Wednesday, 16 December 2020
परिवर्तन प्रकृति का नियम है!
कहा छुप गये....
Saturday, 21 November 2020
चुभन ज़िन्दगी की
उम्र का तजुर्बा यही कहता है कि बच्चों का भविष्य बनाये और साथ ही अपने बुढ़ापे के लिए दाल रोटी का भी जुगाड़ करके..खुद ही रख लें जवानी में......आगे कम्पीटिशन टफ है और इनकम का सोर्स कम..ऊपर से भागम भाग जिंदगी।
अभी हम जिस काल में हैं, हमारे अभिभावक निश्चय ही बेहतर जीवन व्यतित कर रहे हैं जो कि हमें हासिल नहीं होगा , और जो जीवन हमारे दादा दादी, नाना नानी ने जिया नि:सन्देह कुछ मामलों में वो हमारे अभिभावकों के जीवन से भी से बेहतर था। वृद्धावस्था का जीवन पीढ़ी दर पीढ़ी कुछ मामलों में बदतर ही हुआ है। यह भी एक कटु सच है ।
आप चाह कर भी बच्चों पर डिपेंड नही हो पाओगे और न ही बच्चे आपको वह साथ और सहयोग दे पाएंगे,जिसके आप हकदार हो तो ,और जहां तक हो सके उनसे...अपेक्षाएं कम ही पालें।वरना दुखी होना पड़ेगा।
हम सब आये दिन देखते सुनते रहते हैं कि जब..बच्चे अपने माता-पिता को बृद्धाश्रम छोड़ देते है। ये सब देख सुन कर हमारी पीढ़ी में खुद से ही वृद्धाश्रम जाने के लिये कही ना कही मानसिक रूप से तैयार हो रही हैं।
जो काफी हद तक सही भी हैं, ज़िन्दगी के जद्दोजहद में उलझे बच्चों के पास हमारे लिए टाइम होगा नहीं।शुरू से भरे पूरे परिवार में रहने वाले हम जब उम्र के उस मोड़ पर पहुँच जायेगें,जहॉ किसका जीवनसाथी भी कब साथ छोड़ दे कहा नहीं जा सकता.... तो कम से कम अपने हमउम्र लोगों का साथ तो मिलेगा।और अपनी स्वेच्छा से बच्चों को स्वतन्त्र जीवन जीने को छोड़ देने से मानसिक कष्ट भी कम होगा।
क्योंकि ज़िन्दगी के हर चुभन को निकालना है, वो चुभन कुछ भी कैसी भी क्यु ना हो।☺️
Sunday, 1 November 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : गुणवत्ता पूर्ण उच्चतर शिक्षा का विश्वास
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : गुणवत्ता पूर्ण उच्चतर शिक्षा का विश्वास
किसी भी राष्ट्र के विकास के लिये उस राष्ट्र की शिक्षा नीति काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं। शिक्षा नीति किसी भी राष्ट्र की मूलभूत आवश्यकता होती है, अत: उसमें अतीत का सम्यक विश्लेषण, वर्तमान की समस्त आवश्यकताएं तथा भविष्य के लिये पर्याप्त संभावनाएं निहित होनी चाहिये।भारतीय शिक्षा प्रणाली में शिक्षा नीति की दृष्टि से विडंबना ही रही हैं कि 1968 में पहली और 1986 में दूसरी शिक्षा नीति के बाद सरकारों के द्वारा शिक्षा का क्षेत्र उपेक्षित छोड़ दिया गया। यद्यपि 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति आधुनिकीकरण पर केंद्रित मानी जाती है, जिसमें शिक्षा के विकास के लिए व्यापक ढांचा, शिक्षा के आधुनिकीकरण और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर देने की बात कही गई थी, किंतु 1990 के दौर में भूमंडलीकरण की प्रक्रिया ने व्यक्ति,समाज तथा राष्ट्र की आवश्यकताओं में आमूलचूल परिवर्तन किए, जिन्हें पूरा करने में हमारी शिक्षा नीति 1986 असमर्थ रही। देश में निरक्षरता की दर निरंतर बढ़ता ही गया, ग्रामीण क्षेत्र भी उपेक्षित ही रहे। विद्यालय तथा महाविद्यालयों की ढांचागत एवं अध्ययन- अध्यापन से जुड़ी हुई तमाम परेशानियां अभी तक दूर नहीं हो पाया हैं। वर्ष 2014 में बहुमत में आई मोदी सरकार के समक्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक विशालकाय चुनौती एवं प्रमुख आवश्यकता के रूप में समक्ष उपस्थित थी। जिसे मद्देनज़र रखते हुए जून 2017 में नयी शिक्षा नीति के निर्धारण के लिये एक समिति का गठन किया गया , और इस समिति का अध्यक्ष पूर्व इसरो प्रमुख डॉ के. कस्तूरीरंगन को बनाया गया। इस समिति ने मई 2019 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप प्रस्तुत किया। तत्पश्चात केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने एक व्यापक लोकतांत्रिक नीति अपनाते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित देश के कोने-कोने से सभी वर्गों के लोगों की विचार जानने का प्रयास किया है।इस प्रयास में प्रधानमंत्री मोदी के "सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास" की भावना का आधार परिलक्षित होता है।
भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ की शिक्षा नीति बनाने के लिए देश की लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतें,6600 ब्लॉक और 650 जिलों से विचार लिए गए। इसमें शिक्षाविदों, अध्यापकों,अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों एवं व्यापक स्तर पर छात्रों से भी सुझाव लेकर उनका मंथन किया गया। जन आकांक्षाओं के अनुरूप एवं राष्ट्रीय आवश्यकता और चुनौतियों के अनुरूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की घोषणा की गई है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा-" यह शिक्षा के क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सुधार है,जिससे लाखों लोगों का जीवन बदल जाएगा। एक भारत-श्रेष्ठ भारत पहल के तहत इसमें संस्कृत समेत समस्त भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।"
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार (जुलाई 29, 2020) को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को मंजूरी देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. केंद्र व राज्य सरकारों के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6 फीसदी हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया हैं।
2. शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5 ,3 ,3, 4 प्रणाली पर विभाजित किया गया है।
3. तकनीकी शिक्षा,भाषा की बाध्यताओं को दूर करना, दिव्यांग छात्रों एवं महिलाओं के लिए शिक्षा को सुगम बनाने पर बल है।
4.. वर्तमान की रटंत एवं बोझिल होती जा रही शिक्षा के स्थान पर रचनात्मक सोच,तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना के प्रोत्साहन पर बल दिया जाएगा।
5.. अध्ययन-अध्यापन की प्रक्रिया में भाषा का विशेष महत्व होता है।मनोविज्ञान के अनुसार बालक अपनी मातृभाषा अथवा क्षेत्रीय भाषा में सरलता एवं शीघ्रता से सीखता है जबकि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजी के वर्चस्व को विस्तार देती है,जिससे बालक के व्यक्तित्व का विकास बाधित होता है और उसके सीखने की गति भी धीमी रहती है।बालक के मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण देने की बात कही गई है।
6. कक्षा 5 तक मातृभाषा अथवा स्थानीय भाषा अथवा क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल है।
7. मातृभाषा में अध्ययन की प्रक्रिया कक्षा 8 और आगे की शिक्षा के लिए भी प्रयोग किया जा सकती है।
8. भूमंडलीकरण की प्रक्रिया आज जोरों पर है।विभिन्न तकनीकी संसाधनों के विकास के चलते ज्ञान- विज्ञान के क्षेत्र में भी बाधाएं टूट रही हैं। नई शिक्षा नीति भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की संकल्पना को लेकर आई है,जिसके तहत ज्ञान- विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों से अनुवाद और उनकी नई व्याख्या करने का कार्य सुगमता से हो सके। 10. आज भारतवर्ष में दिव्यांग छात्रों की भी एक बड़ी संख्या है।उनकी आवश्यकताओं के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 शिक्षण सामग्री और आधारभूत ढांचा तैयार करने पर बल देती है।
9. . शिक्षा व्यवस्था के चार प्रमुख आयाम हैं -विद्यार्थी, अध्यापक, पाठ्यक्रम और ढांचागत सुविधाएं। इन चारों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की व्यवस्था व्यापक संभावनाओं के साथ दिखाई देती है। प्रारंभिक शिक्षा में 3 से 8 वर्ष की आयु। जिसमें 3 से 6 वर्ष आंगनवाडी/बालवाड़ी और प्री स्कूल के माध्यम से मुफ्त सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की संकल्पना है।
10. 6 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 और 2 की शिक्षा रहेगी। प्रारंभिक शिक्षा की संकल्पना खेल और गतिविधि आधारित होगी।
11. बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन की स्थापना की संकल्पना भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में है।
12. पाठ्यक्रम और मूल्यांकन नई शिक्षा व्यवस्था के महत्वपूर्ण आयाम है, जिसमें पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए छात्रों को 21वीं सदी के कौशल के विकास,अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहन पर बल दिया जाएगा।
13. कक्षा 6 से ही व्यवसायिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाएगा और इंटर्नशिप की व्यवस्था भी की जाएगी। 14. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करेगी और विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए "परख" नाम से राष्ट्रीय आकलन केंद्र की स्थापना की जाएगी।
15. शिक्षक नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। कार्य प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति का प्रावधान रहेगा।
16. शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यवसायिक मानक तैयार किए जाएंगे और उनके प्रशिक्षण की भी व्यवस्था रहेगी। अध्यापन के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत बी.एड डिग्री का होना अनिवार्य होगा।
17. शिक्षण संस्थानों में शोध तथा फीस के लिए भी मानक तय किए जाएंगे।
18. भारत में शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश एवं वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा के क्षेत्र में ढांचागत सुधार किए जाएंगे।
19. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सकल नामांकन को 26.3 फीसद से बढ़ाकर 50 फीसद तक करने का लक्ष्य है,जिसके अंतर्गत उच्च शिक्षा संस्थाओं में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
20. स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम छोडऩे,विषय बदलने के अवसर दिए जाएंगे और उसी के अनुरूप विद्यार्थी को प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
21. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ‘मल्टिपल एंट्री एंड एग्जिट’ है। इसके अनुसार, यदि 4 साल कोई कोर्स करने के बाद किसी कारण से यदि छात्र आगे नहीं पढ़ पाता है तो वो सिस्टम से अलग होने से बच जाएगा।अब एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा तीन या चार साल के बाद डिग्री,यानी प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के क्रेडिट जुड़ते जाएँगे। यानी, उसे एकेडमिक क्रेडिट मिलेंगे। ऐसे में छात्रों को अपना कोर्स पहले साल से ही शुरू नहीं करना होगा।
22. शिक्षा (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़वा दिया जाएगा।
23. ई-कोर्सेस आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया जाएँगे। नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) की स्थापना की जाएगी।
24. अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा*। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम या फिर, अतिरिक्त पाठ्यक्रम नहीं कहा जाएगा
25. लड़कियों की शिक्षा के लिए उनको सुरक्षित वातावरण देने का सुझाव दिया गया है। कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय का विस्तार 12वीं तक करने का सुझाव नई शिक्षा नीति-2019 के मसौदे में किया गया है।
26. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, निजी और सार्वजनिक उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए सामान्य मानदंड होंगे। नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए आम प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी।
इसके अलावा, पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है। शिक्षा के स्तर को सुधारने हेतु इसके अतिरिक्त और भी अनेकों प्रावधान किए गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को प्रस्तुत करते हुए शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा-" देश के प्रधानमंत्री ने एक नए भारत के निर्माण की बात की है-जो स्वच्छ भारत होगा,स्वस्थ भारत होगा,सशक्त भारत होगा,समृद्ध भारत होगा,श्रेष्ठ भारत होगा। उस नए भारत के निर्माण में यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मील का पत्थर साबित होगी।" राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की व्यापक संकल्पनाओं का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा-"यह शिक्षा नीति ज्ञान-विज्ञान,अनुसंधान नवाचार, प्रौद्योगिकी से युक्त संस्कारक्षम,मूल्यपरक,हर क्षेत्र में, हर परिस्थिति का मुकाबला करने वाली,पूरी दुनिया के लिए,भारत में ज्ञान की महाशक्ति के रूप में उभर करके आएगी।"।
नि:संदेह इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पूरी ईमानदारी से उन समस्याओं और बाधाओं को पहचाना गया है, जो एक अच्छी शिक्षा के रास्ते में बाधा बनती हैं। यह एक सकारात्मक संकेत है कि राष्ट्रीय शिक्षा के नीतिगत प्रावधानमें में शिक्षा के विकास से जुड़े समस्त समस्याओं को ध्यान में रखते हुये उनके निराकरण के सभी उचित नियमों का समावेश किया गया है। वो चाहे महिलाओं की शिक्षा में भागेदारी को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता हो या भाषाई समस्या, शिक्षको की कमी हो या किसी अन्य कारण से शिक्षा से वंचित होता नागरिक। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से लेकर माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से वंचित सभी समूहों की एक समान सहभागिता सुनिश्चित करने पर बल देता है। सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कई श्रेणियों में बांटा गया है । इन श्रेणियों को लिंग (महिला व ट्रांस जेन्डर व्यक्ति), सामाजिक – सांस्कृतिक पहचान (अनुसूचित जाति, जनजाति, ओ बी सी, अल्पसंख्यक वर्ग), भौगोलिक पहचान (जैसे गांव, कस्बे आदि के विद्यार्थी), विशेष आवश्यकता (जैसे सीखने की अक्षमता सहित), सामाजिक- आर्थिक परिस्थिति (जैसे प्रवासी समुदाय, निम्न आय वाले परिवार, असहाय परिस्थिति में रहने वाले बच्चे, बाल तस्करी के शिकार बच्चे या उनके बच्चे, अनाथ बच्चे जिनमें शहरों में भीख मांगने वाले व शहरी गरीब भी शामिल हैं) आदि के आधार पर वर्गीकृत किया गया है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लागू होना शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक,साहसिक एवं दूरगामी दृष्टिकोण वाला कार्य है। इसके लिए डॉ के. कस्तूरीरंगन , शिक्षा मंत्रालय एवं मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक बधाई के पात्र हैं। नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए मंत्रालय द्वारा रोडमैप भी तैयार किया गया है,जिसमें नीति के सभी प्रावधानों को लागू करने की एक समय सीमा तय की गई है। करीब 75 फीसद प्रावधानों को 2024 तक लागू करने का लक्ष्य है। इसी प्रकार बचे हुए प्रावधान भी वर्ष 2035 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी भी गठित की जाएगी, जो केंद्र और राज्यों के बीच नीति के अमल पर हर साल समीक्षा करेगी। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि-आज भारत ज्ञान-विज्ञान, सूचना-प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कौशल के आधार पर आत्मनिर्भर भारत का संकल्प प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संकल्पित किया जा चुका है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि "इस नीति गुणवत्ता, पहुँच, जवाबदेही, सामर्थ्य और समानता के आधार पर एक समूह प्रक्रिया के अंतर्गत बनाया गया है। जहाँ विद्यार्थियों के कौशल विकास पर ध्यान दिया गया है, वहीं पाठ्यक्रम को लचीला बनाया गया है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सफलतापूर्वक मुकाबला कर सके।" उन्होंने कहा कि "मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से भारत अपने वैभव को पुनः प्राप्त करेगा।"
इस नये राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में निश्चित ही कुछ मुश्किलों का भी सामना होगा किन्तु सरकार के फ़सादी हौसले को देखते हुए ऐसा माना जा सकता हैं कि निःसन्देह राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रभावी होगी ।इसके परिणाम दूरगामी होगें और यह नए भारत की नींव सिद्ध होगी।
Friday, 30 October 2020
लौह महिला : श्रीमती गांधी
लौह महिला : श्रीमती गांधी
श्रीमती इन्दिरा गांधी इतनी मजबूत महिला थी,कि आज के दौर मे तो उतने मजबूत बहुतेरे पुरूष भी नही है। इनमें भारतीय राजनीति का एक अलग और मजबूत इतिहास लिखने की क्षमता थी , अपने किये को स्वीकारने की ताकत थी | अपने निर्णयो पर अडिग होना जानती थी । देश के लिए बेखौफ लड़ना,मरना और दुश्मनो का सामना कैसे करना है पता था। यू ही नही श्रीमती इन्दिरा गांधी को लौह महिला के खिताब से सम्मानित किया गया है उन्होने अपने बात व्यवहार से साबित किया था कि वो एक अत्यधिक मजबूत महिला है ।श्रीमती इंदिरा गांधी में भी कुछ खामियां रही होंगी। उन्होंने देश पर इमरजेंसी थोपी थी। कुछ हद तक हम कह सकते हैं लोकतंत्र का गला घोंटा, बावजूद इसके ,उसी महिला के हौसले ने अमेरिका और चीन को भी दहला दिया।अमेरिका और चीन की सरपरस्ती में रहकर भी पाक को भारत के सामने ज़मीन के बल लेटने को मजबूर कर दिया।अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन की धमकियों और घुड़कियों को दरकिनार कर देश का मान ऊंचा रखा, और पाकिस्तान की तो जाने दीजिए.......उनके बुलंद इरादे ने पाक के दो टुकड़े कर दिए़़......
आज उस इंदिरा गांधी को भी याद करने का दिन है , जिनके शहादत को यू ही नहीं भुलाया जा सकता। ऐसे बुलन्द हौसलें वाली लौह महिला के लिये सलामी तो बनती है । आज के दौर मे भी वो बहुत से लोगों को लिये प्रेरणा स्त्रोत है, उनका विशाल व्यक्तित्व और भी लोगो के लिए प्रेरणादायी हो सकता है अगर लोग कुछ सीखना चाहे ....
सादर श्रद्धान्जली💐💐💐
लौह महिला 🙏🙏🙏
सुनो ना.... सिर्फ तुम्हें पा लेना
सुनो ना....
सिर्फ तुम्हें पा लेना ही
मेरे मुक़मल
इश्क़ की दास्तां नही है
तुम मेरे साथ रहो
ये भी
ख़्वाहिश नही है मेरी
बस तुम
जिन लम्हो में
उदास हो तो
उन लम्हो में
मैं तेरे साथ रहूं
तेरी होंठों की 🙂 मुस्कान
बनकर
बस इतनी ही गुज़ारिश है मेरी
उस खुदा से💕💕💕💕💕
Wednesday, 28 October 2020
काशी की गंगा 1
अगर मैं तुम्हे बता सकूं की
मेरा ऐसे कभी कभार लिखना
हमारे संवाद सा है
टूटा फूटा मगर जटिल
पर लिखना अब मुझे मिजाज से अपाहिज
और तन से हताश बना देता है
बिल्कुल हमारे संवाद की तरह
अगर मैं तुम्हे बता सकूं
तो बताऊंगी की
हो सके तो कर लेना बातें
महीने की पगार और इन्फ्लेशन के बारे में
टेरिस पर एक लम्बे किस के बाद
गर हो सके तो बचा लेना
वो दो लाल फेवरेट कॉफ़ी मग
वो तारीफे जिनसे तुम मुझे सजाते थे
जो हमारी शामों का हिस्सा है
क्यूंकि पूरे होने की एक ही शर्त है
एक अधूरी " मैं "
और इक आधे " तुम"
अगर मैं तुम्हे बता सकूं
तो बताऊंगी की
पहाड़ो से उतरती धुँध में
मैं कैसे बनाती हूँ तुम्हारा चेहरा
किसी प्रिंटर की पिन ब्रश से निकली
एक अघड़ सी तस्वीर सा
तारो से बिछे आसमान में
मुझे नही दिखती है कोई गैलेक्सी
दिखती है मुझे तुम्हारी दो जोड़ी आँखे
वो मुस्कुराती आँखे जो चमक उठी थी
मुझे अपने पास देखकर
और कहा था तुमने
चले आओ इश्क़ करते है
अगर मैं तुम्हे बता सकूं
तो बताऊंगी की
आजकल पूरी रात
ये सोचने में बीत जाती है की
तुम्हे भूल जाऊं या याद करूँ
कभी साथ बिताए पल
खुशी के आँसू बनकर बहते है
तो कभी जुदा होने का वक़्त
पलके भिगो देता है
बिना कुछ कहे जो बातें
कह आती हो तुम उस बड़े से समंदर को
उन बातों के लिए शब्द चाहता हूँ
आज मैं तुम्हारे साथ
तुम्हारे इश्क़ में इक अज़नबी
एहसास हो जाना चाहता हूँ
अगर मैं तुम्हे बता सकूं
तो बताऊंगी की
"तुम" "तुम" ही रहो और
एक एक हाथ "हम" का थामे हुए
जैसे बनारस में गंगा और
गंगा किनारे बसा बनारस
बस इतनी सी ही तो
ख्वाहिश है जाना
मैं तुम्हारे इश्क़ में बसा लू खुद मे तुझको
और बन जाऊ तेरी... बन जाये तू शिव मेरा और मै तेरी काशी ....बन जाय तू काशी और मै
काशी की गंगा होना चाहती हूँ
काशी की गंगा 2
एक प्यार हमारा
जो जन्मा था कल ही
काटते पत्थरों को और
किनारों की बंदिशों से लड़ते
जैसे ऋषिकेश से जन्मी हो नई गंगा
और यूँ एक लंबा सफर तय करते
कहीं थकते कहीं झुकते
पर रुकने की पर ज़रा सी भी ख्वाहिश नहीं
फिर ठहर जाना
तुम्हारी दुनिया में आकर
ठहरना क्योंकि
कदमों को अब मिलाना है
एक दाएं हाथ में दूजे दाएं हाथ को थमाना है
इस लम्बे सफर से थकन में
टिकना है तुम्हारे कंधो पर
जैसे हो काशी की गंगा
गंगा आरती सा संगीत
गूँजे तुम्हारे पुकारने में
इस साथ में "मैं" "मैं" रहूँ
और "तुम" "तुम" रहो
एक एक हाथ "हम" का थामे हुए
जैसे बनारस में गंगा और
गंगा किनारे बसा बनारस
बस इतनी सी ही तो ख्वाहिश है जाना
मैं तुम्हारे इश्क़ में
काशी की गंगा होना चाहती हूँ
बसा लू खुद मे तुझको और
तेरी बन जाऊ..
तू बन जाए शिव मेरा ,
और मै तेरी काशी हो जाऊ..
मैं इश्क कहूँ, तुम बनारस समझना..
मैं इश्क कहूँ, तुम बनारस समझना..
मैं गंगा सी निर्मल, बहती निरंतर
तू पत्थर वो अस्सी घाट का,
मैं शीतल साहिल की रेत सी! तर
और तू चाँद वो ठण्डी रात का...
मैं काशी की गलियों सी मग्न हर-पल
तू देखता मुझे शांत उस शाम सा,
मैं कुण्ड की लिए खूबसूरती खुद में
तू लगता महादेव के भाँग सा...
मैं बारिश के बाद की वो सोंधी खुश्बू
तू कुल्हड़ वाली दो घूंट चाय सा,
मैं मंदिर पे रंगे उस गेरूए सी
तू लिए रंग वो नुक्कड़ के पान सा...
मैं दशाश्वमेध की संध्या-आरती
तो तू सुबह-ए-बनारस उस घाट का,
मैं जैसे जायका वो चटपटे चाट की
तू खट्टे लस्सी की हल्की मिठास सा...
मैं संगमरमर वो मानस मंदिर की
तू इनमें पड़े उस स्लेटी धार सा,
मैं हाथों से जिसे पढ़ते गुजरती
तू लगता वही उभार किसी दीवार का...
मैं जैसे देव-दीपावली की जगमगाती कशिश
और तू इसकी तरफ डोर कोई खिंचाव का,
मैं तैरते-जलते दीपों सी उज्ज्वल
और तू इन्हें लहराता जैसे कोई बहाव सा...
मैं अंधियारे की वो पीतल सी रौशनी
तू किनारे ठहरा एक मुसाफिर अंजान सा,
मैं पंचगंगेश किनारे की वो मस्जिद
और तू जैसे निकलता उससे अजान सा...
मैं मन्नत किसी बंजारे की
तो तू दुआ है कोई मुकम्मल सा,
मैं मंदिर में पेड़ वो बरगद सी
और तू धागा जैसे कोई मलमल का...
मैं उभरती-मचलती कड़ी जिस राज़ की
तू मुझमें राबता लिए उस एहसास का,
मैं दुर्गा-मंदिर के श्रीफल का पानी
और तू कयास जैसे कोई प्यास का...
मैं लहरों सी उठती-गिरती प्रतिपल
तू लगता इस बीच नौका-विहार सा,
हू मणिकर्णिका की अगर मैं गाथा
तो तू लगता जीवन-मरण के सार सा...
मैं सपनो को समेटे हुए एक परिधि
तू मुझे मुझसे मिलाता एक व्यास सा,
मानो अगर काशी जैसी मुझे कोई नगरी
तो तू है बसता इस नगर में जान सा...
काशी की गंगा 3
ठिठुरती सी सुबह में एक दिन
अचानक नींद खुल गई
अलसाई आँखों को खोलने की
एक नाकाम सी कोशिश में क्योंकि फिर आज तुम सामने हो
सोचती हूँ मुद्दतो बाद मिला है मौका वजु करूँ डूब कर
तुम्हारे होने के अहसास में
या होश में आऊँ और कह दूँ कि
तुम्हारे होने से ये वक़्त
टूटती आतिशबाजी सा खूबसूरत है
जैसे तारों को जल्दी सुला दिया हो किसीने
सपनों वाली परीयों की
कहानी सुना कर
अलसुबह
तुम्हारे लिए लिखी कविता
यूँ ठंडे दही में डाल दी हो
मिश्री किसी ने
खिलखिलाना यूँ तुम्हारा
मेरी बेतुकी कविताएं सुनकर
जैसे कल के ढेर में मिल गया हो एक नया पटाखा एक किसी ऐसे बच्चे को
जिसकी दीवाली
हम सी हैप्पी नही है
रात के बुझे दीये से अंगड़ाई
तुम्हारे दुबारा पुकारने में है
गंगा आरती सा संगीत
गूँजे तुम्हारे पुकारने में
इस साथ में "मैं" "मैं" रहूँ
और "तुम" "तुम" रहो
एक एक हाथ "हम" का थामे हुए हम दोनों हो
फिर ठहर जाना
तुम्हारी दुनिया में आकर
ठहरना क्योंकि
कदमों को अब मिलाना है
एक दाएं हाथ में
दूजे दाएं हाथ को थमाना है
इस लम्बे सफर के थकान में
टिकना है तुम्हारे कंधो पर
जैसे हो काशी की गंगा
और
गंगा किनारे बसा बनारस
देखना है उस
काले आकाश में बिखरती
वो रोशनियाँ को जो तुम्हारी
पलकों पर पड़कर
और भी खूबसूरत हो जाती है
उन जगमगाती आँखों से
कुछ उजाले उधार चाहती हूँ
बस इतनी सी ही तो ख्वाहिश है जाना
मैं तुम्हारे इश्क़ में
दिवाली की बस एक रात होना चाहती हूँ !!!
सुनो ना...इश्क़ हैं।
सुनो ना......
मुझसे बात ना होने पर वो जो उलझन सी होती थी ना कभी.....
और फिर मैसेन्जर में कॉल करने को बोलना इश्क़ है।
कुछ सही कुछ गलत मेरा बड़बड़ाते जाना.....
और उसे शान्ति से सुन कर तुम्हारा चुप रह जाना इश्क है।
मेरे हज़ार मैसेजेज़ के बाद तुम्हारा एक छोटा सा प्यार सा कोई रिप्लाई का आना......
और उसे देख मेरे आँखों में आंसूओ का आना इश्क़ हैं।
तुम कभी भी नहीं आओगे ये जानते हुये भी तुम्हारी मिन्नते करते जाना......
और बेसब्री व बेताबी से तेरा इन्तजार करना इश्क़ है।
नीलम वन्दना
वाराणसी
Monday, 26 October 2020
HathrasGangRape
27th Sep. 2020 को हम बड़े जोर शोर से Daughter Day मनाते है। बहुत से लोगों को परेशानी भी होती हैं कि ऐसा क्या है कि जिसे देखो बोलते नही थकता कि #मेरी_बेटी_मेरा_अभिमान अरे कभी #मेरा_बेटा_मेरा_अभिमान भी तो बोल के देखो, और
29th September. 2020 को हमारे ही समाज के कुछ बेटे हमारी ही बेटी के साथ दरिंदगी कर जाते हैं और बेटी मौत की गोद में सो जाती हैं। ऐसा नहीं कि यह सब हमारे बीच में पहली बार हुआ है, नही ये कई बार हो चुका है। हर उम्र की बेटी के साथ हो चुका हैं लेकिन हम हर बार की तरह एक बार फिर हमेशा की तरह थोड़ा बहुत शोर शराबा, नारे बाजी करते है और फिर हाथ पर हाथ धरे बैठ जायेगें।
आज हर बेटी कहना चाहेगी कि भले से आप सब मत मनाये Daughterday ,कभी मत बोलिये #मेरी_बेटी_मेरा_अभिमान लेकिन हमे जीने दीजिये। हम भी तो आपके समाज का आधा अंग है। हमारे बिना तो आपकी भी दुनिया बेमानी है फिर क्यों हमे इज्जत से सुकून के साथ सिर्फ इन्सान मान कर क्यु नही जीने देते।
#HathrasGangRape
काव्यान्जली : दर्द का रिश्ता
काव्यान्जली : दर्द का रिश्ता
अपने फ्लैट की बालकनी मे बैठ के चाय पीते हुए मैं काव्यांजलि के बारे मे सोचते हुये अतीत में चली गयी थी। काव्यांजलि
कल तक 13 वर्ष की कितनी प्यारी, मासूम और चुलबुली सी बच्ची थी । पूरी काॅलोनी की रौनक उससे बरकरार रहती थी। काव्यांजलि के होते काॅलोनी का कोई शख्स दुखी या परेशान नहीं रह सकता था। वह हर समय सबकी मदद के लिये हंसते हुए तैयार रहती थी ,और आज जब उसे मदद की जरूरत है...........तब !!! तब सब अपनी अपनी महानता की गाथा सुना रहे थे और स्वार्थ की रोटियाँ सेकने में व्यस्त हो गये थे। वो कितना रोई , चीखी ,चिल्लाई थी । लेकिन किसी ने ना सूनी उसकी चीखे !! उन दरिन्दों ने कितनी बेदर्दी से नोच डाला था उस मासूम के पैरों को, उसकी जिव्हा को काट दिया था और हड्डियों के कई टुकड़े कर डाले !! उफ्फफ........
सोचते हुये एकदम से एक झटका सा लगा कि अरे ये क्या कर रही हूँ मैं ? आज काव्यांजलि को हम सबकी , सबसे ज्यादा जरूरत है , मेरी बच्ची दर्द से कराहते हुये पुकार रही और हम सब यू बैठ कर चाय पी रहे हैं, टेलीविज़न पर उसके दर्द का कैसे पोस्टमार्टम होता देख रहे। नहीं अब और नहीं देख सकती मेरी बच्ची मैं आ रही हूँ तेरे पास। अब बिल्कुल भी परेशान ना होना । मैं साथ हूँ तेरे ..आज भी .... कल भी और हमेशा... तेरे साथ ही रहूंगी।
मेरी बच्ची यू नहीं हारने दूंगी तुम्हें , तेरे साथ दरिन्दगी करने वालों को ऐसी सजा दिलाऊंगी कि सहम जायेगी ये दरिन्दों की सारी क़ौम..... फिर कोई और काव्यांजलि नहीं होगी दरिन्दगी का शिकार....मेरी बच्ची मैं हूँ ना तेरी माँ। मेरा तेरा तो दर्द का रिश्ता भी है।
नीलम वन्दना
https://lakshyajalpaiguri.blogspot.com/2020/10/blog-post_85.html?m=1
रवायत
#रवायत
एक रवायत है ये जिंदगी,
जिसे कायम रखना है।
मिट्टी को बस,
मिट्टी में तब्दील करना है।
ये जिम्मेदारी कब किसके कंधो पे आ जाये,
किसको है क्या खबर।
बंधन और मुक्ति का ये खेल ,
बस यही हैं ज़िन्दगी और
यही है इस ज़िन्दगी की रवायत।।
बस_यू_ही
असामान्य से दिन
कई बार चुभते है
असामान्य से ये दिन
उत्सवों की भीड़
और इतनी तैय्यारी
जाने क्यूं
ऐसा लगता है
सब बेवजह खुद को
बहलाने में जुटे है
जीना नहीं चाहते
फिर भी जिये जा रहे हैं
ज़िन्दगी के इस बोझ को
ढोये जा रहे है।
बस_यू_ही
Sunday, 23 August 2020
तुम्हारा नाम
कुछ गहरा सा लिखने का दिल किया ,
मैनें उसे "मुहब्बत " लिख दिया!
कुछ ठहरा सा लिखना का दिल किया ,
मैनें उसे "दर्द'' लिख दिया!
कुछ समन्दर सा लिखने का दिल किया ,
मैनें उसे "ऑसू" लिख दिया!
कुछ बिखरता सा लिखने का दिल किया ,
मैनें उसे "जुदाई" लिख दिया!
सुनो, जब दिल कहा जिन्दगी लिखूं है,
मैनें तुम्हारा नाम लिख दिया!
Sunday, 16 August 2020
हे कान्हा!
Monday, 3 August 2020
रक्षाबन्धन v/s फ्रैण्डशिपडे
Tuesday, 16 June 2020
वज़ूद
वज़ूद
कभी कभी मैं सोचती हूँ
मैं कौन हूँ , क्या हैं मेरा वजूद....
मेरे दिमाग में ऊपजी सोच या
दिल में हलचल मचाती हुई धड़कनों में हूँ मैं
क्या यही हैं मेरा वजूद
या फिर इन दोनों से जुदा,
ज़िन्दगी की आँख मिचौली मे
उलझा हुआ सा है मेरा वजूद...
गुज़र चुके वक्त के छोटे से
लम्हों मे चमकता सा अश्क हूँ या
वक्त की कैद में बेचैन सपना हूँ ,
क्या यही हैं मेरा वजूद
या फिर इन दोनों से जुदा,
दोनों के मिलन
गवाही सा हैं मेरा वजूद...
इश्क के इंतजार मे किनारे पड़ी पत्थर हूँ या
इश्क के समुन्दर में समाये नदी का अस्तित्व हूँ,
क्या यही हैं मेरा वजूद,
या फिर इन दोनों से जुदा,
दोनों का बेमेल एहसास सा है मेरा वज़ूद...
अपनी शाखों से टूट चुके जर्द मरे पत्ते सी हूँ या
यहाँ वहाँ चुपके से उत्सुकता से झांकती नयी कोपले हूँ,
क्या यही हैं मेरा वजूद
या फिर इन दोनों से जुदा,
दोनों को आसरा देने वाले सा है मेरा वजूद....
निराशा के गहरी काली अंधेरी रातों मे गुम होता हौसला हूँ या
उम्मीदों के रोशनी के शमा की आखिरी लड़ी हूँ,
क्या यही हैं मेरा वजूद
या फिर इन दोनों से जुदा,
दोनों के तमाशे को देखती
तमाशबीन सा है मेरा वजूद....
कभी कभी मैं सोचती हूँ,
मैं कौन हूँ , क्या हैं मेरा वजूद....
बस यू ही
Sunday, 31 May 2020
मासूम दिल ❤️💦❤️💦❤️
Wednesday, 27 May 2020
तुम आये
Tuesday, 12 May 2020
Scars_are_Beautiful
जरा सोचिये जब लोग इतिहास में महाराणा प्रताप के वीरता के किस्से सुने और सुनाते है तो उनके चोटों के निशानों की भी बात करते है। जब युद्ध में महाराणा प्रताप घायल हुये होगें तो तकलीफ तो उनको भी हुयी ही होगी। जब सीमा पर लड़ रहा कोई सैनिक अपने हाथ पैर गंवा देता है या बन्दूक की गोली खा लेता है , तो उस वक्त तो उसे भी तकलीफ होती ही होगी ना..... लेकिन बाद में वो एक मिसाल बन जाती हैं। उसकी वीरता की मिसाल।
ये सच है हर किसी की ज़िन्दगी की लड़ाई महाराणा प्रताप या सीमा पर डटे सैनिकों जैसी कठिन नहीं होती लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हर किसी की ज़िन्दगी की लड़ाई इतनी आसान भी नहीं होती।
हर इन्सान अपनी ज़िन्दगी की लड़ाई में ना जाने कितने बार घायल होता है, ना जाने कितने बार मर मर के जीता है। उसके ज़िन्दगी की हर लड़ाई दे जाती हैं उसे एक नया दाग़। कुछ शरीर पर, कुछ दिल पर और कुछ दाग़ उसकी आत्मा पर छोड़ जाते हैं , और लिख जाते है कुछ ऐसी कहानियाँ जिसे गुज़रते वक्त के साथ हम लोगों को सुनाते है या लोग पढ़ते है।
दाग़ सिर्फ दाग़ ही नही होते , वो आपकी शख्शियत का वो अहम हिस्सा होते है जो बताते है कि आपने जीवन में हर पड़ाव को किस बहादुरी से जिया है फिर चाहे वो दाग़ कैसे भी हो। हर स्कार्स के पीछे एक खूबसूरत कहानी होती है। इसीलिये ज़िन्दगी के उन संघर्षों के पलों मे मिले स्कार्स (दाग़) को किसी तरह के मेकअप में छुपाने की जगह सुंदरता से उभारना चाहिए ।
जापान में टूटी हुई चीज़ों को अक्सर गोल्ड से जोड़ने की परम्परा रही है ,जिसका कारण उनकी वो मान्यता हैं, जिसमें वो मानते है कि स्कार्स (दाग़) खूबसूरत होते है।
अंत में बस यही कहना है जंगल के शेरो में ही स्कार्स पाए जाते है ,चिड़ियाघर के पालतुओं में नही ।
नीलम वन्दना
Sunday, 10 May 2020
Maa_ka_Lockdown
दिमाग पर बहुत जोर देने के बाद भी मुझे ऐसा कोई लॉकडाउन याद नहीं आता जो मेरी मम्मी ने ऐसा कुछ किया हो, क्योंकि हम सभी भाई बहनों पर लॉकडाउन लगाने की पूरी जिम्मेदारी अनकहे रूप में हमारी बड़की जिज्जी ने जो ले रखी थी। बाकी बचा खुचा कसर पापा जी पूरा कर देते थे।
यू तो हम सब भाई बहन जिज्जी की नजरों से ही सहम जाते थे, एक वक़्त था जब पूरे घर मे उनकी ही तानाशाही चलती थी, लेकिन अब लगता है कि जिज्जी भी जितनी दिखती थी उतनी बड़ी वाली हिटलर नहीं थी। हॉ वो मम्मी की अच्छी वाली सहयोगी थी। मम्मी जो काम हम लोगो से कराना चाहती करा लेती और जो नहीं कराना चाहती उसे जिज्जी से बड़े प्यार से मना करा देती।
यू तो मम्मी और जिज्जी की मिलीजुली सरकार ने हमलोगों के बचपन में अव्वल तो कोई बहुत लॉकडाउन कराया नहीं है पर जो लॉकडाउन कराया भी वो बहुत मामूली हुआ करते थे, जैसे जब तक होमवर्क पूरा नही होता कही नही जाना है। जब तक ये काम पूरा नहीं होता (कोई भी छोटा मोटा काम ) नही होता खाना नही मिलेगा। या फिर सबसे खतरनाक होता था कि करो तुम अपने मन की फिर समझे रहना। इसके बाद तो हम जहॉ होते थे बस वही थम से जाते थे।
अन्धेरा होने के बाद घर से बाहर नही रहना है, ये था सबसे बड़ा वाला लॉकडाउन जिसे कमोबेश घर के सभी लोग मानते थे और इस लॉकडउन में समय और जरूरत के मुताबिक बदलाव तो आया है। लेकिन बचपन से पड़ी इसकी आदत के कारण अब भी काम खत्म होने के बाद सबसे पहले घर का रास्ता दिखता है।
ये सारे लॉकडाउन जो बचपन से हम सभी सहते आये है, जिसे कभी माँ ने लगाया या कभी माँ की मर्जी से जिज्जी , बड़े भाईया या पापा ने इन सबका बहुत अहम किरदार होता हैं हमें एक भला इन्सान बनाने में। इसीलिये माँ तो बस माँ होती है।
यूँ ही नहीं होता
“माँ” का दर्जा ‘सर्वोत्तम’
ना जाने कितना
‘त्याग’ और ‘संघर्ष’
छुपा होता है इस शब्द के पीछे❣️
Happy_Mothers_Day_every_mother
Saturday, 2 May 2020
Discribe_me_in_one_word
कितना आसान है ना किसी से भी ये सवाल पूछ लेना "Discribe me in one word" और शायद उतना ही आसान है इस सवाल का जवाब दे देना भी, इसके कई सारे जवाब हो सकते है |
लेकिन अब जरा इसी बात को दूसरे नजरिये से देखियेगा .... आपने तो इसे बस यू ही पूछ लिया , लेकिन क्या ये वाकई इतना आसान सा सवाल है और इसका जवाब दे पाना भी उतना ही आसान है ,जवाब होगा कत्तई आसान नहीं है इसका जवाब। उनके लिए जिनके लिए आप बहुत कुछ हो| वो आपसे बे -ईन्तहा प्यार करते है | आपका सम्मान करते है | उनके जीवन की कोई भी खुशी आपके बिना अधूरी है , कोई भी गम हो वो सबसे पहले आपको बता के हल्के हो जाते है| इन सबका जवाब होगा नही इतना आसान भी नही है अपने किसी प्यारे से रिश्ते को एक शब्द मे बांध देना | ये एक प्रकार से अन्याय होगा उस रिश्ते के प्रति ,उस रिश्ते के प्रति उनके भावनाओ का...
और हॉ अगर आपकी बहुत ज्यादा किसी से दुश्मनी हो तो ये समस्या थोडी कम हो जाती है लेकिन फिर भी एक शब्द मे बांधना आसान नही है|
किसी के पूरे जीवन चरित्र और उसके लिए अपने भावनाओ को सीमित शब्दो मे तो बताया जा सकता है लेकिन एक शब्द मे कत्तई नही.... कई बार कुछ सवालो के जवाब जितने मुश्किल होते है उतने लगते नही है|
#बस_यू_ही...
