होली का त्योहार
रीत - प्रीत संग गीत लिए
रंग - उमंग संग तरंग लिए ,
भेद भाव मिटाने दिलों का,
आया है होली का त्यौहार
सबको रंगो से भरा पूरा
सतरंगी संसार मिले,
सबसे पहले हर एक को
खुशियों का द्वार मिले.
भूल जाय सब राग द्वेष
गैरों से भी अपनों सा
सबको प्यार मिले
जातिवाद और उच नीच
के भेदभाव को अब
जी भर कर तिरस्कार मिले,
आज के इस नये दौर में
सभी को उनका अधिकार मिले….
बने हुए हैं जो कन्हैया
उन सब दीवानो को
सतरंगी रंगो मे डूबा
उनको उनका प्यार मिले…
सड़कों पर जो मासूम घूम रहे,
उन सब को भी रंगों संग
खुशियों की सौगात मिले...
वृद्धाश्रम में जो बैठे हैं,
उन सब बुजुर्गों को गुझियों
संग अपनो का साथ मिले।।
नीलम वन्दना
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