Saturday, 6 June 2015

इत्तेफाक नहीं होता !


मिलाना और बिछड़ जाना किसी का महज़ इत्तेफाक नहीं होता !

दर्द का दमन थाम लिया हो तो जख्मों के कहर का कुछ आभास नहीं होता !

मिटने मिटाने का हुनर जानने वालो को खुदी से बेखुदी का डर नहीं होता!

कोई अजनबी इस कदर दिल का मेहमान नहीं बनता !

मौका परस्त तो होते है इन्सान वफ़ा का ऐसा हाल नहीं होता !

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