हमें चलना होगा इस दुनिया की सबसे पुरानी नगरी काशी के इतिहास की ओर ! दरअसल सत्रहवी सताब्ती मैं काशी के राजा मानसिंह ने इस पौराणिक घाट पर भूत भावन भगवान् शिव जो इस शहर के आरद्य देव भी हैं के मंदिर का निर्माण कराया और साथ ही यहाँ करना चाहते थे संगीत का एक कार्यक्रम ! लेकिन ऐसे स्थान जहाँ चिताए ज़लती हों संगीत की सुरों को छेड़े भी तो कौन ? ज़ाहिर है कोई कलाकार यहाँ नहीं आया ! आई तो सिर्फ तवायफें !

                                  लेकिन ऐसा नहीं की इस आयोजान की यही सिर्फ एक वज़ह हो धीरे धीरे ये धारणा भी आम हो गयी की बाबा भूत भावन की आराधना नृत्य के माध्यम से करने से अगले जानम मैं ऐसी त्रिरस्कृत जीवन से मुक्ति मिलती है ! गंगा जमुनी संस्कृति की मिसाल इस धरती पर सभी धर्मो की सेक्स वर्कर्स आती हैं जुबां पे बस एक ही ख्वाहिश लेकर !

                                   शमशान पर सेक्स वर्कर्स का डांस और ये होता है धर्मं की नगरी काशी मैं वषों पुरानी इस परम्परा के पीछे मकसद बस एक
" ये जो किये हो दाता ऐसा न कीजो अगले ज़नम मोहे बिटिया न कीजो"

एक कली थी जूही की .......

एक कली थी जूही की .......


माली ने परवरिश  की  प्यार से .......
 और  कली बन गयी जब फूल ..........
किस्मत का मारा माली .........
फूल को ले गया जालिम .........
एक कली थी जूही की .......
जितने दुलार से की थी माली ने परवरिश ..........
उससे कही अधिक यातनाये दी जालिम ने ...........
कली से बनी फूल .....
एक कली थी जूही की .......
बेचारी थी मजबूर....
धीरे धीरे तन हुआ घायल .........
फिर मन भी हो गया जख्मी............
एक कली थी जूही की .......
खुदा ने की थी एक इनायत..........
 उस फूल को भी दिया एक कली..........
उस कली को बचाती.......
एक कली थी जूही की .......
 लडती किस्मत से अपनी ........
 तन खाती चोट मन पे सहती वार.........
पड़ गयी वो कमजोर ....
हो गयी वो मजबूर .........
एक कली थी जूही की .......
छोड़ दिया उसने जालिम को ..........
साथ में छुट गयी उसकी कली भी ..........
एक कली थी जूही की .......
बेचारा फूल पहले भी जीते जी मर रहा था .......
और अब भी जीते जी मर गया ...........
एक कली थी जूही की .......
बस खुदा के एक और इनायत के इंतजार में.........
 कभी वो सुबह तो होगी ......
 उसको  फिर  उसकी कली मिलेगी ......
एक कली थी जूही की .......

Pakistan......

