Saturday, 23 October 2021

करवाचौथ का व्रत व करवाचौथ पर चांद की पूजा

करवाचौथ का व्रत व करवाचौथ पर चांद की पूजा

           हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र माने जाने वाले कार्तिक मास में पड़ने वाला सबसे पहला त्यौहार करवा चौथ का व्रत होता हैं। करवाचौथ उत्तर भारत में शादीशुदा औरतों के द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है। इसमें सभी सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए उनकी सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती है। हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत शादीशुदा महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस दिन महिलाएं सोलहो श्रृंगार करके चौथ माता की पूजा करती है। रात में गणेश जी, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। रात के समय चंद्रोदय के बाद चांद के दर्शन करके उसकी पूजा की जाती है। चांद को अर्घ्य दिया जाता है , और फिर पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण किया जाता है। 

क्यों करते हैं चांद की पूजा
         गौरतलब है कि इस दिन भगवान शंकर, पार्वती जी के साथ कार्तिकेय जी की भी पूजा की जाती है। पार्वती जी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि पार्वती जी ने कठिन तपस्या करके भगवान शंकर को हासिल किया था और अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त किया था। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से 100 व्रत के बराबर फल मिलता है और पति को लंबी आयु मिलती है। जैसे पार्वती जी को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त था ठीक उसी तरह का सौभाग्य पाने के लिए सभी महिलाएं करवाचौथ के दिन उपवास रखती है।
           ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा इसलिए भी करती हैं क्योंकि चंन्द्रमा को ब्रम्हा जी की संतान माना जाता है और उन्हें सौन्दर्य, शीतलता, प्रसिद्धि और प्रेम का प्रतीक माना जाता है, चंद्रमा शिव जी की जटा में सुशोभित होता है ,और यह दीर्घायु का भी प्रतीक है अतः ऐसे में करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर यह सभी गुणो को अपने पति में समाहित करने की प्रार्थना करती हैं।
            करवा चौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा की एक मुख्य वजह ये भी है कि जिस दिन भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस दौरान उनका सिर सीधे चंद्रलोक चला गया था। पुरानी मान्यताओं के मुताबिक, कहा जाता है कि उनका सिर आज भी वहां मौजूद है। चूंकि गणेश को वरदान था कि हर पूजा से पहले उनकी पूजा की जाएगी इसलिए इस दिन गणेश की पूजा तो होती है साथ ही गणेश का सिर चंद्रलोक में होने की वजह से इस दिन चंद्रमा की खास पूजा की जाती है।
        एक प्राचीन कथा के अनुसार एक    करवा चौथ की कथा के अनुसार, एक साहूकार के सात बेटे और वीरावती नाम की एक पुत्री थी। सातों भाई अपनी बहन को अत्यधिक प्रेम करते थे। विवाह के उपरांत वीरावती का पहला करवा चौथ व्रत था, संयोगवश वह उस समय अपने मायके में थी। संध्या होते-होते वीरावती भूख और प्यास से व्याकुल हो मूर्छित हो गई। भाईयों को अपनी बहन की ये हालत देखी न गई, उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने का आग्रह किया परंतु उसने मना कर दिया। जिसके बाद वीरावती का एक भाई दूर पेड़ पर चढ़कर छलनी में दिया दिखाने लगा और उससे कहा कि देखो बहन चांद निकल आया है तुम अर्घ्य देकर व्रत का पारण करो। ये बात सुनकर वीरावती खुशी-खुशी उठी और दीपक की रोशनी को चांद समझकर अर्घ्य देने के बाद भोजन करने बैठ गई। जैसे ही वीरावती ने पहला कौर मुंह में डाला तो उसमें बाल आ गया, दूसरे कौर में उसे छींक आ गई और तीसरे कौर में ससुराल से बुलावा आ गया कि वीरावती के पति की मृत्यु हो गई है। इसके बाद वीरावती ने पूरे वर्ष चतुर्थी के व्रत किए और अगले वर्ष करवा चौथ पर पुनः व्रत करके चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया और मां करवा की कृपा से उसका पति पुनः जीवित हो उठा। माना जाता है कि कोई भी स्त्री के पतिव्रत से छल न कर सके इसलिए स्त्रियां स्वयं अपने हाथ में छलनी लेकर दीपक की रोशनी में चंद्र दर्शन करके व्रत का पारण करती हैं। 

करवाचौथ व्रत के नियम
            करवाचौथ व्रत के नियम काफी कठिन है, अतः इस व्रत को बहुत ही सावधानी और नियम पूर्वक किया जाता है। कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें व्रत के दिन  नहीं करने चाहिए।
     जैसे कहते हैं कि सूर्योदय के साथ ही व्रत का प्रारंभ होता है अतः कोशिश करें कि सुर्योदय से पूर्व उठ जाय। इस दिन देर तक न सोना चाहिए। 
       2. पूजा-पाठ में भूरे और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिेए , सम्भव हो तो इस दिन लाल रंग के कपड़े ही पहनें क्योंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक है और पति-पत्नी के प्रेम के प्रतीक इस व्रत में लाल रंग आपसी प्रेम में और वृद्धि करेगा।
     3. इस पवित्र दिन न तो खुद सोएं और न ही किसी सोए हुए व्यक्ति को जगाएं।ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ के दिन सोए हुए व्यक्ति जगाना अशुभ होता है।
     4. करवा चौथ पर सास द्वारा दी गई सरगी शुभ मानी जाती है। व्रत शुरू होने से पहले सास अपनी बहू को कुछ मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का समान देती है। इस दिन सूर्योदय से पहले ही सरगी का भोजन करें और फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रहकर पति की लंबी आयु के लिए कामना करें।

5. इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को अपनी भाषा पर नियंत्रण रखना चाहिए। महिलाओं को इस दिन घर में किसी बड़े का अपमान नहीं करना चाहिए।पति के साथ भी प्रेम पूर्वक रहना चाहिए।

6. शास्त्रों में कहा गया है कि करवा चौथ व्रत के दिन पति-पत्नी को आपस में झगड़ा नहीं करना चाहिए। झगड़ा करने पर आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा।
       7. इस दिन सफेद चीजों का दान न करें। सफेद कपड़े, सफेद मिठाई, दूध, चावल, दही आदि को भूलकर भी किसी को न दें।
नीलम वन्दना



Tuesday, 19 October 2021

सुनो ना....29

सुनो ना .....
क्या तुम्हे खबर है कि
ये चाँद का दिल है या 
दिल में उतर आया चाँद है !
मेरे चाँद ने पूछा मुझसे,
तुम्हारे मन मे क्या है,
हम आज भी नही कह पाए
"तुम"

सुनो ना - 28

सुनो ना कह के सभी को सुनाती हूं.....
अपनापन महसूस कराती हूं.....
और
जब होता है दर्दे दिल बयां
बस यूं ही कह के सभी को बहलाती हूं...
आंखों के पीछे अब भी दरिया है,
कुछ भरे हुए
मत छेड़िए क्योंकि कुछ ज़ख्म हैं 
अभी भी हरे हरे....
बस_यू_ही

Tuesday, 12 October 2021

धरती की बेटी

धरती की बेटी
धरती की बेटी थी , 
धरती जैसी ही थी।
सहती‌ हि गई 
हर दर्द को,
जैसे धरती मां 
सहती है सब हंस कर,
पीती ही गयी 
जीवन से मिले, 
कड़वे‌ आंसूओ को 
जैसे 
धरती मां पी जाती हैं 
बारिश के जल को...
धरती जैसे ही 
जना उसने
लव कुश जैसे 
लाल को
दे कर 
बढ़ा गयी वो
रघुकुल की
वंश बेल
और
धरती की बेटी
समा गई फिर से
धरती में ही
लेकिन 
बना गई 
मर्यादा पुरुषोत्तम
जगत पिता को,
जिसे पहचान न पाते नर
यदि वह
होते न
अवतरित.....
धरती
देती है फल
और
 रहती है फलित सदा....
नीलम वन्दना

