जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल
यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता हैं बीता हुआ कल,
बचपन की वो नटखट सी शरारतें
पड़ोसियों के वो बेसुमार उलाहने
दोस्तों संग किये गये, पार्टीयों के तकादे,
असाइनमेंट के लिए अध्यापकों की डांटे
जानें कितनी यादें बरबस आ ही जाती है,
जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल,
यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता हैं बीता हुआ कल,
भाई बहनों से बात - बात पर होने वाले झगड़े,
मम्मी पापा से हर बार मिलती हिदायतें,
नानी - दादी से सुनें हुए कहानी किस्से।
जानें कितनी यादें बरबस आ ही जाती है,
जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल
यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता हैं बीता हुआ कल,
कुछ भिगो जाती है आंखों को वज़ह बेवजह,
कुछ छोड़ जाती है, चेहरे पर मुस्कराहटे
कभी गुजरे लम्हों की बहुत साफ़ नज़र आती है तस्वीरें,
ये यादें हैं और यादें कब सिमटी हैं सरहदों में,
जानें कितनी यादें बरबस आ ही जाती है,
जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल
यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता हैं बीता हुआ कल,
नीलम वन्दना