Sunday, 31 May 2020

मासूम दिल ❤️💦❤️💦❤️

    मासूम दिल
❤️💦❤️💦❤️
पानी सा निश्छल हैं , 
बुलबुले सा नाजुक हैं ,
बच्चे सा मासूम ये दिल है ।
दुनियादारी से कही दूर
छोटे से हाथों में,
दुनियाभर खुशियाँ 
समेटना चाहता हैं ।
समेटना चाहता हैं, 
नीले आसमान को, 
अपनी छोटी सी ,
हथेलियों की मुट्ठी में। 
चमकीले आँखों मे 
सपने के महलो के बुनता
उन सपनों को सच करना चाहता हैं।
कभी गुस्से से झुझलाता हैं,
 ये कच्चा सा मासूम दिल।
कभी खुशियों मे खिलखिलाता हैं।
 ये कच्चा सा मासूम दिल 
वक्त के एक सिरे को धरे
हौले हौले से बढ़ता हैं, मन्जिल की ओर
ये मासूम दिल।
मिट्टी के घड़ो सा 
तपता रहा ये बचपन से
फिर भी उम्मीदों के 
कच्चे धाँगो से, 
ज़िन्दगी के पक्के सपने 
बुनता हैं ये मासूम दिल।
❤️💦❤️💦❤️
नीलम वन्दना

Wednesday, 27 May 2020

तुम आये

तुम आये
️ 
 तुम आए मेरी ज़िन्दगी में ऐैसे,
पतझड़ में आया हो बसंत जैसे।
तेरी एक मुस्कान से खिल गयी थी मै ऐसे, 
जेठ की तपती दुपहरी में 
वसन्त की हवा छु गई हो जैसे।

मीठी मीठी बातें करके ,
बस गये तुम दिल में मेरे,
फिर एक पल ही में झटक दिया ऐसे,
 दूध में  मक्खी गिर गई हो जैसे।

जब जाना ही था दूर तुम्हे, 
फिर क्यूं आये इतने करीब मेरे,
बिना गुनाह के सजा काट रही हूं ऐसे,
सींकों को मेरे किसी ने 
गिरवी रख लिया हो जैसे।

 मेरी खुशियां जुड़  गई थी तुझसे ,
मुस्कुरा उठी थी जिन्दगी फिर से,
फिर तुमने छीन ली वो सारी खुशियां ऐसे ,
मैनें तुमसे लिया रहा हो कोई कर्ज जैसे।

जब तोड़ना ही था दिल मेरा,
तुम्हे भी औरों की तरह ,
फिर क्यूं दिखाई झूठे ख्वाब ऐसे, 
 ज़िन्दगी दुबारा मिल रही हो जैसे।

कहा था ना मैनें ,
तुम्हें झेल नहीं पाओगे 
इस प्यार के कस्मे वादों को ,
नही चला पाओगे तुम 
इश्क़ की सल्तनत को।

