Wednesday, 11 August 2021

बातें अभी और भी है।

बातें अभी और भी है।

   2020 जुलाई अगस्त से करोना का कहर कुछ कम होने लगा था और जिन्दगी धीमी ही सही पर वापस पटरी पर लौटने लगी थी।  2021 जनवरी की शुरुआत कुछ इस उम्मीद पर हुई थी कि अब करोना धीरे धीरे समाप्त हो जायेगा किन्तु ईश्वर को शायद ये मन्जूर नहीं था वो इन्सानों को प्रकृति से खिलवाड़ करने की सजा देना चाहते थे। इन्सानों ने जिस तरह प्रकृति को प्लास्टिक से ढका था प्रकृति ने इन्सानों को ही प्लास्टिक में बन्द कर दिया। मार्च-अप्रैल में करोना नामक दानव ने फिर से सर उठाना शुरू कर दिया था और अप्रैल-मई में तो ये अपने भंयकर विकराल रूप को धारण कर चुका था।हर तरफ से मदद की गुहार सुनाई देती थी। शायद ही कोई घर बचा हो जहां मौत ने अपने कदम नहीं रखें हो। अस्पतालों के बुरे हाल थे।
          जहां इतने बुरे माहौल में जिससे जितना मदद बन सका उसने किया। बहुत सारे सामाजिक संस्थाएं आगे आयी वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो अभी भी सरकारों को कोसने,आपसी दुश्मनी निकालने से बाज नहीं आ रहें थे।कुछ लोग खून,प्लाज्मा,‌आक्सीजन और जीवनरक्षक दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी कर रहे थे। कुछ लोग मदद के लिए आगे तो आये लेकिन इस शर्त पर कि अगर जीवन के लिए संघर्षरत इन्सान मोदी भक्त हुआ तो मैं मदद नहीं करूंगा उसकी मदद तो खुद मोदी जी ही आकर करेंगे। मैं उसे समझाती रह गयी कि हर इंसान को खून और प्लाज्मा मोदी जी नहीं दे सकते ,ये हमें आप को ही करना होगा और हम आप भी बस कुछ लोगों को ही दे सकते हैं तो कृपया अगर आप दें सकते हैं तो जरूर दें। लेकिन वो बन्दा अपनी पर अड़ा रहा और नहीं दिया। कुछ लोग ऐसे भी मिले जिन्हें सोशल मीडिया पर इनबाक्स में आपसे हाय हैलो करके आपकी तारीफों के पुल तो बांधने थे लेकिन वो आपकी मदद के गुहार लिए पोस्ट को अपने वाल पर शेयर करने से कतराते रहे। और इन सबकी सबसे खास बात कि ये सब भी इन्सान थे।
वक्त कैसा भी हो गुजर जाता है ,कभी हंसा के कभी रुला के........ लेकिन साथ ही बहुत कुछ सीखा भी जाता हैं।



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