तुम आये
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तुम आए मेरी ज़िन्दगी में ऐैसे,
पतझड़ में आया हो बसंत जैसे।
तेरी एक मुस्कान से खिल गयी थी मै ऐसे,
जेठ की तपती दुपहरी में
वसन्त की हवा छु गई हो जैसे।
मीठी मीठी बातें करके ,
बस गये तुम दिल में मेरे,
फिर एक पल ही में झटक दिया ऐसे,
दूध में मक्खी गिर गई हो जैसे।
जब जाना ही था दूर तुम्हे,
फिर क्यूं आये इतने करीब मेरे,
बिना गुनाह के सजा काट रही हूं ऐसे,
सींकों को मेरे किसी ने
गिरवी रख लिया हो जैसे।
मेरी खुशियां जुड़ गई थी तुझसे ,
मुस्कुरा उठी थी जिन्दगी फिर से,
फिर तुमने छीन ली वो सारी खुशियां ऐसे ,
मैनें तुमसे लिया रहा हो कोई कर्ज जैसे।
जब तोड़ना ही था दिल मेरा,
तुम्हे भी औरों की तरह ,
फिर क्यूं दिखाई झूठे ख्वाब ऐसे,
ज़िन्दगी दुबारा मिल रही हो जैसे।
कहा था ना मैनें ,
तुम्हें झेल नहीं पाओगे
इस प्यार के कस्मे वादों को ,
नही चला पाओगे तुम
इश्क़ की सल्तनत को।
देखा मेरी बात सच हो गई कलयुग मे ऐसे ,
सन्तों की बातें सतयुग में सच होती थी जैसे।
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