Tuesday, 6 March 2012

haqiqat ke hur


मेरे बच्चों को भेज दे - खुदा पास तू मेरे;
कि जमाना हो गया - किसी हूर से मिले . 
कितना  अरसा  दूर रहेगी.. रुह जिस्म से  ..
मुद्दत हो गए  जुदा हुये..जिस्म को रुह से 
मिली जो एक झलक उसकी .. 
क़यामत से पहले क़यामत हो गयी ..

No comments: