Wednesday, 6 July 2022

काश कभी ऐसी भी बारिश आये

 

काश कभी ऐसी भी बारिश आये

रिमझिम बरसते इन बारिशों में
काश कभी ऐसी भी
बारिश आये जिसमें
सबके अहम डूब जाए
मतभेद के किले ढह जाएं
घमंड चूर चूर हो जाए
गुस्से के पहाड़ पिघल जाए
नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाये
प्यार की बारिशों में भींग जाये,
सौहार्द और सद्भावनाओं से
लबालब भरे ताल व तलैये हो,
दया और करुणा से भरी नदियां हो
और हम सब
"मैं" से "हम" हो जाएं ......
काश कभी ऐसी भी बारिश आये....
बस_यू_ही





Monday, 27 June 2022

ज़िन्दगी और हम

ज़िन्दगी और हम
उदास दिल, उलझी हुई ज़िन्दगी और थके हुए हम।

टूटा दिल, बिखरी हुई ज़िन्दगी और हारे हुए हम।

गुजरे हुए लम्हे, यादों में खोई हुई ज़िन्दगी और बदहवाश से हम।
बस यूं ही


Wednesday, 22 June 2022

पिता

पिता
पिता एक बच्चे के लिए एक उम्मीद है। 
उससे ही बंधी उसकी हर एक आस है।
पिता परिवार के लिए हौसलों और हिम्मत का स्तंभ हैं।

पिता कभी ना टूटने वाले भरोसे और विश्वास का नाम है।
देखने में लगते वो थोड़े से सख्त हैं,
लेकिन उनके दिल में भी दफन कई मर्म है।

पिता हर मुश्किल सवाल का जवाब हैं।
परेशानियों से लड़ने वाली दो धारी तलवार है।
पिता जिम्मेदारी के रथ का सारथी है,
अपने बच्चों को हक़ दिलाने में महारथी है।

पिता बचपन में हमें चलना सिखाता है।
भले ही जेब खाली हो, हमारी हर ज़िद
पूरी करते।

सारी दुनिया से हमें जिताना चाहते
और खुद हमसे हार कर खुशियां मनाते।
पिता से ही बच्चों की पहचान है,
पिता जमीर,जागीर और ईमान है। 

पिता हैं तो हम हैं और अगर,
हम हैं तो मतलब पिता हैं।
पिता दुनिया में रहे या ना रहे
देते वो हमेशा साथ है।


वो मेरे साथ भी पराया था....
और मैं हिज़्र में भी उसकी थी...
कैद कैसे मैं हो गयी हूँ आज...
पापा कहते थे मैं गिलहरी हूँ....

नीलम वन्दना

Saturday, 7 May 2022

मेरा स्पंदन तुमसे है मां

मेरा स्पंदन तुमसे है मां,
पहला स्पर्श तुम्हारा है,
ममता का भंडार भरा तुम्हारा है मां,
सदा बरसता प्यार का ख़ज़ाना है।
ना जाने कितने कष्टों को सहकर तू,
धरती पर मुझको लायी है।
पकड़कर उंगली चलना सिखाया,
बोलना,लिखना,पढ़ना सिखाया,
सही गलत का भेद बताया,
जीवन का हर वो पाठ पढ़ाया,
जो नहीं किसी स्कूल में पढ़ाया जाता।
नन्हे नाजुक बच्चे थे हम,
तुमने हमे भला इन्सान बनाया
अपने प्यार की परवरिश देकर
सबसे प्यार करना हमें सिखाया
गिर गिर के उठना और 
नहीं किसी से डरना
स्वाभिमान से आगे बढ़ना 
कुछ ऐसे ही जीवन में 
आगे बढ़ना हमें सिखाया 
क्यों होती है निःस्वार्थ मां
ये मां बनकर ही मैंने भी जाना
धीरज धरना कठिन वक्त में,
ख़ुश रहकर और ख़ुशियां देना
तुमने ही तो हमें सिखाया 
तुमसे ही तो घर है बनता
तुमसे ही तो जीवन सजता
तुम हो तो हम सब हैं
और तुममे ही वो रब है बसता
मेरी मां से सुंदर कोई नहीं,
मेरी मां इस जग का तारा है।
ये जीवन ऋणी है सदा तुम्हारा

मेरा स्पंदन तुमसे है मां,
पहला स्पर्श तुम्हारा है,

HAPPY MOTHER'S DAY💐

किताबें

यूं तो ये किताब कहलाती है,
जिनमें कागजों से बने कई 
पन्ने एक साथ जुड़े होते हैं।
और जिल्द में कैद होते हैं।
पर ये रूह से आज़ाद है।

इन पन्नों में कैद है,
किसी की भींगी हुयी आँखे, 
किसी के खिलखिलाते मोतीसे दांत, 
किसी की सांसो की लय पर
गूंजते खामोशी का तरन्नुम,
कैद है किसी के भावनाओं का समन्दर।

इन पन्नों में कैद है,
सदियों का इतिहास
धरा का भूगोल
आकाश मण्डल में
होने वाले
खगोलीय घटनाक्रम

इन पन्नों में कैद है
जलते शमा के
साये से लिपटे
परवाने की कहानी,
हर मुश्किल का समाधान।

इन पन्नों में कैद है  
वक्त का हर फलसफा, 
खुदा की की इबादत,
ना जाने कितनों के
जीवन का हिसाब किताब

इन पन्नों में कैद है
ज्ञान विज्ञान की 
अनगिनत कहानी
अंकों की कारीगरी
शब्दों की जादूगरी

यूं तो ये किताब कहलाती है,
जिनमें कागजों से बने कई 
पन्ने एक साथ जुड़े होते हैं।
और जिल्द में कैद होते हैं।
पर ये रूह से आज़ाद है।
नीलम वन्दना

Thursday, 21 April 2022

यादों के झरोखों से

जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल
यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता हैं बीता हुआ कल,

बचपन की वो नटखट सी शरारतें
पड़ोसियों के वो बेसुमार उलाहने
दोस्तों संग किये गये, पार्टीयों के तकादे,
असाइनमेंट के लिए अध्यापकों की डांटे
जानें कितनी यादें बरबस आ ही जाती है,

जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल,
यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता हैं बीता हुआ कल,

भाई बहनों से बात - बात पर होने वाले झगड़े,
मम्मी पापा से हर बार मिलती हिदायतें,
नानी - दादी से सुनें हुए कहानी किस्से।
जानें कितनी यादें बरबस आ ही जाती है,

जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल
यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता हैं बीता हुआ कल,

कुछ भिगो जाती है आंखों को वज़ह बेवजह,
कुछ छोड़ जाती है, चेहरे पर मुस्कराहटे
कभी गुजरे लम्हों की बहुत साफ़ नज़र आती है तस्वीरें,
ये यादें हैं और यादें कब सिमटी हैं सरहदों में,
जानें कितनी यादें बरबस आ ही जाती है,

जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल
यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता हैं बीता हुआ कल,
नीलम वन्दना

Thursday, 14 April 2022

शिव ख़ास हैं

शिव ख़ास हैं
क्योंकि वो अजर
अविरल और
अविनाशी हैं

शिव ख़ास हैं
क्योंकि वो सरल सत्य
और सनातन है।

वे सिखाते हैं
बहुत सरलता व
सहजता से
प्रेम करना
प्रेम में सम्मान करना
समर्पित होना

खुद को खाली कर देते हैं
शक्ति के प्रेम में
पार्वती के लिए करते हैं नृत्य
हिमालय के सामने

इसलिए आज भी स्त्रियां
राम सा बेटा, कृष्ण सा प्रेमी
और शिव जैसा पति चाहती हैं

हर हर महादेव🙏🏽




शिव है शाम-भोर !

शिव अविनाशी ,
शिव अविकारी है
शिव अधिश्वर है 
शिव है अनेकात्मा।

शिव सौम्य हैं 
शिव साहस हैं ,
शिव सत्य हैं 
शिव है सनातन "