Saturday, 2 October 2021

गुदड़ी के लाल लाल बहादुर शास्त्री

गुदड़ी के लाल लाल बहादुर शास्त्री
गुदड़ी के लाल वे लाल बहादुर थे,
अपनी जन्मभूमि की खातिर सर्वस्व किये न्यौछावर थे।
आओ मिलकर उनका जन्मदिवस मनाये,उनको श्रद्धा सुमन चढ़ाये।
कष्ट अनेकों सह कर जिसने, निज जीवन का रुप संवारा।
सच्चरित्र और त्यागमूर्ति थे, आडम्बर का नहीं दिखावा।
कल से छोटे दिखते थे वो , सामर्थ्य हिमालय से ऊंचे रखते थे वो।
जीवन में जितने भी बांधा कंटक और झंझावात आते, उन सबसे वो नई उर्जा थे पाते।
विश्वास,धर्मनिष्ठ,निज देशप्रेम से ओतप्रोत,
कर्मठ से मन में उनके जलती थी ज्ञान जोत।
विश्व शांति के दिवाने थे वो, 
पर नहीं युद्ध से घबराते थे वो।
उनके कुशल नेतृत्व में ही, पाक हिन्द से था हारा,
जय जवान जय किसान उनका ही तो था नारा।
शान्ति की बलिदेवी पर भी ज्ञात उन्हें था मिट जाना,
ताशकंद में इसी शान्ति हेतु उन्हेंं पड़ा था जाना।
चिर शान्ति उन्हें वहीं प्राप्त हुई, 
अब चिर निद्रा में सो गया ये लाल,
यह खबर भी वहीं से प्राप्त हुई।
कोटि-कोटि ,जन के प्यारे थे वो, भारत मां के अमर सपूत रखवाले थे वो।

नीलम वन्दना

साबरमति के संत : महात्मा गाँधी

 साबरमति के संत : महात्मा गाँधी

        'दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल'-लोकप्रिय गीत की ये पंक्तियां बापू के करिश्माई व्यक्तित्व और कृतित्व का प्रशस्ति-गान हैं। गांधी-दर्शन के चार आधारभूत सिद्धांत हैं- सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव। वह बचपन में 'सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र' नाटक देखकर सत्यावलंबी बने। उनका विश्वास था कि सत्य ही परमेश्वर है। उन्होंने सत्य की आराधना को भक्ति माना और अपनी आत्मकथा का नाम 'सत्य के प्रयोग' रखा। 'मुंडकोपनिषद' से लिए गए राष्ट्रीय वाक्य 'सत्यमेव जयते' के प्रेरणा-श्रोत बापू हैं। अहिंसा का अर्थ है-मन, वाणी अथवा कर्म से किसी को आहत न करना। ईष्र्या-द्वेष अथवा किसी का बुरा चाहना वैचारिक हिंसा है तथा परनिंदा, झूठ बोलना, अपशब्दों का प्रयोग एवं निष्प्रयोजन वाद-विवाद वाचिक हिंसा के अंतर्गत आते हैं। बापू सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। उनका विचार था, 'अहिंसा के बिना सत्य की खोज असंभव है। अहिंसा साधन है और सत्य साध्य।' शांति प्रेमी रूस के टॉलस्टाय और अमेरिका के हेनरी डेविड थॉरो उनके आदर्श थे।


चौरी-चौरा में तनिक हिंसा हो जाने पर बापू ने तमाम आलोचनाओं के बावजूद देशव्यापी सत्याग्रह आंदोलन को स्थगित कर दिया। सच्चा प्रेम नि:स्वार्थ एवं एकरस होता है। उसमें अपने सुख की कामना नहीं होती। काका कालेलकर की दृष्टि में-बापू सर्वधर्म समभाव के प्रणेता थे। 'वसुधैव कुटुंबकम्' का उदात्ता सिद्धांत और वेदोक्त 'सर्व खल्विदं ब्रह्म' उनके जीवन का मूलमंत्र था। उनकी प्रार्थना सभाओं में गीता के श्लोक, रामायण की चौपाइयां, विनय-पत्रिका के पद के साथ ही नरसी मेहता व रवींद्रनाथ टैगोर के भजन आदि के प्रमुख अंशों का पाठ होता था। उनके हृदय में प्रेम व सभी धर्मो के प्रति आदरभाव था। इसीलिए, प्यार में 'बापू' एवं 'राष्ट्रपिता' भी कहलाए। अल्बर्ट आइंस्टीन ने सच ही कहा था। 'आने वाली पीढि़यां, संभव है कि शायद ही यह विश्वास करें कि महात्मा गांधी की तरह कोई व्यक्ति इस धरती पर कभी हुआ था।'

Neelam Vandana