मैं पाकिस्तान हूँ , कल रात मेरे सपने में बापू आये थे, कहने लगे बेटा आजकल तुम इतने परेशान हो, अपना दर्द सबको बताते क्यूँ नहीं, बापू का कहना भला मैं कैसे टाल सकता हूँ , इसीलिए आज मैं अपना दुःख दर्द आप लोगो से बाँटने आया हूँ ! आज हालात ये हो गए हैं की अगर मैं कुछ कहता या करता हूँ तो लोग चुटकुला बनाके हंसते हैं, तो मैं भी अपने शरीर पर लाख जख्मों के बाद भी अपनी बात हंसी मजाक में ही कहूँगा, मेरा जन्म  1947 में भारत से हुआ, मैं पैदा तो भारत से हुआ लेकिन अब मेरा असली बाप अमेरिका है, वैसे भी अलग होने के बाद लोगो के माई बाप बदल जाते हैं तो मैंने भी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही उसी परंपरा का पालन किया मेरा जन्म दंगो और गोली बारूद के बीच हुआ शायद इसीलिए मेरे बदन पर आज भी दंगे और गोलियों की गूँज अनवरत जारी है . अभी कुछ दिन पहले जरदारी साहब अपना इलाज कराने दुबई क्या चले गये सारी दुनिया में हंगामा मच गया कि जरदारी साहब तख्ता पलट के डर से देश छोड़ के भाग गये, कहने वालो ने ये भी कहा कि क्या पाकिस्तान में काबिल डाक्टर नहीं हैं जो दुबई जाने कि जरुरत पड़ी! अरे भाई !आप लोग ही तो कहते हैं कि पाकिस्तान में आतंकवाद कि नर्सरी तैयार होती है! अब ऐसे में जरदारी साहब दुबई नहीं जायेंगे तो क्या आतंकवादियों की ए के ४७ से अपने दिल की धड़कन नपवायेंगे, स्वस्थ होने के लिए इलाज के साथ साथ शुद्ध आबो हवा की भी जरुरत पड़ती, मेरी  आबो हवा में तो बारूद इस कदर घुला है कि लोग खांसते हैं तो मुंह से बारूद का पाउडर निकलता है, मेरे पड़ोसी होली दीवाली के मौके पर पटाखे जलाते हैं लेकिन मेरे नुमाइंदे ईद और रमजान में बम विस्फोट करके और मस्जिदों को उड़ा के खुशियाँ मनाते हैं, आप हमारी काबिलियत पर शक मत करिये , आज विज्ञान ने चाहे जितनी तरक्की कर ली हो लेकिन एक बम ऐसा है जो सिर्फ मैं ही बना सकता हूँ , मानव बम , नाम सुनके ही रूह  कॉप गयी  ना , आप मुझे परमाणु बम , हाइड्रोजन बम क़ी टेक्नालाजी मत दो  कोई बात नहीं , मेरे पास ए क्यू खान जो अपने देश से पहले दूसरे देशों को टेक्नालाजी दान कर देता है , है किसी का दिल इतना बड़ा, मेरी सेना दुनिया  की सातवीं    सबसे बड़ी सेना है लेकिन रक्षा बजट बड़ी बड़ी सेनाओं से भी बड़ा है , क्या करूं मुझे तो एक साथ तीन तीन सेनाओं का खर्च देखना पड़ता है ,एक पाकिस्तानी सेना दूसरी आई एस आई और तीसरी जिसकी नर्सरी मेरे यहाँ तैयार होती है ,अमेरिका (क्षमा करना बाप आपका नाम लेने क़ी गुस्ताखी कर रहा हूँ ) जो पैसे मुझे मानवता के नाम पर देता है वो सारा पैसा तो मेरी तीनों सेनायें छीन लेती हैं मेरे पास बचता है तो आर्यभट का जीरो , मेरी पाकिस्तानी सेना तो हमेशा तख्तापलट करने के फिराक में लगी रहती है, आई एस आई को पड़ोस के असाइनमेंट से फुर्सत नहीं है , ऐसे में मेरी सीमा क़ी सुरक्षा क़ी सारी जिम्मेदारी तीसरी सेना पर  आ जाती है , इस सेना पर तो मुझे नाज है जो बार्डर पर दिखने वाली एक चींटी को भी मानव बम से उड़ा देती है ,इसलिए मेरे अन्दर घुसपैठ क़ी संभावना.... सोचना भी मत, जब इस सेना का मन पिकनिक मनाने को करता है तो पड़ोस में चली जाती है , भाई सेना है तो पहुँचने के बाद कुछ शोर शराबा तो करेगी ही, मेरी सिर्फ यही सेना तो पीठ दिखाना नहीं जानती , दिमाग भी सिर्फ इसी के पास है बाकी दोनों सेनायें तो दिमाग से पैदल हैं लेकिन चलती उड़नखटोले में ही हैं, वैसे मेरे यहाँ घुसपैठ तो होती नहीं लेकिन वायुमार्ग से ऍफ़ बी आई वाले अक्सर आते जाते रहते हैं  इन लोगों  का आना जाना भी रुक जाता अगर मेरी तीसरी सेना के पास फाइटर प्लेन होते , इसके पास प्लेन तो नहीं हैं लेकिन इसके एक दोस्त (हरी पगड़ी वाला ) ने हवाई जहाज से अमेरिका के दिल में बिल कर दिया , अब कराते रहें वो जिंदगी भर बायपास सर्जरी , अमेरिकी सेना और ऍफ़ बी आई हरी पगड़ी वाले क़ी तलाश में तोरा बोरा क़ी पहाड़ियों में भटकते रहे लेकिन क्या मिला फिर वही आर्यभट वाला जीरो , मैंने तो उसे अपना मेहमान बनाके रखा अपने बाप से छिपाकर , है किसी में हिम्मत इतनी महँगी मेहमाननवाजी क़ी, मेरी मेहमाननवाजी के किस्से सुनना है तो पूछिए असगर वजाहत साहब से , पूछिए शिवेंद्र सिंह (स्टार न्यूज़ )से कि मेहमान होते क्या हैं , बस एक चूक हो गयी मेहमाननवाजी में , श्रीलंकाई टीम  के ऊपर हमला हो गया , हमला होता नहीं लेकिन मेरी तीसरी सेना ने मुझे एक बार भी रिमाइंङर नहीं दिया, उस दिन का डे प्लान उसने उसी दिन बनाया था, शायद, चलते चलते याद आया कि मैं अपने पड़ोसी क़ी एक टेक्नालाजी की तारीफ़ करना भूल ही गया मैंने मानव बम बनाया तो मेरी पड़ोसी ने रोबोट बनाया दिमाग वाला जो पगड़ी भी लगाता है लेकिन हरी पगड़ी वाले क़ी तरह नहीं , थोडा हँसने का मौका मुझे भी तो मिलना चाहिए . अंत में एक आग्रह करना चाहूँगा क़ी मेरे दुःख दर्द पर चुटकुले ना बनाया करें , मेरा दर्द समझना है तो पाकिस्तान बनना पड़ेगा क्योंकि सिर्फ गांधारी बनने से धृतराष्ट्र दुःख पता नहीं चलेगा.......................................... 