शिव शशिधर हैं
शिव गंगाधर है,
शिव जटाधर है,
शिव है जगत्व्यापी।

शिव  विश्वेश्वर है,
शिव गिरीश्वर है,
शिव महेश्वर है,
शिव है कैलाशवाशी।

शिव उठत है, 
शिव चलत है, 
शिव है शाम-भोर !
हर हर महादेव 🙏🏻

Wednesday, 16 March 2022

अबकी फाल्गुन

अबकी फाल्गुन

अबकी फाल्गुन खेलूं मैं होली,

मथुरा में खेलूं होली फूलों संग

कान्हा की भक्ति से महकेगा अंग

रास महारास ले, आई है टोली,

अबकी फाल्गुन खेलूं मैं होली,


अबकी फाल्गुन खेलूं मैं होली,

अयोध्या में खेलूं होली रंग गुलाल,

रघुवर के भक्ति से डूबा हो ताल।

सिया और लखन से मिले हमजोली,

अबकी फाल्गुन खेलूं मैं होली,


अबकी फाल्गुन खेलूं मैं होली,

अवध में खेलूंगी  होली सिंदूरी,

हनुमान के जैसी भक्ति में पूरी,

राम सीता हँसे कह देंगे भोली

अबकी फाल्गुन खेलूं मैं होली,


अबकी फाल्गुन खेलूं मैं होली,

काशी में खेलूं होली भस्म लगा,

भोले बाबा सी आसक्ति भगा,

शिवगण ने अब भाँग है घोली,

अबकी फाल्गुन खेलूं मैं होली,

नीलम वन्दना


होली का त्योहार

होली का त्योहार
रीत - प्रीत संग गीत लिए
रंग - उमंग संग तरंग लिए ,
भेद भाव मिटाने दिलों का,
आया है होली का त्यौहार

सबको रंगो से भरा पूरा 
सतरंगी संसार मिले,
सबसे पहले हर एक को 
खुशियों का द्वार मिले.

भूल जाय सब राग द्वेष 
गैरों से भी अपनों सा 
सबको प्यार मिले

जातिवाद और उच नीच
के भेदभाव को अब 
जी भर कर तिरस्कार मिले,

आज के इस नये दौर में
सभी को उनका अधिकार मिले….

बने हुए हैं जो कन्हैया 
उन सब दीवानो को
सतरंगी रंगो मे डूबा 
उनको उनका प्यार मिले…

सड़कों पर जो मासूम घूम रहे,
उन सब को भी रंगों संग 
खुशियों की सौगात मिले...

वृद्धाश्रम में जो बैठे हैं, 
उन सब बुजुर्गों को गुझियों 
संग अपनो का साथ मिले।।
नीलम वन्दना

Saturday, 12 March 2022

मैंने संभावनाएं ढूंढी है शून्य में भी...

मैंने संभावनाएं ढूंढी है शून्य में भी,
मैं इतनी जल्दी हार भी तो नहीं मानती,
नकारात्मकता से कोई वास्ता नहीं मेरा....
 जिन हालातों में लोग नाउम्मीद हो जाते हैं, नहीं छोड़ती मैं उम्मीदों का दामन...
हैरान परेशान जिन्दगी से
खींच लाती हूं सुकून और खुशियों के कुछ पल...
कभी उगते कभी ढलते 
हुए सूरज से
तो कभी चांद , पर्वत और नदियों के कलकल से...

मैंने संभावनाएं ढूंढी है शून्य में भी,
जब चारों ओर था मौत का ताण्डव,
जब हर तरफ बिखरी थीं मायूसी,
नहीं हारी थी मैंने हिम्मत
दिया था हौसला लोगों को सावधानी वो बचाव के साथ जीने के लिए

मैंने संभावनाएं ढूंढी है शून्य में भी,
जब कोई भी नही था पास मेरे,
गांव के बाहर बसे हुए
अनजानों की बस्ती में
जलाये हैं दिवाली के दिये,
फुलझड़िया और पटाखे बच्चों के साथ
बिखेरे हैं होली के रंग
और लिया है गुझियों का स्वाद उन बुजुर्गों के साथ,
मैंने बटोर के जमा किए है उन लोगों की दुआये हजार
मैंने संभावनाएं ढूंढी है शून्य में भी।
नकारात्मकता से कोई वास्ता नहीं मेरा
दोपहर की धूप को,मुट्ठी में मैने भर लिया,
यह असंभव काम था,संभव इसे मैने कर लिया।
नीलम वन्दना

