सुनो ना......
मुझसे बात ना होने पर वो जो उलझन सी होती थी ना कभी.....
और फिर मैसेन्जर में कॉल करने को बोलना इश्क़ है।
कुछ सही कुछ गलत मेरा बड़बड़ाते जाना.....
और उसे शान्ति से सुन कर तुम्हारा चुप रह जाना इश्क है।
मेरे हज़ार मैसेजेज़ के बाद तुम्हारा एक छोटा सा प्यार सा कोई रिप्लाई का आना......
और उसे देख मेरे आँखों में आंसूओ का आना इश्क़ हैं।
तुम कभी भी नहीं आओगे ये जानते हुये भी तुम्हारी मिन्नते करते जाना......
और बेसब्री व बेताबी से तेरा इन्तजार करना इश्क़ है।
नीलम वन्दना
वाराणसी
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