Saturday, 6 June 2015

एक तस्वीर


 अपनी ही एक तस्वीर मुझे भाती है, 
उसे देखा कर बहुत सी बाते दिल में आती है,
अपनी मुश्कान जब मैं देखती हूँ,
तो लगता है क्यों ये सिर्फ कुछ पलों के लिए थी,
आँखों में जब देखती हूँ चमक,
तो याद करती हूँ कौन सी बातो ने जलाये थे उनमे दिए?
मैं अगर कभी ऐसी थी, तो सदा ही ऐसी क्यों नहीं?
वो धुप छाव की रोशनी बिखरी है जो चेहरे पर इस जीवन,
 इस जीवन की बहुत सी सच्चाई दिखा जाती है,
मैं जब कभी परेशान बहुत हो जाती हूँ,
गमगीन हो कर दिल खुद का ही दुःखाती  हूँ ,
और जब कभी कभी हार जाती हूँ जिंदगी की बाज़ी,
तब वो तस्वीर ही खुद से प्यार करना सीखाती हैं,

अपनी ही एक तस्वीर मुझे बहुत भाती  है। ....  

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