ले डूबेगा तुमको एक दिन,
ये तुम्हें तुम्हारा अहंकार।
भाषा अभद्र शोभित हो तुम्हें,
है यही तुम्हारा संस्कार।
वाणी पर संयम है ही नहीं,
सम्वाद भला तुमसे क्या हो?
गाली गलौज हाथापाई को,
छोड़ भला सीखे क्या हो?
तुम्हे शायद मालूम ही नही,
क्या होती है जिन्दगी.
क्या मतलब होता है भाषा का
संस्कार का तो तुम्हे सं भी पता नही,
ना ही संयम है तुम्हारे बस का ,
गाली गलौज हाथापाई से,
कभी किसी का भी भला हुआ नही
तुम्हारे ये सारे गुण , सिर्फ तोड़ते है,
कभी तुम्हे कभी तुम्हारे अपनो को,
लेकिन तुम्हे इन सब से क्या,
तुम तो बस तुष्ट करो
अपने तुच्छ से अहम को
और नष्ट कर दो अपने
आस पास के सभी जीवन को |
#बस_यू_ही
Sunday, 28 July 2019
अहंकार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment