Monday, 24 January 2022

बातें अभी और भी है -7

बातें अभी और भी है
       किस्मत से लड़ गए थे एक रोज.....बदल दिया था रास्ता जिन्दगी का एक ही पल में... मुझे पता था और समझ भी कि जो कुछ भी मेरे साथ हुआ वो सही नहीं था...... हां कई बार दिल ने सवाल जरूर किया ऐसा आखिर मेरे साथ ही क्यों??
कभी कभी दिल में टिस सी जरुर होती है लेकिन यकिन मानिए अफसोस कत्तई नहीं होता...
जो हुआ अच्छा हुआ, शायद मेरे लिए यही सही था☺️ लेकिन सिर्फ मेरे लिए.....
बाक़ी किसी के भी साथ ऐसा कुछ हो ऐसा मैंने बिल्कुल भी नहीं चाहा........
बस यू ही


तिरंगा

तिरंगा
सुनो गौर से दुनिया वालों
तीन रंगों में रंगा तिरंगा
सारे जग से न्यारा है,
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।

सबसे ऊपर रंग केसरिया
वीरों के बलिदान की कथा
सुनाता है,
ब्रिटिश हुकूमत को कैसे
देशभक्तों ने मार भगाया है।
स्वतंत्र हुआ है हिंदुस्तान,
इनकी भुजाओं के बल से ही
दुश्मन हरदम हमसे हारा है
सुनो गौर से दुनिया वालों 
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।

मध्य में स्थित श्वेत रंग 
संदेशे यूं देता है
अमन चैन फ़ैलाये
सब मिलकर
प्रेम भावना बसे 
प्रत्येक हृदय में
हम एक ऐसा वतन बनाये,
जहां सुख-दुःख में 
एक दूजे का हम बने सहारा ।
सुनो गौर से दुनिया वालों 
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।

सबसे नीचे होता हरा रंग हैं
जो हरियाली को दर्शाता हैं।
उन्नति का पथ दिखलाता है
चीर धरा का सीना हलधर
विभिन्न फसल उगाता है,
सारे विश्व को देता अन्न
पशुओं को देता चारा है
सुनो गौर से दुनिया वालों 
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।

और श्वेत के मध्य 24 तिलियो वाला नीला चक्र 
ज्ञान हमेशा यही है देता ,
साथ समय के चलो निरंतर
बढ़ते रहो सदा कहीं रुको नहीं
बिना परिश्रम कभी किसी का
सितारा यहां चमकता नहीं,
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।
नीलम वन्दना

नेताजी

नेताजी
कटक उडीसा मे थे जन्में 
बचपन वहीं पर गुजरा था।
सबसेअलग छबि थी, 
अलग था उनका शान। 
बचपन से ही दीन-हीन की
सेवा थे करते
विवेकानंद जी थे बहुत ही भाये।

युवावस्था में छोड प्रशासनिक सेवा, 
कूद पड़े थे स्वतन्त्रता संग्राम में
शामिल हो गए कांग्रेस में,
गांधी जी से मतभेद हुआ जब, 
फ़ोर्वर्ड ब्लोक का गठन किया।

सुभाष चंद्र बोस नाम था इनका
नेताजी कहलाते थे।
आजादी के जंग में इनके 
जांबाजी की गाथा 
इतिहास हमें सुनाता है
जय हिन्द का नारा देकर जिसने
देशप्रेम का अलख जगाया है।

द्वितीय विश्व युद्ध में
आजाद हिंद का गठन किया।  
"तुम मुझे खून दो मै तुम्हेंआजादी दूंगा"
नेताजी के नारे  ने देशप्रेमीयो में 
एक नया जूनून सा भर दिया।

दौड़ते हुए बाघ को नेताजी ने
आजाद हिन्द का प्रतीक बना
"तुम मुझे खून दो में आजादी
दूंगा" का आवाहन किया

नज़रबंद जब किया सरकार ने
धूल झोंकी,वेश बदलकर, 
भागे चकमा देकर
दुश्मन का दुश्मन दोस्त समझ, 
पहुँचे जापान, जर्मनी से
बुलंद घोषणा नेताजी ने
किया शंख नाद "जय हिन्द" का
जापानी सेना के सहयोग से 
अंडमान निकोबार पर 
विजय पताका फहराया

टोकीओ जाते समय हुये
असमय ही काल के शिकार
थी वो भयंकर हवाई दुर्घटना
छोड़ गये हम सबको नेताजी
शव तक किसी को मिल ना पाया।

गुलाम भारत के आज़ाद थे वो,
एक नया मोड दिया स्वतंत्रता संग्राम को
सारा जीवन गुजारा संघर्ष भरा, 
पर भर को ना आराम मिला
स्वतंत्रता मांगे है बलिदान,
बिन बलिदान ना मिले स्वतंत्रता
सशस्त्र क्रांति द्वारा भारत को,
किया संकल्प स्वतंत्रत कराने को

मन में सदा उठती है ये हूक,
क्यूं मौत विवादित रही देशभक्त की, 
भारत माता का यह सपूत,
देख पाया न आज़ाद अपनी माता को
नेताजी का यह बलिदान,
कभी ना भूलेगा हिन्दुस्तान
नीलम वन्दना

Sunday, 9 January 2022

उठो जागो युवाओं अब भोर हुई

युवाओं के कंधों पर युग की कहानी चलती है।
इतिहास उधर मुड़ जाता है जिस ओर ये जवानी चलती है।

उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।
सूरज की किरणों से
ये धरा
सराबोर हुई।

चिड़ियों की चहचहाटों,
कलियों के खिलने की,
फिर एक नई शुरुआत हुई।
से फिर एक नई शुरुआत हुई।
जागो उठो युवाओं
अब भोर हुई।

बच्चों में नई उमंगों की,
युवाओं में नए जोश की,
फिर एक नई शुरुआत हुई
आलस को त्यागो 
उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

सिर्फ खुशियों के आस से 
नहीं सम्हलता जीवन है  |
सिर्फ सोच और अनुमान से नहीं,
बदलता ये जीवन है |
ऊषा के किरणों सा चमकना है,
शशि सा शीतल रहना है |
उठो जागो युवाओं,
अब भोर हुई

उर्जा की खान तुम हो,
मजबूत हौसले को बनाओ,
जीवन में नया रह बनाओ |
कर्मवीर हो तुम
धर्मवीर हो तुम

याद करो तुम अपना 
बल ,कर्म करो कुछ ऐसा
देश का माथा ऊँचा हो
जिससे और चौड़ा हो सीना,
दुश्मन जो देखे नज़र उठाकर
छूट जाय उसे पसीना।
 उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

हे कर्मठ युवाओं
दिखा दो दुनिया को
जीवन के हर पहलू में,
अपना भी है एक वजूद।
उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

आसमां की लाली संग
एक नई शुरुआत हुई
उठो जागो अब भोर हुई
गुज़रे पलों की अच्छी यादों के संग,
भर नये जोश और नई उमंग संग 
अब तो करो शुरुआत नई।
उठो जागो भाई
अब भोर हुई।
उठो जागो भाई
अब भोर हुई।
नीलम वन्दना

Friday, 7 January 2022

सुनो ना - 28

सुनो ना कह के सभी को सुनाती हूं.....
अपनापन महसूस कराती हूं.....
और
जब होता है दर्दे दिल बयां
बस यूं ही कह के सभी को बहलाती हूं...
आंखों के पीछे अब भी दरिया है,
कुछ भरे हुए
मत छेड़िए क्योंकि कुछ ज़ख्म हैं 
अभी भी हरे हरे....
बस_यू_ही