Monday, 9 August 2021

छू लो आसमान


बुलन्द हौसले से
सपनों की उड़ान से
छू लो आसमान तुम
सफलता कदम चूमे
रचो नित नए कीर्तिमान तुम

पर याद रहे धरती से,
जड़ें ना हिलने पाये।
संस्कारों की डोर,
ना यूं टूटने पाये।

क्योंकि आसमानों में उड़ने वाले
परिन्दे भी कर जाते चुगली,
आसमानों में उड़ाने होती है
और ठिकाने तो धरती पर ही होते है।



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