देखा मेरी बात सच हो गई कलयुग मे ऐसे ,
सन्तों की बातें सतयुग में सच होती थी जैसे।


    इश्क़ - ए - बनारस  ❤️



Tuesday, 12 May 2020

Scars_are_Beautiful


Scars_are_Beautiful
           स्कार्स (दाग़) खूबसूरत होते है । आप सभी को सर्फ एक्सेल का वो विज्ञापन तो याद होगा ना जिसमें बच्चे बोलते हैं "दाग अच्छे  हैं "।   कितनी मासूमियत और चमक भरी होती हैं उन बच्चों की आँखों में । बातों बातों मे खेल खेल में वो बच्चे ज़िन्दगी की एक बड़ी हकिकत बयान कर जाते हैं।  हाँ जी वास्तव में दाग़ (स्कार्स ) अच्छे ही होते हैं। आपके जीवन में लगा हर दाग़ बिना कुछ कहे बहुत कुछ कहता है। कह जाता है वो आपकी बहादुरी  के किस्से और कर जाता चुग़ली है कि कैसे किया है आपने सामना अपनी ज़िन्दगी के मुसीबतों का। आपके संघर्षों की कहानी कहता है ये दाग़।  ये अलग बात है कि ज़िन्दगी मे लगे कुछ दाग सभी को दिखायी देते हैं , कुछ बस खास लोगों को और कुछ सिर्फ खुद को। लेकिन ये सच है कि हर दाग़ बहुत कुछ कहा अनकहा कह जाता है। आपके जीवन की चुगली औरो से कर ही देता है ज़िन्दगी मे लगा हर दाग़।
          जरा सोचिये  जब लोग इतिहास में महाराणा प्रताप के वीरता के किस्से सुने और सुनाते है तो उनके चोटों के निशानों की भी बात करते है। जब युद्ध में महाराणा प्रताप घायल हुये होगें तो तकलीफ तो उनको भी हुयी ही होगी।  जब सीमा पर लड़ रहा कोई सैनिक अपने हाथ पैर गंवा  देता है या बन्दूक की गोली खा लेता है , तो उस वक्त तो उसे भी तकलीफ होती ही होगी ना..... लेकिन बाद में वो एक मिसाल बन जाती हैं। उसकी वीरता की मिसाल।
              ये सच है हर किसी की ज़िन्दगी की लड़ाई महाराणा प्रताप या सीमा पर डटे सैनिकों जैसी कठिन नहीं होती लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हर किसी की ज़िन्दगी की लड़ाई इतनी आसान भी नहीं होती।
हर इन्सान अपनी ज़िन्दगी की लड़ाई में ना जाने कितने बार घायल होता है, ना जाने कितने बार मर मर के जीता है। उसके ज़िन्दगी की हर लड़ाई दे जाती हैं  उसे एक नया दाग़। कुछ शरीर पर, कुछ दिल पर और कुछ दाग़ उसकी आत्मा पर छोड़ जाते हैं , और लिख जाते है कुछ ऐसी कहानियाँ जिसे गुज़रते वक्त के साथ हम लोगों को सुनाते है या लोग  पढ़ते है।
          दाग़ सिर्फ दाग़ ही नही होते , वो आपकी शख्शियत का वो अहम हिस्सा होते है जो बताते है कि आपने जीवन में हर पड़ाव को किस बहादुरी से जिया है फिर चाहे वो दाग़ कैसे भी हो। हर स्कार्स के पीछे एक खूबसूरत कहानी होती है। इसीलिये ज़िन्दगी  के उन संघर्षों के पलों मे मिले स्कार्स (दाग़) को  किसी तरह के मेकअप में छुपाने की जगह सुंदरता से उभारना चाहिए । 
       जापान में टूटी हुई चीज़ों को अक्सर गोल्ड से जोड़ने की परम्परा रही है ,जिसका कारण  उनकी वो मान्यता हैं, जिसमें वो मानते है कि स्कार्स (दाग़) खूबसूरत होते है।
           अंत में बस यही कहना है जंगल के शेरो में ही स्कार्स पाए जाते है ,चिड़ियाघर के पालतुओं में नही
नीलम वन्दना
         


