भ्रष्टाचार रोकने के लिए जन लोकपाल बिल लाने की माँग करते हुए अन्ना हज़ारे का आंदोलन दोबारा शुरू हो गया है. मगर कई लोगों को ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार भारत में जड़ें जमा चुका है और उसे हटाना आसान काम नहीं होगा.
भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में लोग बातें करना और भाषण देना बहुत पसंद करते हैं लेकिन व्यवहार में कुछ भी नहीं बदलता. भ्रष्टाचार से निबटने के बारे में भी सैकड़ों सुझाव सामने आते रहते हैं.
भ्रष्टाचार शब्द एक ऐसा तिलिस्म सा बनता जा रहा है जिसे रोक पाना किसी भी सरकार के लिए असंभव सा बनता जा रहा है.भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ उसके अंदर छिपी हुई अभिलाषा है.जब तक इंसान अपनी सोच और आवश्यकता नहीं बदलेगा तक दुनिया का कोई भी क़ानून बनाने से कुछ नहीं होगा. इसलिए अब ऐसे सार्थक लोकपाल बिल की दरकार है जिसके मार्फ़त भ्रष्ट तत्वों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके. देश में भ्रष्टाचार एक ऐसा रोग बन गया है जिसका इलाज अब कानून बनाए बिना होने वाला नहीं है
.भ्रष्टाचार हाथ पर हाथ रखकर बैठने से तो ख़त्म नहीं होगा या हम ऐसा सोचे कि कोई फ़रिश्ता आएगा और भ्रष्टाचार समाप्त करेगा.ऐसा कभी नहीं होगा.इसे ख़त्म करने के लिए किसी ना किसी को पहल करनी होगी और अगर किसी ने पहल नहीं की तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं.
भ्रष्टाचार का मतलब बारूदी सुरंग वाले क्षेत्र में फॅस जाने जैसा है एक कदम हिलाया नहीं कि विस्फोट में जान गॅवाना या विकलांग होना ही है। इसलिए किसी भ्रष्टाचारी को तिहाड में भेजकर न तो खुश होने जैसी कोई बात है और न ही इससे संतोष किया जा सकता है.भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण देना और लड़ना अलग अलग बात है अगर आप किसी को रिश्वत लेते हुए या देते हुए देखते हैँ उसके खिलाफ जोखिम लेकर साक्ष्य एकत्र करते हैँ और जाँच मेँ अगर अधिकारी पूछता है न तो आप से ली गयी न आपने दी है तो आपको क्या परेशानी है हू आर यू. अपने पैसे और समय खर्च करने के बाद ऐसे सवाल बहुत तकलीफ देते हैँ...
उन कारणों का पहचान कर ठीक करना होगा जिसके कारण लोग भ्रष्टाचारी होते जा रहे है.
सबसे बड़ी बात है भ्रष्टाचार विरोधी चर्चा का होना. चर्चा से जागरूकता बढ़ती है. हर व्यक्ति अगर बरबस भ्रष्टाचार विरोधी चर्चा एवं जागरूकता को अपनी जीवनशैली मे शामिल कर लेगा तो भ्रष्टाचार अपने आप कम हो जाएगा.
भ्रष्टाचार एक ऐसी बुराई है जिसे जड़ से मिटाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. भारत में जबतक लोगों को जागरुक नहीं किया जाएगा तब तक इसे ख़त्म करना असंभव है.शोध एवं विरोध से काफ़ी हद तक भ्रष्टाचार कम किया जा सकता है
भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में लोग बातें करना और भाषण देना बहुत पसंद करते हैं लेकिन व्यवहार में कुछ भी नहीं बदलता. भ्रष्टाचार से निबटने के बारे में भी सैकड़ों सुझाव सामने आते रहते हैं.
भ्रष्टाचार शब्द एक ऐसा तिलिस्म सा बनता जा रहा है जिसे रोक पाना किसी भी सरकार के लिए असंभव सा बनता जा रहा है.भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ उसके अंदर छिपी हुई अभिलाषा है.जब तक इंसान अपनी सोच और आवश्यकता नहीं बदलेगा तक दुनिया का कोई भी क़ानून बनाने से कुछ नहीं होगा. इसलिए अब ऐसे सार्थक लोकपाल बिल की दरकार है जिसके मार्फ़त भ्रष्ट तत्वों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके. देश में भ्रष्टाचार एक ऐसा रोग बन गया है जिसका इलाज अब कानून बनाए बिना होने वाला नहीं है
.भ्रष्टाचार हाथ पर हाथ रखकर बैठने से तो ख़त्म नहीं होगा या हम ऐसा सोचे कि कोई फ़रिश्ता आएगा और भ्रष्टाचार समाप्त करेगा.ऐसा कभी नहीं होगा.इसे ख़त्म करने के लिए किसी ना किसी को पहल करनी होगी और अगर किसी ने पहल नहीं की तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं.
भ्रष्टाचार का मतलब बारूदी सुरंग वाले क्षेत्र में फॅस जाने जैसा है एक कदम हिलाया नहीं कि विस्फोट में जान गॅवाना या विकलांग होना ही है। इसलिए किसी भ्रष्टाचारी को तिहाड में भेजकर न तो खुश होने जैसी कोई बात है और न ही इससे संतोष किया जा सकता है.भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण देना और लड़ना अलग अलग बात है अगर आप किसी को रिश्वत लेते हुए या देते हुए देखते हैँ उसके खिलाफ जोखिम लेकर साक्ष्य एकत्र करते हैँ और जाँच मेँ अगर अधिकारी पूछता है न तो आप से ली गयी न आपने दी है तो आपको क्या परेशानी है हू आर यू. अपने पैसे और समय खर्च करने के बाद ऐसे सवाल बहुत तकलीफ देते हैँ...
उन कारणों का पहचान कर ठीक करना होगा जिसके कारण लोग भ्रष्टाचारी होते जा रहे है.
सबसे बड़ी बात है भ्रष्टाचार विरोधी चर्चा का होना. चर्चा से जागरूकता बढ़ती है. हर व्यक्ति अगर बरबस भ्रष्टाचार विरोधी चर्चा एवं जागरूकता को अपनी जीवनशैली मे शामिल कर लेगा तो भ्रष्टाचार अपने आप कम हो जाएगा.
भ्रष्टाचार एक ऐसी बुराई है जिसे जड़ से मिटाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. भारत में जबतक लोगों को जागरुक नहीं किया जाएगा तब तक इसे ख़त्म करना असंभव है.शोध एवं विरोध से काफ़ी हद तक भ्रष्टाचार कम किया जा सकता है
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