"इश्क़ तो लम्हें में हुआ करता है ,
पर यादें बरसों रह जाती है !!" और ऐसे ही लम्हों को इकठ्ठा कर हमने ज़िन्दगी की आमानत बना लिया।
यही कही कभी मिला था वो, अनजाना सा अजनबी सा बातें शुरू हुयी और धीरे धीरे कभी ना खत्म होने वाली बातें का सिलसिला चला, लोग ज़िन्दगी में हो कर भी ज़िन्दगी नहीं होते लेकिन ना जाने क्या था उस शख्स में, जो कभी भी ज़िन्दगी में शामिल ना था फिर भी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया।
जानते हैं दुनिया में सबसे खूबसूरत महिला कौन होती हैं ? जो बेलौस हंसी हंसती हैं, इतना कि आंखे तर हो जाये, और सबसे सुन्दर पुरुष कौन है,? वो जो ख़ामोश मुस्कुराये तो स्त्री के दिल में हलचल कर दे। ऐसा ही था वो शख्स । उसकी खामोशी भी बहुत कुछ बोल जाती हैं।
हमने कहीं पढ़ा था कि हर आदमी में थोड़ी सी औरत होनी चाहिए, और हर औरत में थोड़ा सा आदमी। और ऐसा ही था वो ,अपने आप में सम्पूर्ण..... अच्छा बेटा , अच्छा पति, अच्छा पिता अच्छा दोस्त और हे इन सब से अलग वो एक बेहतरीन इन्सान है। जो आज के दौर में भी किसी का भला भले ना कर सके लेकिन बुरा तो नहीं ही करता। सबसे अलग था उसका अन्दाज़ सबसे जुदा था उसका लहजा। भरी महफिल में किसी को कैसे अकेला करते हैं कोई उससे सीखे....और अकेले में महफिल लगाने की कला में माहिर. ... हर एक जीव पर प्यार लुटाने की फ़ितरत उसे खुदा ने खुद बख्शी थी।
मेरे में उसे हमेशा एक अच्छा दोस्त दिखा है, और उसके रूप में एक दोस्त के साथ साथ समय समय पर और भी कई रिश्तों की झलक मिलती है।
मैं उस शख्स से कभी रूबरू नहीं हु़यी, लेकिन मेरे घर की बेताब सी, बेबाक़ सी दीवारें.....
उसकी यादों की ख़ूबसूरती से भरी दरारें में
उसके आने के बेचैनी से इंतज़ार करती हैं और बेकरारी मेरी बढ़ाती है।
पर यादें बरसों रह जाती है !!" और ऐसे ही लम्हों को इकठ्ठा कर हमने ज़िन्दगी की आमानत बना लिया।
यही कही कभी मिला था वो, अनजाना सा अजनबी सा बातें शुरू हुयी और धीरे धीरे कभी ना खत्म होने वाली बातें का सिलसिला चला, लोग ज़िन्दगी में हो कर भी ज़िन्दगी नहीं होते लेकिन ना जाने क्या था उस शख्स में, जो कभी भी ज़िन्दगी में शामिल ना था फिर भी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया।
जानते हैं दुनिया में सबसे खूबसूरत महिला कौन होती हैं ? जो बेलौस हंसी हंसती हैं, इतना कि आंखे तर हो जाये, और सबसे सुन्दर पुरुष कौन है,? वो जो ख़ामोश मुस्कुराये तो स्त्री के दिल में हलचल कर दे। ऐसा ही था वो शख्स । उसकी खामोशी भी बहुत कुछ बोल जाती हैं।
हमने कहीं पढ़ा था कि हर आदमी में थोड़ी सी औरत होनी चाहिए, और हर औरत में थोड़ा सा आदमी। और ऐसा ही था वो ,अपने आप में सम्पूर्ण..... अच्छा बेटा , अच्छा पति, अच्छा पिता अच्छा दोस्त और हे इन सब से अलग वो एक बेहतरीन इन्सान है। जो आज के दौर में भी किसी का भला भले ना कर सके लेकिन बुरा तो नहीं ही करता। सबसे अलग था उसका अन्दाज़ सबसे जुदा था उसका लहजा। भरी महफिल में किसी को कैसे अकेला करते हैं कोई उससे सीखे....और अकेले में महफिल लगाने की कला में माहिर. ... हर एक जीव पर प्यार लुटाने की फ़ितरत उसे खुदा ने खुद बख्शी थी।
मेरे में उसे हमेशा एक अच्छा दोस्त दिखा है, और उसके रूप में एक दोस्त के साथ साथ समय समय पर और भी कई रिश्तों की झलक मिलती है।
मैं उस शख्स से कभी रूबरू नहीं हु़यी, लेकिन मेरे घर की बेताब सी, बेबाक़ सी दीवारें.....
उसकी यादों की ख़ूबसूरती से भरी दरारें में
उसके आने के बेचैनी से इंतज़ार करती हैं और बेकरारी मेरी बढ़ाती है।
खुदा_करे_कि_कयामत_हो_और_वो_आये
बातें_अभी_बाकी_है
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