Sunday, 23 August 2020

तुम्हारा नाम

 कुछ गहरा सा लिखने का दिल किया , 

मैनें  उसे "मुहब्बत " लिख दिया! 


कुछ ठहरा सा लिखना का दिल किया , 

मैनें उसे "दर्द'' लिख दिया! 


कुछ समन्दर सा लिखने का दिल किया , 

मैनें  उसे "ऑसू"  लिख दिया! 


कुछ बिखरता सा लिखने का दिल किया , 

मैनें  उसे  "जुदाई" लिख दिया! 


सुनो, जब दिल कहा जिन्दगी लिखूं है, 

मैनें तुम्हारा नाम लिख दिया! 



Sunday, 16 August 2020

हे कान्हा!

हे कान्हा!
कारागार में जन्मे तुम,
गोकुल का पले तुम,
मथुरा में बढ़े तुम,
द्वारिकाधीश बन रहे तुम।

हे कान्हा!
वसुदेव-देवकी के लाल तुम,
-यशोदा का दुलार तुम,
मधुसूदन मदन गोपाल तुम,
नटवर नागर ब्रजलाल तुम।

हे कान्हा! 
माखन चोर कन्हैया तुम,
मुरली मधुर बजैया तुम,
मधुबन में रास रचैया तुम,
बलदाऊ का छोटा भैया तुम।

हे कान्हा! 
माखन चोर  मतवाल तुम,
केशव विराट विकराल तुम,
कंस के लिए महाकाल तुम,
भक्तों के लिए अमृत विशाल तुम।

हे कान्हा!
गोपियों का प्रिय सखा तुम,
राधा का प्रियतमा तुम,
रुक्मणि का श्री तुम,
सत्यभामा का श्रीतम तुम।

हे कान्हा!
गीता का ज्ञान तुम,
द्रौपदी का मान तुम,
पांडव का अभिमान तुम,
गांधारी का त्याग तुम,
रुकमणी का राग तुम।

हे कान्हा!
आत्मतत्व चिंतन तुम,
आत्मा का मंथन तुम 
प्राणेश्वर परमात्मा तुम,
यताति सर्वात्मा तुम,
स्थिर चित्त योगी तुम।

हे कान्हा! 
अनश्वर अविनाशी तुम,
देवलोक का वासी तुम,
निर्लिप्त योग के योगेश्वर तुम,
संतृप्त देव सा देवेश्वर तुम।
नीलम वन्दना


Monday, 3 August 2020

रक्षाबन्धन v/s फ्रैण्डशिपडे

                                रक्षाबन्धन  v/s  फ्रैण्डशिपडे 
                                           भाई_बहन
              भाई बहन एक दूसरे के जीवन में सबसे पहले शामिल होने वाला विपरीत लिंगी मित्र होते है, और वो भी तबसे जब आपको दुनिया में आये महज चन्द लम्हे हुये होते हैं।आपको खाने सोने और रोने के अलावा कुछ नही आता। किसी बात की समझ नहीं होती। 
               जीवन के आखिरी मित्र भी भाई बहन ही होते हैं जो पूरी तन्मयता से वक्त बे वक्त हर हाल में आपके साथ होते हैं, अब ये अलग बात है कि सारी उम्र आपकी सबसे ज्यादा लड़ाई, नोक झोक, भी इन्ही से होती हैं। कई बार ये खुद ही आपके लिये घर में  मुसीबत लाते हैं और फिर खुद ही बचाते हैं।
               बचपन से साथ पले बढ़े रिश्ते पर वक्त के साथ दूरियों के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता।सारी भावनायें वो प्यार हो, गुस्सा हो लड़ना या चिढ़ाना हो वक्त के साथ वैसे ही बरकरार रहते हैं बस जाहिर करने का तरीका थोड़ा सा बदल जाता है। इस रिश्ते की महक, मिठास कभी कम नहीं होती। 
ये रिश्ता कभी फीका नही पड़ता।