सुनो ना ...
कुछ रिश्ते
बेनामी की चादर
ओढ़े चुपके से
आगे बढ़ते जाते है ,
नदी के किनारो से
जो कही नही मिलते
लेकिन कभी
बिछड़ते भी नही
बस चुपचाप
चलते जाते है
साथ साथ
बिना कुछ कहे
बिना किसी वादे के
साथ यू ही कुबूल हो,
तो कहो तुम भी
कुबूल है|
प्यार को हिचक भी
कहा होती है
कभी कुबूल करने मे
कुबूल है कुबूल है
तेरे साथ साथ
यू ही चलते चले
जाना कुबूल है|
#बस_यू_ही
नीलम वन्दना (वन्दना द्विवेदी)
कुछ रिश्ते
बेनामी की चादर
ओढ़े चुपके से
आगे बढ़ते जाते है ,
नदी के किनारो से
जो कही नही मिलते
लेकिन कभी
बिछड़ते भी नही
बस चुपचाप
चलते जाते है
साथ साथ
बिना कुछ कहे
बिना किसी वादे के
साथ यू ही कुबूल हो,
तो कहो तुम भी
कुबूल है|
प्यार को हिचक भी
कहा होती है
कभी कुबूल करने मे
कुबूल है कुबूल है
तेरे साथ साथ
यू ही चलते चले
जाना कुबूल है|
#बस_यू_ही
नीलम वन्दना (वन्दना द्विवेदी)
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