बुलन्द हौसले से
सपनों की उड़ान से
छू लो आसमान तुम
सफलता कदम चूमे
रचो नित नए कीर्तिमान तुम
पर याद रहे धरती से,
जड़ें ना हिलने पाये।
संस्कारों की डोर,
ना यूं टूटने पाये।
क्योंकि आसमानों में उड़ने वाले
परिन्दे भी कर जाते चुगली,
आसमानों में उड़ाने होती है
और ठिकाने तो धरती पर ही होते है।
No comments:
Post a Comment