Neelam Vandana
Sunday, 12 September 2021
फिर भी जी गई।।
ना मैं गिरी,
ना मेरी उम्मीदों के बुर्ज़-ए-मीनार गिरे ।
पर मुझे गिराने वाले,
लोग कई-कई बार गिरे।।
सवाल जहर का नहीं था,
वो तो मैं हंस कर पी गई।
तकलीफ तो लोगों को तब हुई,
जब मैं फिर भी जी गई।।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment