Friday, 30 December 2011

इस भरी दुनिया में कोई भी हमारा न हुआ ......

                    आज इस भीड़ भरी दुनिया में भी हर  शख्स अकेलेपन का शिकार सा है ...आखिर क्यों है ऐसा आज हमारे पास भौतिक जगत की सारी सुविधाये है ..भगवान के दिए हुए माता पिता भाई बहन और बाकि रिश्तेदार भी है ..फिर भी हर दूसरा व्यक्ति अकेलेपन की समस्या से ग्रसित है ......
.                .इसके कारण शायद हम खुद ही है आज का इन्सान इतना ज्यादा भौतिकतावादी हो गया है की उसके पास अपनों के पास बैठने के लिए समय ही नहीं ..न ही वो माता पिता को समय दे पता है न ही परिवार के अन्य सदस्यों को...और तो और आज की माताये भी अपने बच्चो को पूरा समय नहीं दे पाती
और न ही उनके पिता आज आधुनिक युग में बच्चो की परवरिश उनके आयाओ के भरोसे पे हो रही है ......
                आखिर क्यों हम अपने माता पिता को समय नहीं दे पाते.......हम अपने बच्चो के साथ क्यों उनका बचपना नहीं जी पाते जैसे   हमारे माता पिता हमारे साथ जीते थे ...हम उन्हें भौतिक जगत की सारी चीज़े दे रहे है बस अपना अमूल्य समय ही नहीं दे रहे जिसके कारण वो उन संस्कारो से वंचित हो जा रहे है ..जो हम उन्हें जाने अनजाने दे देते ..जो उन्हें विरासत में उनके दादा दादी दे देते ....
              आज हम ये भूल जाते है की जो आज हम अपने बच्चो को जाने अनजाने दे रहे है वही कल हमे ब्याज के साथ वापिस मिलने वाला है ...हम बच्चो
 के भावनात्मक विकास को अवरूध कर रहे है .कही न कही..आज कभी हम परेशान होते है की हमारे साथ कोई भी नहीं है लेकिन क्या हम कभी ये देखते है हम किसी के साथ कभी थे  या है की नहीं ...
              .आज हम अपनों के लिए समय न होने का रोना रोते है तो कल उनके पास हमारे लिए समय कहा से आएगा ......

Thursday, 29 December 2011

भ्रष्टाचार...........भारत सहित दुनिया भर में सबसे गंभीर मुद्दा...........

    भ्रष्टाचार रोकने के लिए जन लोकपाल बिल लाने की माँग करते हुए अन्ना हज़ारे का आंदोलन दोबारा शुरू हो गया है. मगर कई लोगों को ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार भारत में जड़ें जमा चुका है और उसे हटाना आसान काम नहीं होगा.

भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में लोग बातें करना और भाषण देना बहुत पसंद करते हैं लेकिन व्यवहार में कुछ भी नहीं बदलता. भ्रष्टाचार से निबटने के बारे में भी सैकड़ों सुझाव सामने आते रहते हैं.
   
    भ्रष्टाचार शब्द एक ऐसा तिलिस्म सा बनता जा रहा है जिसे रोक पाना किसी भी सरकार के लिए असंभव सा बनता जा रहा है.भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ उसके अंदर छिपी हुई अभिलाषा है.जब तक इंसान अपनी सोच और आवश्यकता नहीं बदलेगा तक दुनिया का कोई भी क़ानून बनाने से कुछ नहीं होगा. इसलिए अब ऐसे सार्थक लोकपाल बिल की दरकार है जिसके मार्फ़त भ्रष्ट तत्वों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके. देश में भ्रष्टाचार एक ऐसा रोग बन गया है जिसका इलाज अब कानून बनाए बिना होने वाला नहीं है
    .भ्रष्टाचार हाथ पर हाथ रखकर बैठने से तो ख़त्म नहीं होगा या हम ऐसा सोचे कि कोई फ़रिश्ता आएगा और भ्रष्टाचार समाप्त करेगा.ऐसा कभी नहीं होगा.इसे ख़त्म करने के लिए किसी ना किसी को पहल करनी होगी और अगर किसी ने पहल नहीं की तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं.
     भ्रष्टाचार का मतलब बारूदी सुरंग वाले क्षेत्र में फॅस जाने जैसा है एक कदम हिलाया नहीं कि विस्फोट में जान गॅवाना या विकलांग होना ही है। इसलिए किसी भ्रष्टाचारी को तिहाड में भेजकर न तो खुश होने जैसी कोई बात है और न ही इससे संतोष किया जा सकता है.भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण देना और लड़ना अलग अलग बात है अगर आप किसी को रिश्वत लेते हुए या देते हुए देखते हैँ उसके खिलाफ जोखिम लेकर साक्ष्य एकत्र करते हैँ और जाँच मेँ अगर अधिकारी पूछता है न तो आप से ली गयी न आपने दी है तो आपको क्या परेशानी है हू आर यू. अपने पैसे और समय खर्च करने के बाद ऐसे सवाल बहुत तकलीफ देते हैँ...
      उन कारणों का पहचान कर ठीक करना होगा जिसके कारण लोग भ्रष्टाचारी होते जा रहे है.
सबसे बड़ी बात है भ्रष्टाचार विरोधी चर्चा का होना. चर्चा से जागरूकता बढ़ती है. हर व्यक्ति अगर बरबस भ्रष्टाचार विरोधी चर्चा एवं जागरूकता को अपनी जीवनशैली मे शामिल कर लेगा तो भ्रष्टाचार अपने आप कम हो जाएगा.
     भ्रष्टाचार एक ऐसी बुराई है जिसे जड़ से मिटाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. भारत में जबतक लोगों को जागरुक नहीं किया जाएगा तब तक इसे ख़त्म करना असंभव है.शोध एवं विरोध से काफ़ी हद तक भ्रष्टाचार कम किया जा सकता है
     

Sunday, 18 December 2011

aap apne phasle jitni jaldi ho sake le le.......


जल्द फैसला लेने वालों के लिए खुशखबरी है. एक शोध का दावा है कि जल्दी निर्णय लेने वाले लोग ज्यादा खुश रहते हैं बजाये उनके जो जिंदगी में अहम पड़ाव पर निर्णय के बारे में जूझते रहते हैं.
अध्ययनकर्ताओं को पता चला है कि ज्यादा देर से निर्णय लेने वाले ज्यादा दुखी और परेशान रहते हैं, जबकि तुरंत फैसला लेने वाले चिंतामुक्त तो रहते ही हैं बेहतर जिंदगी भी जीते हैं.
‘डेली मेल’ की खबरों के मुताबिक, अध्ययनकर्ताओं ने दो समूहों में बांटकर लोगों का अध्ययन किया. एक में ऐसे लोगों को रखा गया जो हर चीज को लेकर परेशान रहते हैं, जबकि दूसरे समूह में ऐसे लोग थे जो निर्णय लेने के प्रति शंकालु नहीं रहते.
उन्होंने दावा किया कि दुविधा की स्थिति में फंसे रहने वाले लोग ज्यादा परेशान रहते हैं. उनके अनिर्णय के कारण ‘सहयोगी’ यानि ‘गर्लफ्रैंड’ या ‘ब्ऑयफ्रेंड’ का साथ छूटने का डर से लेकर कैरियर पर असर और स्वास्थ्य को भी इससे नुकसान पहुंचता है.
शोध को लेकर प्रोफेसर जोएस एरीलिंगर ने कहा कि नौकरी के लिए आवेदन करने, साथी का चुनाव, घर खरीदने या ऐसे ही किसी अहम पड़ाव पर जल्द फैसला नहीं लेने वाले लोग अधिक ‘नर्वस’ रहते हैं.

Saturday, 10 December 2011

घर से निकलने से पहले कुछ मीठा जरुर खाना चाहिए, क्योंकि..

कहा जाता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले मुंह मीठा करना चाहिए, कोई मिठाई या दही, शकर खाना चाहिए। यह परंपरा भी पुराने समय से ही चली आ रही है। आज भी कई लोग घर से निकलने के पूर्व कुछ मीठा खाते हैं।

हम जब भी किसी परीक्षा या किसी शुभ कार्य के लिए घर से निकलते हैं तो हमारे बुजुर्ग कुछ मीठा खाकर जाने की बात कहते हैं। आखिर इससे फायदा क्या होता है?

ऐसा माना जाता है मीठा खाकर कुछ भी कार्य करने से हमें सफलता मिलती है। मीठा खाने से हमारा मन शांत रहता है। हमारे विचार भी मिठाई की तरह ही मीठे हो जाते हैं। हमारी वाणी में मिठास आ जाती है। यदि हमारा मन किसी दुखी करने वाली बात में उलझा हुआ है और हम मीठा खा लेते हैं तुरंत ही मन प्रसन्न हो जाता है। मीठा खाने के बाद हम किसी भी कार्य को ज्यादा अच्छे से कर सकते हैं। 

साथ ही घर से निकलते समय मीठा खाने से हमारे सभी नकारात्मक विचार समाप्त हो जाते हैं और हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कुछ लोग दही और शकर खाकर किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत करते हैं। दही में खटास होती है और शकर में मिठास। इस खट्टे-मीठे स्वाद से हमारा मन तुरंत ही दूसरे सभी बुरे विचारों से हट जाता है। मीठा खाने से रक्त संचार बढ़ जाता है। एनर्जी मिलती है।

शुभ कार्य के पहले मीठा खाना चाहिए परंतु ज्यादा मीठा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

Friday, 14 October 2011

क्या कसाब या अफजल गुरु को फाँसी देना आवश्यक है ?????.

क्या वाकई में कसाब और अफजल गुरु को सिर्फ फाँसी की ही सजा दी जा सकती है ..और कोई दूसरी सजा इनके लिए उचित नहीं होगी .और यदि ऐसा है , तो हमारी सरकार और न्याय पालिका उसमे इतना समय क्यों लगा रही है .जो भी करना है कर के काम की समाप्ति क्यों नहीं करते ?
       यदि इनकी मेहमान नवाजी ही उमरभर  करनी है तो इनको अपने यहाँ का सांसद भी बनाया जा सकता है इससे  तीन  काम हो जायेगे ..१- तो ये आराम के साथ उम्र भर भारत में रह सकते है .२-भारत भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान की ही भाति आतंक वादी राष्ट्र बन जायेगा .३-अल्पसंख्यक और बहु संख्यक की लड़ाई हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी .....
       और नहीं यदि इनको सजा के रूप में फाँसी ही देनी है तो वो भी दे के बात को ख़त्म करना चाहिए...
वैसे  मेरी समझ में एक रास्ता और भी  है जिससे यदि हमारे  हुक्मरान इनको सुरछित रखते हुए इनको सजा देना चाहे तो वो भी कर सकते है ....
       सबसे पहले वो एक म्यूजियम बनवा दे . और देश विदेश के जितने भी आतकियो को पकड़ सकते है .पकड़ कर उन्हें एक ऐसे कमरे में जहा सिर्फ उनके खड़े होने भर की जगह  हो और सामने की दीवाल में लोहे की सलाखे लगी हो.एक एक में एक एक को जनता के दर्शन के लिए रखा जाये.इससे भी कई काम हो जायेगे मसलन देश को आर्थिक लाभ होगा और देश की जनता का क्रोध भी शांत हो जायेगा ..बस  वहा कुछ नियम भी लगा दिए जाये जैसे .............१-जो भी व्यक्ति अंदर जाना कहेगा उसे २०० रु का एक टिकट लेना होगा .२-अंदर हर आतंक वादी को २-४ थप्पड़ जितनी भी ताकत हो लगा कर मारना होगा ३-अंदर कोई भी हथियार नहीं ले जाना है.४-सिर्फ चेहरे पर ही मारना होगा .५- पुरे परिवार के साथ आने पे टिकट पे छुट का प्राविधान होगा ..५-उनसे और कोई बात नहीं करनी होगी .
         इससे ये सभी अपनी मौत से मरेगे सरकार की इच्छा भी पूरी हो जाएगी और जनता की भी ....
 यदि हमारी बातो से किसी की भावनाए आहात हुई हो तो मैं माफ़ी चाहती हूँ...

