Friday, 19 November 2021

कारवां मन्जिल की ओर

चलते जाओ नेक नीयत से,
नेकी के फरिश्ते मिल ही जाएंगे।
आज बेशक अकेले हो तुम सफर में ,
कल कारवां भी बनते जायेंगे।
        बस यूं ही हिमाद्री वर्मा "समर्थ" ने भी नेक नियती के साथ 2014 से लिखना शुरू किया।और उनके लेखन की ख्वाहिश "ख्वाहिशों के समन्दर" से चल कर ख्वाहिशों की धारा में एहसास दिल के, मन के अल्फ़ाज़ और अल्फाजों के कारवां" से आगे बढ़ते हुए ये "कारवां मन्जिल की ओर" कहानी संग्रह के सम्पादन तक पहुंच गया है।
       सम्पर्क साहित्य संस्थान के तत्वावधान में सम्पादित व साहित्यगार  प्रकाशन द्वारा प्रकाशित  "कारवां मन्जिल की ओर" एक ऐसा कहानी संकलन है, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में रह रही विभिन्न सामाजिक परिवेशो में रह रही 51 साहित्यिक अभिरुचि रखने वाली आधी शक्ति ने जो कुछ अपने आस-पास देखा महसूस किया , उसे कलमबद्ध किया। इन सभी कहानियों में समाज के विभिन्न परिस्थितियों से जूझती महिलाओं के सकारात्मकता व नकारात्मकता दोनों पक्षों के दर्शन होते हैं साथ हुआ विडम्बना वो विसंगतियों की व्यथा और जीवन संघर्ष परिलक्षित होता है। वो आंचल पाहवा की कहानी मूरत में बलात्कार पीड़िता का दर्द हो , या रिश्तों के महत्व समझाती अनिला बत्रा की कहानी रिश्तों की महक हो। बुजुर्गो के साथ ही परिवार का अस्तित्व बताता अंजली कौशिक की कहानी सोच हो या दहेज के दर्द को उकेरती और उसे अभिशाप समझने वाले निखिल का बिना दहेज शादी का निर्णय करने वाली डा. आशा सिंह सिकरवार की कहानी दहेज एक अभिशाप। ऐसे ही इस कहानी संग्रह की  सभी कहानियां एक से बढ़कर एक हैं और सभी मानवीय मूल्यों को बनाए रखने का समर्थन करती है।संक्षेप में अगर आपको नारी संघर्ष और उपलब्धियों से जुड़ी हुई बातें पसंद आती है तो निसंदेह यह पुस्तक आपको पसंद आएगी।

कारवां मन्जिल की ओर

प्रथम संस्करण  :   2022

ISBN           :
978-93-90449-69-9

सम्पादन         :  हिमाद्री समर्थ
प्रकाशन।        :  साहित्यागार,
                   नामची मार्केट की गली
                   चौड़ा रास्ता, जयपुर
प्राप्ति का स्थान :  amazon.in
                     flipkart.com
मूल्य              :   300.00


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