Sunday, 18 July 2021

गर्मी , तो बस गर्मी ही होती है।



गर्मी , तो बस गर्मी ही होती है। 
गर्मी सिर्फ मौसम में ही नहीं,
शब्दों में भी होती है,
पैसों में भी होती है गर्मी,
गर्मी सिर्फ मौसम मे ही नही,
अहंकार की भी होती गर्मी,
भूख की भी होती हैं गर्मी,
समंदर की भी होती अपनी गर्मी,
शरीर में भी होती हैं गर्मी,

गर्मी से तपती है धरती
जो चुभती है दिलों में
जो रुलाती है इन आंखों को
एक टीस सी उठती हैं मन में
जला देती हैं कई बार 
रिश्तों के मखमली एहसास को
कई बार गर्मी के ताप से
स्वाहा हो जाता  सबकुछ

इसीलिए गुजरता हुआ वक्त , ढलती हुई उम्र , 
गिरती हुई बारिश की बूंदे 
कानों में कह जाती हौले से
थोड़ा सा धीरज रखें
मुश्किल से वक्त में
गर्मी किसी की भी हो
कैसी भी हो 
रहती नही सदा टिक कर हैं

नीलम वन्दना

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