Saturday, 8 October 2011

बदलता परिवेश

 क्या आज के बदलते परिवेश में हमे अपने बुजुर्गो को वृधाश्रम भेजना उचित है .......??
आज बहुत तेजी के साथ समय परिवर्तित हो रहा है ..समय के साथ ही लोगो के विचारो में भी परिवर्तन हो रहा है .
इन परिवर्तनों से हमारे घनिष्ट रिश्ते भी अछूते नहीं रहे है .बीते हुए कल में लोग माता पिता को  भगवान मानते थे .वृधावाश्था में उनका ख्याल रखते थे .
आज स्थितिया बदल गयी है .आज किसी के विचार नहीं मिलते , कोई अपने व्यवसाय के कारण उनके साथ नहीं रह पता ...यही कुछ  लोग आप को ऐसेभी मिल जायेगे जो आज भी माता पिता को भगवान का दर्जा देते है .तो कुछ ऐसे भी की उन्हें अपमानित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते.
ऐसा क्यों होता है ? भगवान कुछ भी गलत नहीं करते फिर धरती के भगवान अपने बच्चो के लिए किसे गलत कर सकते है ..और जब भगवान गलत नहीं करते तो उपर वाला भागवान उनके साथ गलत क्यों करता है ...
      आज की पीढ़ी से सभी अपेछा करते है की वो १.देश पर हमला होगा तो  सबसे पहले अपनी कुर्बानी देने को उद्दत होंगें .
.प्यासे को देखकर लोग पानी पिलायेगें
.दुर्बल की मदद होगी
.खाना खाने से पहले सामने वाले से पूछा जाएगा 
.किसी को खून की जरुरत होगी तो कई नवजवान रक्तदान के लिए आयेगें .कोई विक्लांग सड़क पर गिरेगा तो लोग उठाकर उसकी मदद करेगें लेकिन कभी कभी ऐसा नहीं  होता है क्यों?
क्या जब बेटे ने पिता को पहली बार अपमानित किया या अनुचित बात बोली थी उस समय पिता उसे रोक नहीं सकता था उचित दंड नहीं दिया जा सकता था ..या पिता इतना मजबूर था बेटे के हाथ अपमानित होने के लिए ...
एक औसत बच्चा कम से कम १००० बार अपनी माँ की गोद में और बिस्तर पर ठोस द्रव और गैस विसर्जित करता है ..माँ सब बर्दाश्त करती है साफ़ करती है ..कोई बिल नही पेश करती है ...खुद गीले में लेटकर हमको सूखे में लिटाती है ....हम उस माँ को घर के एक कोने में खाँसने ताक नही देना चाहते . ऐसा क्यों होता है ?यदि बेटा चाहे तो   ऐसा हो सकता है .
जो पिता बच्चे के जन्म के पूर्व से उसकी माता का भरण पोषण कर रहा होता है बच्चे को पढ़ा लिखा कर इतना योग्य बना सकता है की वह अपनी जीविका कमा सके क्या वह अपने वृधावस्था की जरूरतों को पूरा करने की व्यवस्था नहीं कर सकता है ,,वो बिलकुल कर सकता है .
आज के बदलते परिवेश की यह आवश्यकता बन चूका है की सभी अपने वर्तमान बच्चो के भविष्य और अपने भविष्य को आर्थिक और मानसिक रूप से सुरक्षित करे ..
आज ये जो पीढ़ी अंतराल का राग अलापा जा रहा है .वो  "पीढ़ी अंतराल" सांस्कृतिक विलम्बन का वास्तविक चेहरा है... 
 आर्यावृत भारतवर्ष में संस्कारों की जड़ें बहुत गहरी हैं.... आज की जो ये युवा पीढ़ी है काफी हद तक कुछ हद तक संस्कार विहीन शहरी वर्ग (वो भी सिर्फ १०% तक ) में, जो अभिभावकों की अर्थोपार्जन की भूख के कारण पारिवारिक संस्कारों से वंचित रह गए हैं, देखने को मिलता है... आज भी भारतीय अपने अग्रज में भगवान को देखते हैं... उनसे कुछ पल की नाराजगी को उनकी बेइज्जती समझना भी गलत हैं... कयुनकि भक्त भगवन से भी रुठ जाया करते हैं... रही बात व्यावहारिकता की तो व्यावहारिकता कि बात करने वाले जान लें कि मूल के बिना अंश का महत्व नहीं होता... जीवन के कठोर धरातल पर माँ बाप बच्चे को यु नहीं छोड़ देते गलती .......को माफ़ करते है .
  हम सोचते हैं की हम ज्यादा पैसे कमाकर अपने माँ बाप ज्यादा सुखी रख पायेंगे. मगर इसमें कितनी सच्चाई है हम सभी जानते हैं. लेकिन हम उनके पास रहकर भी तो कुछ नहीं कर पायेंगे अगर हमारे पास पैसे और नौकरी ना हो...फिर हम क्या करें....शायद इसमें हमें कोई बीच का रास्ता निकालनाचाहिये  और भौतिकवाद तथा आवश्यकताओं के बीच एक लक्ष्मण रेखा खीचने की आवस्यकता है ..जो माता पिता हमारे बचपनकी अनगिनत गलतियों को भूल जाते है ..हमारी परवरिश करते है वृधावस्था में हमे भी उनकी गलतियों ,उनकी वे बाते जिनसे हमारे विचार भिन होते है  हँस के  टाल देने चाहिए .हम भले ही उनसे दूर रहे कितु उन्हें इस बात का आभास तो करा ही सकते है की जब भी उन्हें मदद की आवस्यकता होगी हम तइयार होगे और इस बात का अह्शान नहीं जतायेगे..  किसी भी रिश्ते को निभाने  के लिए आपसी सामंजस्य का होना बहुत जरुरी होता है 
   माता ,पिता के साथ या अन्य किसी भी रिश्ते के साथ हमारा जुडाव भावनात्मक रूप से होता है रही रही सम्मान करने और पाने  की बात, तो ये निर्भर करता है की  माता पिता ने किसे संस्कार अपने बच्चो को दिए है ..साथ ही कुछ माता पिता के और कुछ बचो के भी पूर्व जनम के कर्म होते है .अत: हमे अपना कर्म करना चाहिए ..और किसी भी परिणाम की उम्मीद नहीं करनी चाहिए ..ऐसा गीता में भी कहा गया है ....

Saturday, 1 October 2011

aaj phir aapki ki kami si hai.........

shaam se aankh mein nami si hai
aaj phir aapaki kami si hai.....

dafn kar do hamein ke saans mile
nabz kuchh der se thami si hai....

vaqt rahataa nahin kahin tik kar
isaki aadat bhi aadami si hai.....

koyi rishtaa nahin rahaa phir bhi
ek tasalim laazami si hai.....

Thursday, 22 September 2011

Raj Ram ka rahe ya Rawan ka kya phark padta hai......................


राज राम का रहे या रावण का!
raaj ramka rahe ya rawan ka!

कुछ फर्क नही पडता
kuch fark nahi padta
राज राम का रहे या रावण का!
raj ram ka rahe ya rawan ka!
जनता तो बेचारी सीता है
janta to bichari sita hai
राज राम का रहा तो त्याग दी जाएगी...
raaj ram ka raha to tiyaag di jayegi...
रावण का रहा तो भगा ली जाएगी!!
rawan ka raha to bhaga lee jayegi!!

कुछ फर्क नही पडता
kuch fark nahi padta
राज पांडवो का रहे या कौरवो का!
raaj pandawo ka rahe ya korawon ka!
जनता तो बेचारी द्रौपदी है
janta to bichari daropdi hai
राज पांडवो का रहा तो दांव पे लगा दी जाएगी...
raaj pandawo ka raha to daanw pe laga di jayegi...
कौरवो का रहा तो वस्त्रहरीत की जाएगी!!
korawon ka raha to waster rahit kee jayegi....


कुछ फर्क नही पडता
kuch fark nahi padta
राज हिंदुओ का रहे या मुस्लीमो का!
raaj hinduo ka rahe ya muslimo ka!
जनता तो बेचारी लाश है
janta to bichari laash hai
हिंदुओ का रहा तो जला दी जाएगी...
hinduo ka raha to jala di jayegi...
मुस्लीमो का रहा तो दफना दी जाएगी!!
muslimo ka raha to dafna dee jayegi!!!

Wednesday, 14 September 2011

To provide eco-friendly, affordable solution of polythene bags. | Spark the Rise Indian Projects

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pomeeeeeee


The little girl said with a tear in her eye
Where is the sunshine that was up in the sky?
Mama answered with an encouraging smile
Only God knows the answer my child.
God has a plan and I know for sure
Please don't feel sad, He'll send the right cure,
Suddenly the little girl giggled out loud
As a cooling breeze blew away the darkened cloud.
There in its place appeared a rainbow so bright
It was truly an incredible, heartwarming sight,
A promise God had made a long time ago
Decorated the Texas sky with a colorful glow.
Mama, she said, God is painting the sky!
Then the little girl pointed to the rainbow so high,
Mama whispered, God has special brushes to make it so large
The rainbow helps us remember who is always in charge.
The little girl reached out to take Mama's hand
As the sunshine began to cover this Texas land,
Mama always knows, the little girl thought with love
As they walked hand in hand, enjoying the rainbow above. 

Wednesday, 31 August 2011

शायद इसीलिए वो नज़रें झुका मिलती है

क्या फ़र्क है ख़ुदा और पीर में 
क्या फ़र्क है किस्मत और तक़दीर में 
चाहो ग़र कुछ दिल से और ना मिल पाए 
तो समझना कुछ और अच्छा लिखा है नसीब में 

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बाहों में भरके सुला दूँ तुझको 
आ खुद में आज छुपा लूँ तुझको 
भरी दुनिया में मुझसा न मिलेगा कोई 
आ ऐसा एक एहसास दिला दूँ तुझको 

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शिकवा रहे हमसे या गिला रहे हमसे 
आरज़ू है बस यही एक सिलसिला रहे हमसे 
फासले हो दरमियां या खता हो कोई 
दुआ है यही के नजदीकियाँ रहें हमसे 

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जाने क्यूँ वो हमसे मुस्कुरा के मिलती है 
अन्दर के सारे ग़म छुपा के मिलती है 
जानती है के आँखें सच बोल जातीं है 
शायद इसीलिए वो नज़रें झुका मिलती है 

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Sunday, 28 August 2011

if you want your dreams come true


The smallest good deed is better than the grandest intention.
Of all the things you wear, your face expression is the most important.
The best vitamin for making friends....B1.
The 10 commandments are not multiple-choice.
The happiness of your life depends on the quality of your thoughts.
Minds are like parachutes, they function only when open.
Ideas won't work unless YOU do.
One thing you can't recycle is wasted time.
One who lacks the courage to start has already finished.
The heaviest thing to carry is a grudge.
Don't learn safety rules by accident.
We lie the loudest when we lie to ourselves.
Jumping to conclusions can be bad exercise.
A turtle makes progress when it sticks its head out.
One thing you can give and still keep is your word.
A friend walks in when everyone else walks out.

Sunday, 21 August 2011

पिता

1..........

पिता ही हो सकते थे क्रूर और कामकाजी
सिर्फ़ पिता ही जान सकते थे कि
यह है निर्ममता
संसार में पता नहीं
किस-किसने झेले होंगे उनके प्रहार
पर संसार के सारे प्रहार
अपनी पीठ पर झेलते
पिता लौटते हैं
बच्चों की दुनियाँ में

बच्चों की दुनिया में
संसार से आतंकित रहते हैं पिता
2.....

पिता आते हैं फ़ुर्सत में
कि ऐन वक़्त चली जाती है माँ
धीरे-धीरे जान पाते हैं पिता

कि फुर्सत में आना
बच्चों की दुनिया में
फ़ालतू हो जाना है

फ़ैलता रहता है बच्चों का संसार
सिमटते रहते हैं पिता
बच्चों के संसार में
जब तब दुखता है पिता का मन
दुखता है पर ख़ुलता नहीं

जब-तब लगती है ठेस
याद आती है माँ
घर के एक कोने में
केवल माँ से बतियाते हैं पिता
अक्सर कहते
यही होता हैव्
यही होता है संसार
और ख़ुश्क आँखों से रोते हैं पिता

3....

पिता माली थे
ध्यान में निरंतर रह्ती थी पौध

पेड़ की कल्पना
छाँव और फ़ल की कल्पना थी

पेड़ों की धमनियों में बहता था
पिता का रक्त
पेड़ों की जड़ों में
पिता का पसीना

पेड़ों की साँसों में थी
संसार की हवा
पेड़ों पर पड़ती थी
संसार की धूप
पिता जहाँ बैठते हैं
वहाँ से हटकर पड़ती है
पेड़ों की छाँव
पिता के हिस्से में नहीं आते
पेड़ों के फल

4.....

अब जबकि पक चुके हैं बाल
पक चुका है मोतिया
अब जबकि क़दम दो क़दम पर
फूलती है साँस
पिता दूर-दराज़ के मजबूर बंजारे हैं

दूर-दराज़ बसे हैं
बच्चों के संसार

अब जबकि अनवरत सिकुड़ रही है
पिता की काया
पिता के कानों में निरंतर गूँजती है
संसारों की चरमर

पिता के ख़्याल में कहीँ भी नहीं है
ऐसा संसार
जिसे लगे हल्का पिता का भार

5......

पिता पैंशन भर नहीं है
न जायदाद
न वसीयत
संसार में पिता सुनते हैं बार-बार
पिता चुप लगा जाते हैं
पिता नहीं कहते
मिथ्याचार मिथ्याचार

Sunday, 14 August 2011

dostiii


Dosti ki bejod misaal ho tum
na hai koi kami lazabab ho tum.
nahi koi aisa mera “Dost” jaisa
doston mai dosti ki ek alag pahchan ho tum
tum se baat ho meri to sukoon milta hai
jab jaata ho mujhe ko kar jata bejaan ho tum.
Nahi karta mann tumse door hone ka ek pal
Mazbooriyon se ghiri bahut pareshan ho tum
Pyar to dekha hai zamane ka maine.
Dosti main muhabbat ki ek alag pahchaan ho tum
Tumhari dosti ne hi ek bejaan ko jaandar banaya
Girte hue dost ko sambhalna sikhaya.
Nahi chuka paungi kabhi dosti ka karz
Kitne pyar se nibhaya tumne dosti ka farz.
Girte hue haalat mai mera maddadgar ho tum
Dosti kya hoti hai is baat se bhi khabardaar ho tum

Tuesday, 9 August 2011

tere shiva kuch bhi nahi...........

Socha Nahi Acha Bura, Dekha Suna Kuch Bhi Nahi
Manga Khuda Se Raat-Din, Tere Siva Kuch Bhi Nahi
Socha Tujhe, Dekha Tujhe, Chaha Tujhe, Pooja Tujhe
Meri Wafa Meri Khata, Teri Khata Kuch Bhi Nahi
Jis Per Humari Aankh Ne Moti Bichaye Raat Bhar
Bheja Vahi Kagaz Use, Humne Likha Kuch Bhi Nahi
Ik Sham Ki Dehleez Per Baithe Rahe Voh Der Tak
Aankhon Se Ki Baatein Bahut Moonh Se Kaha Kuch Bhi Nahi
Do Char Din Ki Baat Dil Khak Mein So Jayega
Jab Aag Per Kagaz Rkha, Baki Bacha Kuch Bhi Nahi
Ehsaas Ki Khushboo Kahan, Aawaz Ke Jugnoo Kahan
Khamosh Yaadon Ke Siva, dil Mein bacha  Kuch Bhi Nahi 

Saturday, 6 August 2011

स्वाभिमान और अभिमान क्या है?????????


स्व + अभिमान =अपनी निजता का मान 
अभिमान -अभि+मान =अपने अंदर का मान
मर्यादा
स्वाभिमान एक धनात्मक और स्वस्थ अर्थ देता है
जबकि अभिमान एक हल्का और नकारत्मक अर्थ देता है .
इन्सान का स्वाभिमान कब उसके ऊपर हो हावी हो कर आभिमान में परिवर्तित हो जाता है उसे पता भी चलता ........
स्वाभिमान उसकी उन्नति में मददगार होता है जबकि अभिमान से उसकी अवन्ती का मार्ग प्रशश्त होता है ,
स्वाभिमान और आभिमान में बहुत ही बारीक़ अंतर होता है....
हमारा स्वाभिमान कब आभिमान में परिवर्तित हो जाता है ..हमे पता भी नहीं चलता.....
असल में जब हम दूसरे के स्वाभिमान को न मानकर सिर्फ अपने स्वाभिमान की बात करते हैं तो हम अभिमानी हो जाते हैं !!
रावण हमेशा अपना स्वाभिमान सोचता था राम का नही ............
स्वाभिमान हमेशा अच्छा होता है जबकि आभिमान बुरा ...अत: हमे हमेशा स्वाभिमानी होना चाहिए ....अभिमानी कभी नहीं.

Sunday, 31 July 2011

YE DIL HI TO MERA USIKA THA.............................

Manzilein bhi us ki thi, Rasta bhi us ka tha,
Ek main akeli thi Kaafilaa bhi us ka tha,
Saath saath chalne ki soch bhi us ki thi,
Phir rasta badalne ka faisla bhi us ka tha,
Aaj kyun akeli hoon Dil sawal karta hai,
Log to usi ke the Par kya Khuda bhi us ka tha,
Har raasta bhi us ka tha, har faisla bhi us ka tha..
Log bhi usi ke the shayad Khuda bhi us ka tha…
aur kya karoon bayan, apni barbadiyon ka aalam..
ki Jo ab sawal karta hai..ye Dil mera bhi toh usi ka tha.

number 9

We have 26 alphabets in English,

A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26

With each alphabet getting a number, in chronological order,as above, study the following, and bring down the total to asingle digit and see the result yourself
Hindu S h r e e K r i s h n a19+8+18+5+5+11+18+9+19+8+14+1=135=9
M u s l i m M o h a m m e d13+15+8+1+13+13+5+4=72=9
Jain M a h a v i r13+1+8+1+22+9+18=72=9
Sikh G u r u N a n a k7+21+18+21+14+1+14+1+11=108=9
Parsi Z a r a t h u s t r a26+1+18+1+20+8+21+19+20+18+1=153=9
Buddhist G a u t a m7+1+21+20+1+13=63=9
Christian E s a M e s s i a h5+19+1+13+5+19+19+9+1+8=99=18=9

Each one ends with number 9
THAT IS NATURE\'S CREATION TO SHOW THAT GOD IS ONE.
BUT MAN FIGHTS WITH MAN ON THE BASIS OF RELIGION. 

aadami .............

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।

Friday, 29 July 2011

No matter who you are, you need one .........

No matter who you are, you need one
no matter what you do, you want one
No matter if you are uptight or smug
everybody needs a hug

Even if you are up or even if you’re down
even if you’re flat on the ground
Even if you feel like you’ve got some kind of bug
everybody needs a hug

Maybe you’re a millionaire
or maybe you have no underwear
Maybe your life sucks and your beer is full of suds
maybe you just need some hugs

When you can’t seem to get around
when you have to look up to see down
When all you have to eat is one small spud
sounds like it’s time for a hug

If you’ve been dragged over the coals
if life is taking it’s toll
If you’re being chased by a thug
just open your arms and give him a hug

Sometimes people are very rude
just because they’re in a bad mood
You should get up close and snug
Then reach out and give their ass a hug

When everyday all you see is bad omens
when life keeps feeding you lemons
When for the things you are owed, you never get paid
screw making lemonade . . . get a hug

Everybody wants one
everybody needs one
Some people, if asked, might just shrug
but baby, everybody needs
a hug! 

Wednesday, 27 July 2011

yaado ke jharokhe ................

Aaj achanak yu hi
Dil ke tehkhane me
Utara to dekha
Tarah tarah ki kitni
Yaadein padi huyi hain
Lekin unme sabse alag
Tumhare naam ka ek sandook
Ek koneme kuch yu rakha hai
Maano kal hi aaya ho yaha
Khola to dekha ke
Tumhari ek tasveer hai
Ek aahat b kaid thi
Tumhare paanwo ki
Sath hi ek khanakti huyiKhilkhilahat bhi maujood thi
Tumhari khusboo ke sath
Tabhi khayal aaya
Is sandook pe taala nahi hai
Fir bhi ye na jane kyo
Barson se band pada tha....

A MOTHERS LOVE - MUST READ IT. (Like it if u really like it)


A little boy came up to his mother in the kitchen one evening while she was fixing supper, and handed her a piece of paper that he had been writing on. After his Mom dried her hands on an apron, she read it, and this is what it said:

For cutting the grass: $5.00
For cleaning up my room this week: $1.00
For going to the store for you: $.50
Baby-sitting my kid brother while you went shopping: $.25
Taking out the garbage: $1.00
For getting a good report card: $5.00
For cleaning up and raking the yard: $2.00
Total owed: $14.75

Well, his mother looked at him standing there, and the boy could see the memories flashing through her mind. She picked up the pen, turned over the paper he'd written on, and this is what she wrote:

For the nine months I carried you while you were growing inside me:
No Charge

For all the nights that I've sat up with you, doctored and prayed for you:
No Charge

For all the trying times, and all the tears that you've caused through the years:
No Charge

For all the nights that were filled with dread, and for the worries I knew were ahead:
No Charge

For the toys, food, clothes, and even wiping your nose:
No Charge

Son, when you add it up, the cost of my love is:
No Charge.

When the boy finished reading what his mother had written, there were big tears in his eyes, and he looked straight at his mother and said, "Mom, I sure do love you." And then he took the pen and in great big letters he wrote: "PAID IN FULL".
Lessons:


You will never how much your parents worth till you become a parent


Be a giver not an asker, especially with your parents. there is a lot to give, besides money. 

Advice: IF your mom is alive and close to you, give her a big kiss and ask her for forgiveness. If she is far away, call her. if she passed away, pray for her.

Sunday, 24 July 2011

Humko mohabbat hai zindgi se.................

Apno se juda kar deti hai,
Aakhon mein paani bhar deti hai,
Kitni shikayat hai zindgi se.
Phir bhi iska aitbaar hai,
Phir bhi iska intzaar hai,
Humko mohabbat hai zindgi se.
Kabhi khushiyon ka mela lagta hai,
Kabhi har koi akela lagta hai.
Kabhi humpe karam pharmati hai,
Kabhi humse nazar churati hai.
Palkon se isko chakhte hain,
Isey pass hi apne rakhte hain,
Itni nazakat hai zindgi se,
Humko mohabbat hai zindgi se.
Humko adaayein dikhati hai ye,
Jeena bhi humko sikhati hai ye.
Kabhi paas hai to kabhi door hai,
Ye zindgi bhi badi mashhoor hai.
Kabhi karti hai aankh micholi,
kabhi sajaye sapno ki doli,
Itni shararat hai zindgi se.
Humko mohabbat hai zindgi se.
Door ye ho to gum hota hai,
Pass ho to iska karam hota hai.
Khud apni marzi se chalti hai,
Suraj ki tarah se ye dhalti hai.
Isey jab bhi hum dekhte hain,
Mann hi mann ye sochte hain,
Kitni hifazat hai zindgi se.
Humko mohabbat hai zindgi se.
Aansu bhi ho to pee lete hain,
Pal do pal khushi se jee lete hain.
Har pal humko nahi hai roka,
Thoda humko bhi deti mouka.
Zindgi gujar jaaye taqraar mein,
Chahe gujar jaaye ye pyaar mein,
Itni izazat hai zindgi se.
Humko mohabbat hai zindgi se. 

MOTHER.........

2 yrs "Mummy i love you"
12 yrs "Mum whatever "
16yrs" My mum is so annoying"
18 yrs" I want to leave this house"
25yrs" Mum you were right"
30 yrs" I want to go to my mum's house"
50yrs" I don't want to lose my mum"
70yrs "I would give up EVERYTHING for my mum to be here with me"

A mother is irreplaceable..

Saturday, 23 July 2011

पति के बचाव में दीवार बनकर खड़ी होने वाली विश्व की 10 पत्नियों में लक्ष्मीबाई भी........

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा, स्पेन की रानी इजाबेल, मिस्र की चर्चित रानी क्लियोपेट्रा और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने पति के बचाव में दीवार बनकर खड़ी होने वाली दुनिया की 10 जांबाज पत्नियों की सूची में शुमार किया है.
मीडिया मुगल रूपर्ट मडरेक की पत्नी वेंडी डेंग द्वारा अपने पति को हमलावर से बचाने के लिये उस पर टूट पड़ने की साहसिक घटना को देखते हुए पत्रिका ने 10 ऐसी पत्नियों की सूची जारी की है. इस सूची में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आठवें नंबर पर हैं. 
 लक्ष्मीबाई के बारे में लिखा कि 19 वीं सदी में एक संपन्न परिवार में पैदा होने वाली यह महिला झांसी की रानी बन गई. लक्ष्मीबाई ने अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में ही युद्धकला सीख ली थी. राजा से शादी के कुछ समय बाद ही दुर्भाग्यपूर्ण समय शुरू हो गया. उनके बेटे की मौत हो गई और कुछ समय बाद लक्ष्मीबाई के पति का भी निधन हो गया. वर्ष 1853 में वारिस नहीं होने के कारण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके साम्राज्य को हड़प लिया.
 इस घटना के चार साल बाद झांसी में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ खूनी संघर्ष शुरू हो गया. रानी इस युद्ध में कूद पड़ीं और उन्होंने शक्तिशाली ईस्ट इंडिया कंपनी को कई युद्धों में पराजित भी किया. कहा जाता है कि अंग्रजों से लोहा लेते हुए घोड़े की पीठ पर उन्होंने वीरगति पाई. उस समय वह मात्र 22 साल की थीं.’....

jyotish me jadi butiyo ka kamal.....