Wednesday, 15 April 2020
CARONA - 2019 : A LOVE STORY
दिव्यान्शी आज से ही क्वारटाइन में थी । अंश का भी क्वारटाइन शुरू हो गया था। दिव्यांशी सोच में बैठी थी कि अकेले अंश के बिना ये 14 दिन कैसे गुजरेगें।अपनी शादी के बाद से ही दोनो कभी भी एक दिन के लिये भी अकेले नहीं रहे थे। ये 14 दिन दोनों को सालों जैसे लग रहे थे। कुछ महीने पहले ही तो दोनो की शादी हुयी थी। दोनों ही पेशे से डाक्टर थे। शादी के बाद अंश बाहर जाने का प्लान बना ही रहा था, कि ये करोना नामक विलेन ने उनकी शान्त खुशहाल ज़िन्दगी मे भूचाल ला दिया। दोनों की ही सारी छुट्टियाँ कैन्सिल कर दी गई।
दिव्यांशी और अंश ने भी हालात की मॉग और जरूरत देखते हुये पूरे तत्परता और समर्पण के साथ करोना पीड़ित मरीजो की इलाज में लग गये थे। अब तक दोनों 200 से ज्यादा करोना के मरीज़ो को इलाज कर चुके थे। कितनी मासूम थी वो 15 साल की बच्ची जिसकी मौत दिव्यांशी के सामने करोना से हो गयी थी। उस बच्ची के मौत ने उसे बुरी तरह से उसका आत्मविश्वास हिला दिया था। जब जब दिव्यांशी को वो बच्ची की मौत याद आती उसकी रूह तक सिहर जाती उसे लगता कि मैं अब कभी भी अपने अंश से नहीं मिल पाउँगी और वह परेशान हो जाती। वैसे तो दिन में रोज कई बार फोन पर उसकी अंश से बात हो जाती थी और वह हिम्मत भी देता।
धीरे धीरे वक्त गुजरता जा रहा था,जब जब दिव्यांशी परेशान होती थी ,अंश उसे समझाती और जब अंश परेशान होता तो दिव्यांशी उसे समझाती। दोनों एक दूसरे की कमजोरी भी थे ताक़त भी थे और हिम्मत भी। दोनों एक दूसरे को हिम्मत देते कि परेशान मत हो हम मिलेंगे और जल्दी ही मिलेगें।
आज दोनों का क्वारटाइन खत्म होने को था। दोनो ने करोना टेस्ट के लिये अपने अपने सैम्पल दिये थे। दोनों के मन मे एक विश्वास तो था कि रिपोर्ट नेगेटिव ही आयेगा लेकिन साथ ही थोड़ा डर भी लग रहा था कि जाने क्या होगा।
थोड़ी देर बाद अंश अपने हाथो में दोनों का रिपोर्ट लिये दिव्यांशी के सामने खड़ा था। दिव्यांशी को पता नहीं था कि रिज़ल्ट क्या है, उसकी धड़कन बढ़ गयी थी , साँसें थम सी गई थी। अंश को इतने दिनों बाद अपने सामने देख कर दिव्यांशी को खुद को रोकना बहुत मुश्किल हो रहा था। तभी अंश ने अपनी बाँहो को फैलाते हुये उसे बताया कि दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है और वह घर चल सकते हैं। ये सुन कर दिव्यांशी के ऑखों से खुशी के आँसू निकल पड़े और वह अंश के बाहों में समा गई।
Wednesday, 11 March 2020
बाते_अभी_बाकी_है 2
कहीं हड्डियों की मजबूती , कहीं रिश्तो की कशिश,
कहीं मन की गहराई , और कहीं भावनात्मक जुडाव
कहीं हृदय का प्रेम और कहीं आँखो की चमक ....और इसी अनन्त यात्रा का नाम है जिन्दगी और हर आदमी यात्री। हर यात्री के अनुभव भिन्न| हर आदमी की कुछ तलाश पूरी होती कुछ अधूरी.. हर आदमी कुछ खुद को तराशता और कुछ तराशने की कोशिश अधूरी ही रह जाती ...
बस यू ही...
बाते_अभी_बाकी_है 1
बातें_अभी_बाकी_है 3
पर यादें बरसों रह जाती है !!" और ऐसे ही लम्हों को इकठ्ठा कर हमने ज़िन्दगी की आमानत बना लिया।
यही कही कभी मिला था वो, अनजाना सा अजनबी सा बातें शुरू हुयी और धीरे धीरे कभी ना खत्म होने वाली बातें का सिलसिला चला, लोग ज़िन्दगी में हो कर भी ज़िन्दगी नहीं होते लेकिन ना जाने क्या था उस शख्स में, जो कभी भी ज़िन्दगी में शामिल ना था फिर भी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया।
जानते हैं दुनिया में सबसे खूबसूरत महिला कौन होती हैं ? जो बेलौस हंसी हंसती हैं, इतना कि आंखे तर हो जाये, और सबसे सुन्दर पुरुष कौन है,? वो जो ख़ामोश मुस्कुराये तो स्त्री के दिल में हलचल कर दे। ऐसा ही था वो शख्स । उसकी खामोशी भी बहुत कुछ बोल जाती हैं।
हमने कहीं पढ़ा था कि हर आदमी में थोड़ी सी औरत होनी चाहिए, और हर औरत में थोड़ा सा आदमी। और ऐसा ही था वो ,अपने आप में सम्पूर्ण..... अच्छा बेटा , अच्छा पति, अच्छा पिता अच्छा दोस्त और हे इन सब से अलग वो एक बेहतरीन इन्सान है। जो आज के दौर में भी किसी का भला भले ना कर सके लेकिन बुरा तो नहीं ही करता। सबसे अलग था उसका अन्दाज़ सबसे जुदा था उसका लहजा। भरी महफिल में किसी को कैसे अकेला करते हैं कोई उससे सीखे....और अकेले में महफिल लगाने की कला में माहिर. ... हर एक जीव पर प्यार लुटाने की फ़ितरत उसे खुदा ने खुद बख्शी थी।
मेरे में उसे हमेशा एक अच्छा दोस्त दिखा है, और उसके रूप में एक दोस्त के साथ साथ समय समय पर और भी कई रिश्तों की झलक मिलती है।
मैं उस शख्स से कभी रूबरू नहीं हु़यी, लेकिन मेरे घर की बेताब सी, बेबाक़ सी दीवारें.....
उसकी यादों की ख़ूबसूरती से भरी दरारें में
उसके आने के बेचैनी से इंतज़ार करती हैं और बेकरारी मेरी बढ़ाती है।
खुदा_करे_कि_कयामत_हो_और_वो_आये
बातें_अभी_बाकी_है