Saturday, 24 March 2012

Tere Aane Ki Jab Khabar

tere ane ki jab khabar mehke 
teri khushboo se sara ghar mehke....
shaam mehke tere tasabvur se ......
shaam ke baad fir saher mehke....
shaam ke baad fir saher mehke....
tere ane ki jab ...


raat bhar sochta raha tujhko .....
zehno dil mere raat bhar mehke ...
zehno dil mere raat bhar mehke...
tere ane ki jab .....

yaad aye to dil munavar ho.....
did ho jaye to nazar mehke....
did ho jaye toh nazar mehke...
tere ane ki jab ...

woh ghadi do ghadi jaha baithe ......
woh zameen mehke woh shajar mehke...
woh zamenn mehke woh shajar mehke...
tere ane ki jab .... ...........................................

Sunday, 11 March 2012

HUSHAN KA JADU

KUCH AISA UNKE HUSHAN KA JADU HAI .. 
LOG UNHE TAJMAHAL SAMJHTE HAI.. 
OR JIS GALI SE WO NIKALTE HAI
TO DEEWANO K DAM NIKALTE HAI 
KHUDA KA SUKRA HAI K WO BAHUT KAM NIKALTE HAI...

Tuesday, 6 March 2012

haqiqat ke hur


मेरे बच्चों को भेज दे - खुदा पास तू मेरे;
कि जमाना हो गया - किसी हूर से मिले . 
कितना  अरसा  दूर रहेगी.. रुह जिस्म से  ..
मुद्दत हो गए  जुदा हुये..जिस्म को रुह से 
मिली जो एक झलक उसकी .. 
क़यामत से पहले क़यामत हो गयी ..