एक प्रसिद्ध कहावत है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। अगर इसे जड़ी-बूटी पर लागू किया जाए तो कहना पड़ेगा-कठौती में जड़ी-बूटी तो समझो मन और शऱीर चंगा और ग्रह दोष का भी परिहार। कहने का मतलब यह है कि जड़ी-बूटियों का स्नान तमाम रोगों को दूर तो करता ही है, ग्रह दोष भी दूर कर देता है। अथर्व वेद में जड़ी-बूटियों के तमाम प्रयोग बताए गए गए हैं, जिनमें से यह प्रमुख प्रयोग है।
अमेरिका में जड़ी-बूटियों के इलाज के लिए तमाम तरह के शोध हो रहे हैं। खुद अमेरिकी सरकार ने हमारे यहां की दुर्लभ कई जड़ियों का पेटेंट भी करा रखा है। और एक हमारा देश है कि इस प्राकृतिक संपदा को न तो सहेज पा रहा है, न ही पेटेंट के जरिए विदेशी अधिकार को रोक रहा है और न ही अपने लोगों को कोई संरक्षण, शिक्षा व शोध का साधन मुहैया कराया गया है। जबकि अमेरिका में आम लोग भी जड़ी-बूटी के उपचार से लाभ लेने लगे हैं। एक हमारा देश है, जो पश्चिम की दवाइयों का दीवाना बना हुआ है। अपने देश में जड़ी-बूटी की जानकारी वाली पीढ़ी के न रहने से भी इस दिशा में निजी प्रगति थम सी गयी है। नई पीढ़ी अपने इस संपदा को महत्व नहीं दे रही। लेकिन अथर्व वेद की मानें तो ग्रहों की प्रतिनिधि जड़ी-बूटियों के स्नान से असाध्य रोग तो दूर होते ही हैं, बल्कि ग्रह दोष का भी उपचार हो जाता है। जैसे हम लोग ग्रह दोष दूर करने के लिए तंत्र-मंत्र-यंत्र और अनुष्ठान या रत्नों का इस्तेमाल करते हैं, उसी प्रकार जड़ी स्नान किया जाता है। यह न केवल अन्य के मुकाबले सस्ता है, बल्कि कई गुना कारगर भी है।
भारत में जानकार लोग भी सरकारी  मानसिकता खराब होने, प्राच्य विद्याओं को अंधविश्वास से जोड़ने और शोध की सुविधा  उपलब्ध न होने से आगे बढ़ने से हिचक रहे थे। लेकिन जब से इंटरनेट पर अमेरिका, जापान, चाइना व अन्य देशों में जड़ी-बूटी पर हो रहे शोध प्रकाशित होने लगे हैं, इसके जानकारों के हौंसले बढ़ गए हैं।
मथुरा में ज्योतिषियों व आयुर्वेद के जानकारों का एक समूह इस दिशा में आगे कदम बढ़ा रहा है। उसका प्रयास है कि जिस काम को निजी स्तर पर करने से अब तक हजारों लोगों को लाभ हुआ है, उसका लाभ जन-जन तक पहुंचे। उन्होंने एक संस्था बनायी है-प्लेनेट्स हर्बस एंड रिसर्च सेंटर और अपने अनुभव व शोध के लाभ को आम लोगों तक पहुंचाने का प्रण लिया है। सभी ग्रहों के अलावा नवग्रह का मिश्रण और ग्रहों के कारण मानसिक कमजोरी, डिप्रेशन, तनाव, बुद्धि व याददाश्त की कमी को दूर करने तथा प्रज्ञा, मेधा व बुद्धिमान बनाने वाला एक मिश्रण तैयार किया है।
संस्था के संरक्षक व निदेशक तथा प्रख्यात ज्योतिषी आचार्य लक्ष्मण दास शर्मा कहते हैं कि किसी भी इंसान की जन्म कुंडली में जो ग्रह खराब होते हैं, उनके तत्वों की कमी आ जाती है। इससे उससे संबंधित रोग भी पैदा होता है और ग्रह दोष भी बनता है। यह जड़ी-बूटी पावडर उनकी कमी को पूरा कर देता है। जीवन में आ रही तमाम परेशानी व अवरोध दूर हो जाते हैं। अथर्व वेद में इसका विस्तार से वर्णन है।
मथुरा के प्रख्यात ज्योतिषी लखन परिहार कहते हैं कि जड़ी-बूटी स्नान के उन्होंने तमाम लोगों पर प्रयोग किए हैं, और शत प्रतिशत रिजल्ट मिला है। इस प्राकृतिक चीज का फायदा सभी को उठाना चाहिए।  आयुर्वेद दवाओं की वर्ल्ड फेमस कंपनी सुख संचारक कंपनी के मालिक कीर्तिपाल शर्मा कहते हैं कि उनके तमा्म उत्पादों में जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है, पर ग्रहों की प्रतिनिधि जड़ी-बूटी का स्नान अनोखा कंसेप्ट है। अथर्व वेद में इसका उल्लेख है। यह काम करता है। प्लेनेट्स हर्बस एंड रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर अनुज अग्रवाल कहते हैं कि पूरे देश में इसको हाथों-हाथ लिया जा रहा है। ज्योतिषी इसे मुख्य उपाय बताने लगे हैं तो मार्केट में डिमांड तेजी से निकल रही है। लोगों ने इंटरनेट के माध्यम से भी पावडर मंगाया है, लेकिन सीमित संसाधन की वजह से सभी तक पहुंच नहीं हो पा रही।
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ग्रहों व उनसे होने वाले रोग
सू्र्य- गंजापन, बोन कैंसर, हाई ब्लड प्रेशऱ, वीक इम्यून सिस्टम।
चंद्र-गुर्दा, किडनी, अनियमित मासिक धर्म, यूटेरस।
मंगल-रक्त कैंसंर, एपीलिप्सी, रक्त संबंधी रोग, खूनी बबासीर।
बुध-स्किन एलर्जी, अस्थमा, नपुंसकता, नर्वस सिस्टम।
गुरु-मोटापा, कोलेस्ट्रोल, लिवर रोग, थाइराइड।
शुक्र-मधुमेह, वीर्य पतन, वीक सेक्सुअल ओरगन्स।
शनि-ज्वाइंट पेन, दंत रोग, अर्थराइटिस।
राहु-कैंसर, ब्रेन डिस्आर्डर, हाइपर एसीडिटी, हाइपर टेंशन, गैस, कोंस्टीपेशन।
केतु-बवासीर, भगंदर, गुप्त रोग, बहरापन, निम्न रक्तचाप, स्माल पाक्स, मूत्र संबंधी रोग।

Friday, 22 July 2011

kyon mera bhaarat badal gaya..???????????

Ae mere hamnasheen chal aur kahin
Is chaman ab apna gujara nahin
Baat hoti gulon tak to seh lete hum
ab to kanto pe bhi haq hamara nahin..
`
Jo Lada Tha Sipaahiyon Ki Tarah
Aisa Bharat Mein Koi Baadshah Na Hua
Rooh To Ho gayi Thi Tann Se Judaa
Haath Talwaar Se Judaa Na Hua..
`
Kuchh haath se uske fisal gaya
wah palak jhapak kar nikal gaya
Fir laash bichh gayi lakhon ki
sab palak jhapak kar badal gaya
Jab rishte raakh mein badal gaye
insaanon ka dil dahal gaya
Main poochh poochh kar haar gaya
kyon mera bhaarat badal gaya..

kya vakai bhart grib hai??????????

लाख करोड़ का सवाल है ... भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है. या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है.हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ......

My Poem-yaade

Kitni Rang birangi si hoti hai ye yaade,
khamoshi se sab kah jaati hai ye yaaden.
Kuch pyaarey lamho ki ek kahaani,
apney apno ki vo anmol nishaani.
Jhoom jhoom k gaaye ye dil pagal,
pal pal baraste hai aankho k baadal.
Jivan se inkaa rishta bahut purana hai,
ye yaade to ek anmol khajanaa hai. .......