Wednesday, 2 March 2022

चिकन करी लॉ

ईमानदार आदमी जब भ्रष्ट होता है तो नस्लें नष्ट हो जाती है....
          सेवन हिल्स सिने क्रिएशन्स प्रोडक्शन में बनी फिल्म चिकन करी लॉ का लेखन, निर्देशन और संगीत शेखर सिर्रीनी जी का है।
          शेखर सिर्रीनी जी कहानी का अन्त थोड़ा से बदलाव के साथ और बेहतर कर सकते थे। निर्देशक के रुप में शेखर जी की तारीफ करनी चाहिए और फिल्म का संगीत भी बेहतरीन है जो कहानी के साथ साथ चलता है और कही भी अलग से थोपा हुआ सा महसूस नहीं होता।
         आशुतोष राणा सर एक मजे हुए कलाकार हैं और सीतापति शुक्ल(वकील) के रूप में वो हमेशा की तरह अपना प्रभाव डालने में सफल रहे हैं। माया जॉनसन के रूप में नतालिया जानोसज़ेक भी अपने अभिनय से अपने बलात्कार के दर्द को दिखाने का अच्छा प्रयास किया है
निवेदिता भट्टाचार्य सत्य देशमुख का प्रयास भी सराहनीय है। मकरंद देशपांडे मुथु स्वामी (विपक्ष के वकील) के रूप में, गणेश पई मकिया के रूप में,जाकिर हुसैन शरद जोशी (राजनेता) के रुप में तथा छगन पाटिल के रूप में अमन वर्मा के अभिनय कौशल अपना अपना प्रभाव डालने में सफल रहे हैं। फिल्म का अन्त थोड़ा से बदलाव के साथ और ज्यादा अच्छा हो सकता था।
         चिकन करी लॉ में कहानी है , एक विदेशी बेली डांसर माया की जिसके साथ मुंबई के एक राजनेता के एय्याश बेटों माकिया और नाना ने बलात्कार किया,और उसे मरने के लिए छोड़ दिया । एक सामाजिक कार्यकर्ता सत्या माया को न्याय दिलाने की कोशिश में  वकील सीतापति से मिलती है और दोनों मिलकर माया को न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। हालांकि इस लड़ाई में सत्या की मौत हो जाती है, और सीतापति कानूनी लड़ाई लड़ते हुए माया को न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत रहते हैं। कानूनी दांवपेंच और राजनैतिक षड्यंत्र के चलते सबूतों और गवाहों के अभाव में कोर्ट आरोपियों को बरी कर देता है। लेकिन सीतापति जिसने माया को न्याय दिलाने का वादा किया था, हिम्मत नहीं हारता और माया को आखिरकार न्याय दिला कर ही मानता है।

          बाकी क्या है चिकन करी लॉ जानने के लिए फिल्म देखें।😊


Saturday, 26 February 2022

किसे है पता...

किसे है पता...

हम सब कौन है 
कहा से आये है
और जाना है कहा
किसे है पता...

कब कौन सा पल 
किसका आखिरी हो
किसे है पता

सबका है एक अस्तित्व
फिर भी ना जाने किस
अस्तित्व के लिए भिड़े
किसे है पता

इस अस्तित्व के
युद्ध में
कितने मरेंगे
और जाने कब तक मरेंगे 
किसे है पता
 
ना जाने कितने
मर मर के जियेगे
और ना जाने कितने
जी जी कर मरेंगे 
किसको है पता

लम्हों में होती हैं खता
सदियां भुगतती है सजा
किसको नहीं है पता

सबने मिलकर बनाया UNO
और चाहे शान्ति चहुंओर 
फिर भी ये क्यु 
सम्भव ना हो पाता  
किसे हैं पता
नीलम वन्दना

युद्ध की विभिषिका

युद्ध की विभिषिका
राष्ट्रध्यक्षो के आन बान और झूठी शान ने
सुरसा के आनन सा बढ़े हुए महात्वाकांक्षा ने
एक बार फिर से दो राष्ट्रों को झोंक दिया
युद्ध की विभिषिका में....
एक बार फिर से गोला बारूद  फटेंगे
जीवन रक्षक हथियार जीवन भक्षक का रुप धरेगे
हर तरफ बस डर नफरत और बेबसी होगी
बिखरी हर तरफ मौत की दहशत होगी
अनगिनत युवाओं की बलि होगी
 एक बार फिर से रक्त रंजित धरा होगी
कुछ नई लकिरे होगी और
और  फिर 
एक दिन यूं ही 
हार जीत के इस अभियान में
स्वामित्व के अंहकार में
रह जायेगा सब कुछ
थम जाएगा यह युद्ध भी,
दोनों राष्ट्राध्यक्ष हाथ मिला लेंगे,
कागज के कुछ टुकड़ों पर हस्ताक्षर कर लेंगे,
महात्वाकांक्षा की पिपासा में  रक्त सुरा के प्याले होंगे, दावतों के संग नई उपाधी, नये पदनाम और विजय पताका होगी
और ....
और  साथ ही मिलेंगी 
हर गली चौबारे पर 
बूढ़ी मां अपने उम्र के इस पड़ाव पर थकती आंखों से 
बेटों का इंतज़ार करते, 
हर घर के देहरी के भीतर 
बेबस आखो में आंसू भरे दिल को हौसला देते लड़किया अपने अपने पति, प्रेमी और भाईयों का राह तकते
घर के आंगन में मासूम से
गुमसुम बच्चे अपने 
पिता का इंतज़ार करते, 

किसी को कुछ नहीं पता कब क्या हो गया
और लूट गये, घर बार उनके
ना जाने किस बात की कीमत सबने चुकाती है
नीलम वन्दना

Monday, 24 January 2022

बातें अभी और भी है -7

बातें अभी और भी है
       किस्मत से लड़ गए थे एक रोज.....बदल दिया था रास्ता जिन्दगी का एक ही पल में... मुझे पता था और समझ भी कि जो कुछ भी मेरे साथ हुआ वो सही नहीं था...... हां कई बार दिल ने सवाल जरूर किया ऐसा आखिर मेरे साथ ही क्यों??
कभी कभी दिल में टिस सी जरुर होती है लेकिन यकिन मानिए अफसोस कत्तई नहीं होता...
जो हुआ अच्छा हुआ, शायद मेरे लिए यही सही था☺️ लेकिन सिर्फ मेरे लिए.....
बाक़ी किसी के भी साथ ऐसा कुछ हो ऐसा मैंने बिल्कुल भी नहीं चाहा........
बस यू ही


तिरंगा

तिरंगा
सुनो गौर से दुनिया वालों
तीन रंगों में रंगा तिरंगा
सारे जग से न्यारा है,
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।

सबसे ऊपर रंग केसरिया
वीरों के बलिदान की कथा
सुनाता है,
ब्रिटिश हुकूमत को कैसे
देशभक्तों ने मार भगाया है।
स्वतंत्र हुआ है हिंदुस्तान,
इनकी भुजाओं के बल से ही
दुश्मन हरदम हमसे हारा है
सुनो गौर से दुनिया वालों 
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।

मध्य में स्थित श्वेत रंग 
संदेशे यूं देता है
अमन चैन फ़ैलाये
सब मिलकर
प्रेम भावना बसे 
प्रत्येक हृदय में
हम एक ऐसा वतन बनाये,
जहां सुख-दुःख में 
एक दूजे का हम बने सहारा ।
सुनो गौर से दुनिया वालों 
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।

सबसे नीचे होता हरा रंग हैं
जो हरियाली को दर्शाता हैं।
उन्नति का पथ दिखलाता है
चीर धरा का सीना हलधर
विभिन्न फसल उगाता है,
सारे विश्व को देता अन्न
पशुओं को देता चारा है
सुनो गौर से दुनिया वालों 
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।

और श्वेत के मध्य 24 तिलियो वाला नीला चक्र 
ज्ञान हमेशा यही है देता ,
साथ समय के चलो निरंतर
बढ़ते रहो सदा कहीं रुको नहीं
बिना परिश्रम कभी किसी का
सितारा यहां चमकता नहीं,
हमें हमारा तिरंगा
प्राणों से भी प्यारा है।
नीलम वन्दना

नेताजी

नेताजी
कटक उडीसा मे थे जन्में 
बचपन वहीं पर गुजरा था।
सबसेअलग छबि थी, 
अलग था उनका शान। 
बचपन से ही दीन-हीन की
सेवा थे करते
विवेकानंद जी थे बहुत ही भाये।

युवावस्था में छोड प्रशासनिक सेवा, 
कूद पड़े थे स्वतन्त्रता संग्राम में
शामिल हो गए कांग्रेस में,
गांधी जी से मतभेद हुआ जब, 
फ़ोर्वर्ड ब्लोक का गठन किया।

सुभाष चंद्र बोस नाम था इनका
नेताजी कहलाते थे।
आजादी के जंग में इनके 
जांबाजी की गाथा 
इतिहास हमें सुनाता है
जय हिन्द का नारा देकर जिसने
देशप्रेम का अलख जगाया है।

द्वितीय विश्व युद्ध में
आजाद हिंद का गठन किया।  
"तुम मुझे खून दो मै तुम्हेंआजादी दूंगा"
नेताजी के नारे  ने देशप्रेमीयो में 
एक नया जूनून सा भर दिया।

दौड़ते हुए बाघ को नेताजी ने
आजाद हिन्द का प्रतीक बना
"तुम मुझे खून दो में आजादी
दूंगा" का आवाहन किया

नज़रबंद जब किया सरकार ने
धूल झोंकी,वेश बदलकर, 
भागे चकमा देकर
दुश्मन का दुश्मन दोस्त समझ, 
पहुँचे जापान, जर्मनी से
बुलंद घोषणा नेताजी ने
किया शंख नाद "जय हिन्द" का
जापानी सेना के सहयोग से 
अंडमान निकोबार पर 
विजय पताका फहराया

टोकीओ जाते समय हुये
असमय ही काल के शिकार
थी वो भयंकर हवाई दुर्घटना
छोड़ गये हम सबको नेताजी
शव तक किसी को मिल ना पाया।

गुलाम भारत के आज़ाद थे वो,
एक नया मोड दिया स्वतंत्रता संग्राम को
सारा जीवन गुजारा संघर्ष भरा, 
पर भर को ना आराम मिला
स्वतंत्रता मांगे है बलिदान,
बिन बलिदान ना मिले स्वतंत्रता
सशस्त्र क्रांति द्वारा भारत को,
किया संकल्प स्वतंत्रत कराने को

मन में सदा उठती है ये हूक,
क्यूं मौत विवादित रही देशभक्त की, 
भारत माता का यह सपूत,
देख पाया न आज़ाद अपनी माता को
नेताजी का यह बलिदान,
कभी ना भूलेगा हिन्दुस्तान
नीलम वन्दना

Sunday, 9 January 2022

उठो जागो युवाओं अब भोर हुई

युवाओं के कंधों पर युग की कहानी चलती है।
इतिहास उधर मुड़ जाता है जिस ओर ये जवानी चलती है।

उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।
सूरज की किरणों से
ये धरा
सराबोर हुई।

चिड़ियों की चहचहाटों,
कलियों के खिलने की,
फिर एक नई शुरुआत हुई।
से फिर एक नई शुरुआत हुई।
जागो उठो युवाओं
अब भोर हुई।

बच्चों में नई उमंगों की,
युवाओं में नए जोश की,
फिर एक नई शुरुआत हुई
आलस को त्यागो 
उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

सिर्फ खुशियों के आस से 
नहीं सम्हलता जीवन है  |
सिर्फ सोच और अनुमान से नहीं,
बदलता ये जीवन है |
ऊषा के किरणों सा चमकना है,
शशि सा शीतल रहना है |
उठो जागो युवाओं,
अब भोर हुई

उर्जा की खान तुम हो,
मजबूत हौसले को बनाओ,
जीवन में नया रह बनाओ |
कर्मवीर हो तुम
धर्मवीर हो तुम

याद करो तुम अपना 
बल ,कर्म करो कुछ ऐसा
देश का माथा ऊँचा हो
जिससे और चौड़ा हो सीना,
दुश्मन जो देखे नज़र उठाकर
छूट जाय उसे पसीना।
 उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

हे कर्मठ युवाओं
दिखा दो दुनिया को
जीवन के हर पहलू में,
अपना भी है एक वजूद।
उठो जागो युवाओं
अब भोर हुई।

आसमां की लाली संग
एक नई शुरुआत हुई
उठो जागो अब भोर हुई
गुज़रे पलों की अच्छी यादों के संग,
भर नये जोश और नई उमंग संग 
अब तो करो शुरुआत नई।
उठो जागो भाई
अब भोर हुई।
उठो जागो भाई
अब भोर हुई।
नीलम वन्दना

Friday, 7 January 2022

सुनो ना - 28

सुनो ना कह के सभी को सुनाती हूं.....
अपनापन महसूस कराती हूं.....
और
जब होता है दर्दे दिल बयां
बस यूं ही कह के सभी को बहलाती हूं...
आंखों के पीछे अब भी दरिया है,
कुछ भरे हुए
मत छेड़िए क्योंकि कुछ ज़ख्म हैं 
अभी भी हरे हरे....
बस_यू_ही