Sunday, 18 July 2021
गर्मी , तो बस गर्मी ही होती है।
गर्मी
Thursday, 8 July 2021
Democracy 2019
Sunday, 4 July 2021
कलयुग की अभिमन्यु
रचो चक्रव्यूह
तुम सब चाहे जितने ,
सारे चक्र तोडूंगी,
रण से मुँह ना
कभी मोड़ूँगी ,
सफलता का ताज पहनूंगी मैं
कायर नहीं वीरांगना हूं मैं,
कलयुग की अभिमन्यु हूँ मैं ।
सामने समन्दर हो चट्टान हो
बवंडर हो या हो तुफ़ान....
अब लक्ष्य से डीगा सके
ऐसी कोई बला नहीं...
कायर नहीं वीरांगना हूं मैं,
कलयुग की अभिमन्यु हूं मैं ।
तोड़ सारे मिथक
सबको दिखलाऊंगी मैं,
विजय ध्वजा फहराऊगी,
द्वापर की कहानी
अब नहीं दुहराउंगी मैं,
कायर नहीं वीरांगना हूं मैं,
कलयुग की अभिमन्यु हूं मैं ।
क्षितिज को छुने का ख्वाब है
दिलों में प्यासा सैलाब हैं,
साकार करूंगी वो सपने सारे
जो माता पिता ने देखें है ,
मेहनत से मुंह ना मोड़ूगी मैं
कायर नहीं वीरांगना हूं मैं,
कलयुग की अभिमन्यु हूँ मैं ।
जिनको आज है सन्देह
वहीं कल कन्धों पर बैठायेगें
रवि - शशी विजय उद्घोष करेंगे...
हासिल वो मुकाम करूंगी
कायर नहीं वीरांगना हूं मैं,
कलयुग की अभिमन्यु हूँ मैं ।