Sunday, 9 January 2022

उठो जागो युवाओं अब भोर हुई

युवाओं के कंधों पर युग की कहानी चलती है।
इतिहास उधर मुड़ जाता है जिस ओर ये जवानी चलती है।

उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।
सूरज की किरणों से
ये धरा
सराबोर हुई।

चिड़ियों की चहचहाटों,
कलियों के खिलने की,
फिर एक नई शुरुआत हुई।
से फिर एक नई शुरुआत हुई।
जागो उठो युवाओं
अब भोर हुई।

बच्चों में नई उमंगों की,
युवाओं में नए जोश की,
फिर एक नई शुरुआत हुई
आलस को त्यागो 
उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

सिर्फ खुशियों के आस से 
नहीं सम्हलता जीवन है  |
सिर्फ सोच और अनुमान से नहीं,
बदलता ये जीवन है |
ऊषा के किरणों सा चमकना है,
शशि सा शीतल रहना है |
उठो जागो युवाओं,
अब भोर हुई

उर्जा की खान तुम हो,
मजबूत हौसले को बनाओ,
जीवन में नया रह बनाओ |
कर्मवीर हो तुम
धर्मवीर हो तुम

याद करो तुम अपना 
बल ,कर्म करो कुछ ऐसा
देश का माथा ऊँचा हो
जिससे और चौड़ा हो सीना,
दुश्मन जो देखे नज़र उठाकर
छूट जाय उसे पसीना।
 उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

हे कर्मठ युवाओं
दिखा दो दुनिया को
जीवन के हर पहलू में,
अपना भी है एक वजूद।
उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

आसमां की लाली संग
एक नई शुरुआत हुई
उठो जागो अब भोर हुई
गुज़रे पलों की अच्छी यादों के संग,
भर नये जोश और नई उमंग संग 
अब तो करो शुरुआत नई।
उठो जागो भाई
अब भोर हुई।
उठो जागो भाई
अब भोर हुई।
नीलम वन्दना

No comments: