गुदड़ी के लाल लाल बहादुर शास्त्री
गुदड़ी के लाल वे लाल बहादुर थे,
अपनी जन्मभूमि की खातिर सर्वस्व किये न्यौछावर थे।
आओ मिलकर उनका जन्मदिवस मनाये,उनको श्रद्धा सुमन चढ़ाये।
कष्ट अनेकों सह कर जिसने, निज जीवन का रुप संवारा।
सच्चरित्र और त्यागमूर्ति थे, आडम्बर का नहीं दिखावा।
कल से छोटे दिखते थे वो , सामर्थ्य हिमालय से ऊंचे रखते थे वो।
जीवन में जितने भी बांधा कंटक और झंझावात आते, उन सबसे वो नई उर्जा थे पाते।
विश्वास,धर्मनिष्ठ,निज देशप्रेम से ओतप्रोत,
कर्मठ से मन में उनके जलती थी ज्ञान जोत।
विश्व शांति के दिवाने थे वो,
पर नहीं युद्ध से घबराते थे वो।
उनके कुशल नेतृत्व में ही, पाक हिन्द से था हारा,
जय जवान जय किसान उनका ही तो था नारा।
शान्ति की बलिदेवी पर भी ज्ञात उन्हें था मिट जाना,
ताशकंद में इसी शान्ति हेतु उन्हेंं पड़ा था जाना।
चिर शान्ति उन्हें वहीं प्राप्त हुई,
अब चिर निद्रा में सो गया ये लाल,
यह खबर भी वहीं से प्राप्त हुई।
कोटि-कोटि ,जन के प्यारे थे वो, भारत मां के अमर सपूत रखवाले थे वो।
नीलम वन्दना
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