Sunday, 10 May 2020

Maa_ka_Lockdown

Maa_ka_Lockdown

        आज मदर्स डे पर भी लॉकडाउन है,  तो अब बात करते है उस लॉकडाउन की जो हर माँ लगाती है  कभी ना कभी अपने बच्चों पर....
          मेरी माँ दुनिया की सबसे नायाब और बेमिसाल माँ थी । जो हर बच्चे को उसकी मे लगती हैं और बहुत हद तक वो अपने बच्चे के लिये होती भी है।
          दिमाग पर  बहुत जोर देने के बाद भी मुझे ऐसा कोई लॉकडाउन याद नहीं आता जो  मेरी मम्मी ने ऐसा कुछ किया हो, क्योंकि हम सभी भाई बहनों पर लॉकडाउन लगाने की पूरी जिम्मेदारी अनकहे रूप में हमारी बड़की जिज्जी ने जो ले रखी थी। बाकी बचा खुचा कसर पापा जी पूरा कर देते थे।
            यू तो हम सब भाई बहन जिज्जी की नजरों से ही सहम जाते थे, एक वक़्त था जब पूरे घर मे उनकी ही तानाशाही चलती थी, लेकिन अब लगता है कि जिज्जी  भी जितनी दिखती थी उतनी बड़ी वाली हिटलर नहीं थी। हॉ वो मम्मी की अच्छी वाली सहयोगी थी। मम्मी जो काम हम लोगो से कराना चाहती करा लेती और जो नहीं कराना चाहती उसे जिज्जी से बड़े प्यार से मना करा देती।
              यू  तो मम्मी और जिज्जी की मिलीजुली सरकार ने हमलोगों के बचपन में अव्वल तो कोई बहुत लॉकडाउन कराया  नहीं है पर जो लॉकडाउन कराया भी वो बहुत मामूली हुआ करते थे, जैसे जब तक होमवर्क पूरा नही होता कही नही जाना है। जब तक ये काम पूरा नहीं होता (कोई भी छोटा मोटा काम ) नही होता खाना नही मिलेगा। या फिर सबसे खतरनाक होता था कि करो तुम अपने मन की फिर समझे रहना। इसके बाद तो हम जहॉ होते थे बस वही थम से जाते थे।
                अन्धेरा होने के बाद घर से बाहर नही रहना है, ये था सबसे बड़ा वाला लॉकडाउन जिसे कमोबेश घर के सभी लोग मानते थे और इस लॉकडउन में समय और जरूरत के मुताबिक  बदलाव तो आया है। लेकिन बचपन से पड़ी इसकी आदत के कारण अब भी काम खत्म होने के बाद  सबसे पहले घर का रास्ता दिखता है।
             ये सारे लॉकडाउन जो बचपन से हम सभी सहते आये है, जिसे कभी माँ ने लगाया या कभी माँ की मर्जी से जिज्जी , बड़े भाईया  या पापा ने इन सबका बहुत अहम किरदार होता हैं  हमें एक भला इन्सान बनाने में। इसीलिये माँ तो बस माँ होती है।
यूँ ही नहीं होता
          “माँ” का दर्जा ‘सर्वोत्तम’
ना जाने कितना
          ‘त्याग’ और ‘संघर्ष’
छुपा होता है इस शब्द के पीछे❣️
     Happy_Mothers_Day_every_mother



Saturday, 2 May 2020

Discribe_me_in_one_word

          Discribe_me_in_one_word

       
       कितना आसान है ना किसी से भी ये सवाल पूछ लेना "Discribe me in one word" और शायद उतना ही आसान है इस सवाल का जवाब दे देना भी, इसके कई सारे जवाब हो सकते है |
      लेकिन अब जरा इसी बात को दूसरे नजरिये से देखियेगा .... आपने तो इसे बस यू ही पूछ लिया , लेकिन क्या ये वाकई इतना आसान सा सवाल है और इसका जवाब दे पाना भी उतना ही आसान है ,जवाब होगा कत्तई आसान नहीं है इसका जवाब।  उनके लिए जिनके लिए आप बहुत कुछ हो| वो आपसे बे -ईन्तहा प्यार करते है | आपका सम्मान करते है | उनके जीवन की कोई भी खुशी आपके बिना अधूरी है , कोई भी गम हो वो सबसे पहले आपको बता के हल्के हो जाते है| इन सबका जवाब होगा नही इतना आसान भी नही है अपने किसी प्यारे से रिश्ते को एक शब्द मे बांध देना | ये एक प्रकार से अन्याय होगा उस रिश्ते के प्रति ,उस रिश्ते के प्रति उनके भावनाओ का...
         और हॉ अगर आपकी बहुत ज्यादा किसी से दुश्मनी हो तो ये समस्या थोडी कम हो जाती है लेकिन फिर भी एक शब्द मे बांधना आसान नही है|
     किसी के पूरे जीवन चरित्र और उसके लिए अपने भावनाओ को सीमित शब्दो मे तो बताया जा सकता है लेकिन एक शब्द मे कत्तई नही.... कई बार कुछ सवालो के जवाब जितने मुश्किल होते है उतने लगते नही है|

#बस_यू_ही...