हे कान्हा!
कारागार में जन्मे तुम,
गोकुल का पले तुम,
मथुरा में बढ़े तुम,
द्वारिकाधीश बन रहे तुम।
हे कान्हा!
वसुदेव-देवकी के लाल तुम,
-यशोदा का दुलार तुम,
मधुसूदन मदन गोपाल तुम,
नटवर नागर ब्रजलाल तुम।
हे कान्हा!
माखन चोर कन्हैया तुम,
मुरली मधुर बजैया तुम,
मधुबन में रास रचैया तुम,
बलदाऊ का छोटा भैया तुम।
हे कान्हा!
माखन चोर मतवाल तुम,
केशव विराट विकराल तुम,
कंस के लिए महाकाल तुम,
भक्तों के लिए अमृत विशाल तुम।
हे कान्हा!
गोपियों का प्रिय सखा तुम,
राधा का प्रियतमा तुम,
रुक्मणि का श्री तुम,
सत्यभामा का श्रीतम तुम।
हे कान्हा!
गीता का ज्ञान तुम,
द्रौपदी का मान तुम,
पांडव का अभिमान तुम,
गांधारी का त्याग तुम,
रुकमणी का राग तुम।
हे कान्हा!
आत्मतत्व चिंतन तुम,
आत्मा का मंथन तुम
प्राणेश्वर परमात्मा तुम,
यताति सर्वात्मा तुम,
स्थिर चित्त योगी तुम।
हे कान्हा!
अनश्वर अविनाशी तुम,
देवलोक का वासी तुम,
निर्लिप्त योग के योगेश्वर तुम,
संतृप्त देव सा देवेश्वर तुम।
नीलम वन्दना
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